नफरत के नए-नए जुमले आ रहे है!
कहते है जब से देश में मोदी सरकार आई है, तब से देश में ‘असहिष्णुता’ बढ़ गई है। सच तो यह है कि भारत में 'घृणा' न तो मई 2014 से बढ़ी है और न ही इसका संबंध कुछ दशक पुराना है। इसकी जड़े सदियों पुरानी है। कालांतर में छल-बल से मतांतरण, नरसंहार, गोवा इंक्विज़िशन, भारत का रक्तरंजित विभाजन और कश्मीर का 1989-91 घटनाक्रम आदि इसके प्रमाण है। विडंबना है कि जो लोग ‘मोहब्बत की दुकान’ खोलकर बैठे है, उनके गोदाम से घृणा के उत्पाद एक-एक करके बाहर आ रहे है। मंगलवार (5 दिसंबर) को आई.एन.डी.आई. गठबंधन के महत्वपूर्ण अंग...