केंद्र सरकार ने जनगणना कराने का ऐलान कर दिया है और उसके साथ ही यह भी ऐलान कर दिया है कि इस बार जनगणना के साथ ही जातियों की गिनती भी होगी। दो चरण में होने वाली जनगणना एक मार्च 2027 को पूरी हो जाएगी। हालांकि इसके आंकड़े आने में समय लगेगा। तभी सरकार की ओर से कहा गया है कि परिसीमन का काम जनगणना से नहीं जुड़ा है। यानी जनगणना अलग होगी और परिसीमन अलग से होगा। माना जा रहा है कि इस बार जनगणना डिजिटल डिवाइसेज के साथ होगी, जिससे अंतिम आंकड़े आने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। फिर भी एक अनुमान के मुताबिक अंतरिम आंकड़े 2028 से पहले नहीं आएंगे।
अगर जनगणना के अंतरिम आंकड़े 2028 में आएंगे तो अंतिम आंकड़े आने में एक साल के करीब समय और लगेगा। तब तक 2029 का लोकसभा चुनाव आ जाएगा। ध्यान रहे परिसीमन के लिए अलग से एक साल से ज्यादा का समय चाहिए। इसलिए यह 2029 से पहले संभव नहीं लग रहा है। इसका मतलब कि लोकसभा का अगला चुनाव 543 सीटों का ही होगा और उसके बाद परिसीमन का काम होगा। ऐसा होने पर सरकार को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार द्वारा किए गए संशोधन को बदलने के लिए संविधान संशोधन की जरुरत नहीं पड़ेगी। उसमें कहा गया है कि 2026 के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर परिसीमन होगा। सो, जनगणना 2027 में होगी, 2029 तक उसके अंतिम आंकड़े आएंगे और उसके बाद परिसीमन होगा। जहां तक संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण का सवाल है तो वह सीधे तौर पर परिसीमन से जुड़ा है। नारी शक्ति वंदन कानून 2023 में कहा गया है कि परिसीमन के बाद महिला आरक्षण लागू होगा। सो, परिसीमन, सीटों की संख्या में बदलाव और महिला आरक्षण के लिए 2034 तक इंतजार करना होगा।