• नफरत के नए-नए जुमले आ रहे है!

    कहते है जब से  देश में मोदी सरकार आई है, तब से देश में ‘असहिष्णुता’ बढ़ गई है। सच तो यह है कि भारत में 'घृणा' न तो मई 2014 से बढ़ी है और न ही इसका संबंध कुछ दशक पुराना है। इसकी जड़े सदियों पुरानी है। कालांतर में छल-बल से मतांतरण, नरसंहार, गोवा इंक्विज़िशन, भारत का रक्तरंजित विभाजन और कश्मीर का 1989-91 घटनाक्रम आदि इसके प्रमाण है। विडंबना है कि जो लोग ‘मोहब्बत की दुकान’ खोलकर बैठे है, उनके गोदाम से घृणा के उत्पाद एक-एक करके बाहर आ रहे है। मंगलवार (5 दिसंबर) को आई.एन.डी.आई. गठबंधन के महत्वपूर्ण अंग...

  • विपक्ष अभी भी भाजपा की ताकत को समझा नहीं!

    अगर विपक्ष ऐसे ही टोने-टोटकों और जोड़-तोड़ के समीकरणों के भरोसे बैठा रहा, तो कहा जा सकता है कि 2024 और उसके आगे भी आम चुनावों में उसका कोई भविष्य नहीं है। अगर वह अपना भविष्य बनाना चाहता है, तो उसे राजनीति की नई परिकल्पना करनी होगी- राजनीति क्या है इसकी एक नई समझ बनानी होगी। नई राजनीति नए तौर-तरीकों से ही की जा सकती है। इसलिए ऐसे तौर-तरीके ढूंढने होंगे।लेकिन ऐसा इलीट कल्चर (अभिजात्य संस्कृति) में जीते हुए करना असंभव है। यह एक श्रमसाध्य राजनीति है, जिसके लिए कम से कम आज का विपक्ष तो तैयार नहीं दिखता।  ...

  • हमें कैसा हीरो चाहिए?

    कुछ लोग संदीप रेड्डी वांगा के सिनेमा को समस्याजनक कह रहे हैं। ज़हरीली मर्दानगी का प्रचार बता रहे हैं। मगर वे सब ‘एनीमल’ के बंपर हिट होने से हतप्रभ हैं। गीतकार-अभिनेता स्वानंद किरकिरे कहते हैं कि 'औरत’, ‘साहब बीवी और गुलाम’, ‘अनुपमा’, ‘अंकुर’, ‘भूमिका’, ‘मिर्च मसाला’, ‘इंग्लिश विंग्लिश’, ‘क्वीन’ आदि फ़िल्मों ने महिलाओं के अधिकारों और उनकी स्वायत्तता का सम्मान करना सिखाया था। लेकिन ‘एनीमल’ देख कर मुझे आज की महिलाओं पर दया आई। …. किरकिरे मानते हैं कि ‘एनीमल’ हमारे सिनेमा का भविष्य नए सिरे से तय करेगी। परदे से उलझती ज़िंदगी मनोज बाजपेयी के अभिनय की एक और...

  • न तो ये युद्ध है न ही आक्रमण, यह है नस्ल संहार

    भोपाल। संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार गाज़ा पट्टी पर इज़राइल की फौजी कार्रवाई ने अब तक 17000 (सत्रह हज़ार) और 700 (सात सौ) फिलिस्तीनी लोगों की मौत/हत्या/वध का जिम्मेदार है। यूक्रेन और रूस के दरम्यान पिछले साल भर से चल रहे युद्ध में भी इतने लोगों की मौत नहीं हुई जितनी इज़राइल की अहंकारी नेत्न्याहु सरकार ने एक माह में भी निहत्थे नागरिकों को मौत की नींद सुला दिया हैं। भारत के संदर्भ में ने इतनी मौतंे बंगला देश युद्ध में भी नहीं हुई थी। शायद दूसरे महायुद्ध में बर्लिन के घेरे के समय भी दोनों...

  • सोमवार तक होगी राह समाप्त

    भोपाल। प्रदेश में नई सरकार का मुखिया कौन होगा इसको लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक दौड़-भाग चल रही है। हाईकमान ने 3 पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिये हैं जो कि शनिवार को भोपाल पहुंचेंगे और फिर सोमवार शाम 7 बजे विधायक दल की बैठक होगी जिसमें नेता की घोषणा की जाएगी। दरअसल, सरकार तो भाजपा की आ गई लेकिन इस सरकार का सरदार कौन होगा इसको लेकर पिछले 5 दिनों से कयास लगाए जा रहे हैं। इस बीच पांच सांसदों ने विधायक चुने जाने के बाद सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है और इनमें से दो नरेंद्र सिंह तोमर...

