भारतीय सेना की ओर से मीडिया और आम लोगों के लिए एक एडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि सेना के अधिकारियों की कवरेज करते हुए उनको सावधानी बरतनी चाहिए। सैन्य अधिकारियों के घरों के बारे में या उनके परिवार के बारे में जानकारी देने की जरुरत नहीं है। यह भी कहा गया है कि मीडिया के लोग और इन्फ्लूएंसर्स अधिकारियों के इंटरव्यू से बचें। इंटरव्यू या खबर तभी करें, जब उनको इसके लिए बुलाया जाए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मीडिया को जिम्मेदार से काम करना चाहिए और इस मामले में भारत का मीडिया पूरी तरह से फेल रहा है, खास कर टेलीविजन मीडिया। लेकिन सेना ने जो एडवाइजरी जारी की है क्या वह खुद सेना और सरकार पर लागू नहीं होनी चाहिए? क्या भाजपा और उसके नेताओं के लिए अलग से एडवाइजरी जारी करने की जरुरत नहीं है?
ये सवाल इसलिए हैं क्योंकि कई चीजें सेना ने खुद एक्सपोज की हैं। जैसे सेना की ओर से लगातार कई वीडियो जारी किए गए, जिनमें पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की बारीकियों और तकनीकों के बारे में बताया गया। इतना ही नहीं सेना और अर्धसैनिक बलों की ओर से उन महिला अधिकारियों के नाम जारी किए गए, जिन्होंने सीमा पर चौकसी की और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का नेतृत्व किया? सवाल है कि महिला अधिकारियों का नाम उनके रैंक के साथ बताने की क्या जरुरत थी? पहले कम अग्रिम मोर्चे पर तैनात और दुश्मन देश के खिलाफ कार्रवाई का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों के नाम बताए जाते थे? ध्यान रहे अमेरिकी नेवी सील की जो टीम ओसामा बिन लादेन को मारने गई थी, सबने मास्क लगा रखे थे और कई बरसों तक उनके नाम सार्वजनिक नहीं किए गए थे। लेकिन भारत ने सैन्य कार्रवाई के तुरंत बाद उन महिला अधिकारियों के नाम जारी किए, जिन्होंने सीमा पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई में हिस्सा लिया। केंद्र सरकार और भाजपा महिला शक्ति का राजनीतिक नैरेटिव बना रही है लेकिन इससे सेना का कोई मतलब नहीं होना चाहिए।
इसी तरह कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह से प्रेस कॉन्फ्रेंस कराने का आइडिया बहुत अच्छा था, जिसका राइटविंग के कई सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स ने विरोध किया लेकिन कर्नल सोफिया कुरैशी के परिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में बुलाना बहुत बुरा आइडिया था। प्रधानमंत्री अपने गृह राज्य गुजरात गए तो वहां कर्नल सोफिया कुरैशी के पिता और उनकी बहन सहित परिवार के लोगों को रोड शो में बुलाया गया। वे रोड शो में शामिल हुए और मीडिया में उनका इंटरव्यू कराया गया। इससे सेना की तटस्थ और अराजनीतिक छवि को भी नुकसान होता है और सैनिकों के परिवारों की निजता का हनन भी होता है। इसी तरह मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और हरियाणा के राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने जो बयान दिए वह भी मीडिया की किसी कवरेज से ज्यादा खराब थे। ऐसे ही खबर आई थी कि सरकार प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली दोनों महिला अधिकारियों की तस्वीरों का इस्तेमाल विज्ञापन में करेगी। लेकिन समय रहते सरकार को सद्बुद्धि आई और इसे टाल दिया गया। सो, मीडिया के साथ साथ केंद्र सरकार, भाजपा के लिए भी कोई एडवाइजरी जारी होनी चाहिए।