समस्या कहीं गहरी है
बिना आर्थिक भागीदारी बढ़ाए और सामाजिक परिवेश बदले सिर्फ राजनीति प्रतिनिधित्व देना प्रतीकात्मक महत्त्व भर का साबित हो सकता है। ऐसी अनेक मिसालें अभी मौजूद हैं। अतः महिला आरक्षण की बहस को अधिक बड़ा फ़लक दिए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को ‘सबसे बड़ी अल्पसंख्यक’ बताया है। अगर इसका अर्थ निर्णय के स्थलों और नीति निर्माण की प्रक्रिया में उपस्थिति से है, तो कोर्ट की राय से सहज सहमत हुआ जा सकता है। वैसे ये टिप्पणी करते हुए जस्टिस बी।वी। नागरत्नम्मा ने आबादी में महिलाओं की संख्या का भी जिक्र किया। कहा कि कुल आबादी में महिलाएं...