नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे तो कई चीजें बदली हुई होंगी। पहले दो बार उन्होंने तय किया था किसे मंत्री बनाना है और किसे कौन सा मंत्रालय देना है। वे शपथ से पहले संभावित मंत्रियों से मिले और उससे ही मैसेज गया कि अमुक नेता मंत्री बन रहा है। इस बार ऐसा नहीं है। इस बार सहयोगी पार्टियों की सूची से मंत्रियों के नाम तय हो रहे हैं। तभी अटकलें ज्यादा लग रही हैं। पहली अटकल तो यही है कि मोदी कितने मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे? बताया जा रहा है कि 28 से 30 कैबिनेट मंत्री और लगभग इतने ही स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री और राज्यमंत्री शपथ लेंगे। यह भी कहा जा रहा है कि 18 से 20 मंत्री सहयोगी पार्टियों के होंगे, जिनमें सात या आठ कैबिनेट मंत्री सकते हैं। भाजपा नेताओं ने तो मुंह पर पट्टी लगा रखी है लेकिन सहयोगी पार्टियों में संभावित मंत्रियों के नाम पर खुल कर चर्चा हो रही है।
मिसाल के तौर पर जनता दल यू की ओर से चार नामों की चर्चा हो रही है। पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, भाजपा और जदयू के बीच सेतु का काम करने वाले संजय झा, अति पिछड़ी जाति से आने वाले रामनाथ ठाकुर और कुशवाहा समाज के सुनील कुमार के नाम की चर्चा है। लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग पासवान निश्चित रूप से मंत्री बनेंगे। वे दूसरा मंत्री पद भी मांग रहे हैं लेकिन उसके लिए उनके पास न तो कोई नेता है और ने मंत्री पद मिलने की संभावना है। ऐसे ही राष्ट्रीय लोकदल की ओर से जयंत चौधरी का मंत्री बनना तय माना जा रहा है। लोकसभा में उनके दो सांसद हैं और वे खुद राज्यसभा सदस्य हैं।
सहयोगी पार्टियों की ओर से सबसे दिलचस्प नाम महाराष्ट्र से आ रहे हैं। अजित पवार की एनसीपी की ओर से प्रफुल्ल पटेल के नाम की चर्चा हो रही है। वे चार साल की राज्यसभा छोड़ कर छह साल के लिए राज्यसभा में गए हैं। वैसे अजित पवार की पार्टी का सिर्फ एक ही सांसद जीता है लेकिन वे प्रफुल्ल पटेल को मंत्री बनाना चाहते हैं। ध्यान रहे वे मनमोहन सिंह की सरकार में भी मंत्री रहे थे और उन पर कई घोटाले के आरोप भाजपा ने खुद ही लगाए थे। इसी तरह दूसरा दिलचस्प नाम एकनाथ शिंदे की शिव सेना की ओर से मिलिंद देवड़ा का है। वे राज्यसभा में हैं और मनमोहन सिंह की पहली सरकार में मंत्री थे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे के नाम की भी चर्चा हो रही है। जेडीएस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी स्वाभाविक दावेदार हैं। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि अगर वे कर्नाटक की राजनीति में ही रहने का विकल्प चुनते हैं तो डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश को हराने वाले उनके बहनोई डॉक्टर बी मंजूनाथ मंत्री हो सकते हैं।
सहयोगी पार्टियों में सबसे ज्यादा मंत्री तेलुगू देशम पार्टी के बनेंगे। पहले तो चंद्रबाबू नायडू ने पांच मंत्री पद की मांग की थी लेकिन कहा जा रहा है कि उन्हें दो कैबिनेट और दो राज्यमंत्री का पद मिल सकता है। उनके करीबी जयदेव गल्ला मंत्री पद के दावेदार हैं लेकिन वे सांसद नहीं हैं और अभी तुरंत राज्यसभा की कोई सीट खाली होती नहीं दिख रही है। तभी जयदेव गल्ला की गुंटूर सीट से चुनाव जीते डॉ. चंद्रशेखर पेमासानी के नाम की चर्चा है। दिल्ली के शराब घोटाले की वजह से चर्चा में आए मागुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के नाम की भी चर्चा है। लेकिन अगर वे मंत्री बने तो आम आदमी पार्टी को हमला करने का मौका मिलेगा। इनके अलावा लोकसभा के स्पीकर रहे दिवंगत जीएम बालयोगी के बेटे जीएम हरीश और के राममोहन रेड्डी के नाम की भी चर्चा हो रही है।