  • ताकि सुर्खी बने, वायरल हो!

    अक्सर मांसाहार को लेकर भाजपा और संघ के कार्यकर्ता इस तरह के हंगामें देश भर में खड़े करते रहते हैं। ख़ासकर बीफ का व्यापार करने वालों के ख़िलाफ़। उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में बीफ के निर्यात का दूसरा सबसे बड़ा देश है। इस कारोबार में 60 प्रतिशत से ज़्यादा हिंदू व्यापारी लगे हुए हैं। अगर भाजपा का लक्ष्य मांसाहार को बंद करवाना है तो पहले बीफ के इन हिंदू निर्यातकों के कारोबार बंद करवाये जाने चाहिए। जयपुर के हवा महल विधान सभा क्षेत्र से चुनाव जीते बाबा बालमुकुंद आचार्य, विधान सभा में शपथ लेने के पहले ही मीडिया की...

  • विधानसभा चुनाव परिणाम बनाम महाभारत की द्यूत क्रीड़ा…!

    भोपाल। जब कुछ ऐसा घटित होता हैं जो असामान्य या असंभावित हो तब – तब शकुनि के पाँसों के चमत्कार की याद आती है ! जिस प्रकार जुए में हार – जीत होती है, परंतु यदि एक पक्ष की ही विजय हो तब कुछ असंभव को संभव कला का संदेह होता हैं। जिस प्रकार पांडवों की लगातार द्यूत में शकुनि के मंत्र अभिसिक्त पाँसों ने अपने मालिक के कहे को सत्य किया कुछ उसी प्रकार चुनावों में शायद ईवीएम मशीनों ने भी चुनाव परिणाम उगले हैं। क्यूंकि विरोधी दलों उम्मीदवारों को उनके ही गाँव में फक्त 40 से 50 वोट...

  • कांग्रेस को कांग्रेसी नेताओं ने मारा

    पूरे पांच साल गहलोत औरपायलट लड़ते रहे।...गहलोत तो वैसे भी जब भी मुख्यमंत्री बने हैं कभी बात नहीं करते। हार कर वापस आने के बाद ही मिलते हैं। इसलिए उनका पांच साल तक नहीं मिलना कोई नई बात नहीं है। वह तो एक प्रसंग आ गया तो उनका नाम लिख दिया। नहीं तो कांग्रेस में अधिकांश नेता ऐसे हैं जो पावर में रहते हुए चाहे वह सरकार का हो या संगठन का कभी बात नहीं करते। अपने अहंकार को वे अपना बड़प्पन समझते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि वे कितने छोटे होते चले जा रहे हैं। कांग्रेस हार...

  • कौन बनेगा मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब यक्ष प्रश्न यही है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा और क्या उत्तर प्रदेश की तर्ज पर इस बार प्रदेश में उपमुख्यमंत्री भी बनाए जाएंगे क्योंकि आधा दर्जन दावेदार इन पदों के लिए माने जा रहे हैं, तो वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार माने जा रहे हैं लेकिन जिस तरह से भाजपा ने इस बार फिर भाजपा फिर शिवराज के नारे की जगह फिर इस बार भाजपा सरकार का नारा दिया है और जो उसके पोस्टर थे जो वीडियो रथ घुमाए गए...

  • शत्रु व संकट नाशक काल भैरव

    भारत में भैरव की अनेक विख्यात मंदिरें हैं, लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर से पौने दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित काशी का काल भैरव मंदिर सर्वप्रमुख माना जाता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक राग का नाम इन्हीं के नाम पर भैरव रखा गया है।...इसे कालभैरव जयन्ती, भैरवाष्टमी, भैरव जयंती, भैरव अष्टमी, कालाष्टमी आदि नामों से भी जाना जाता है। शत्रुओं के नाश और जीवन में सफलता, शांति व समृद्धि प्राप्ति के लिए मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव की पूजा करने की पौराणिक परिपाटी है। 5 दिसम्बर -काल भैरव अष्टमी शिरोभूषण के रूप में...

  • यूक्रेनः आल इज़ नॉट वेल!

    आल इज़ नॉट वेल। दिसंबर ज़रा भी खुशनुमा नहीं है। हवा में उदासी और निराशा घुली हुई है। सन् 2023, इतिहास बनने वाला है। दुनिया झमेलों में उलझी हुई है। कई देश मुसीबतों से जूझ रहे हैं। हमें बताया जा रहा है कि लोकतंत्र का भविष्य अंधकारमय है। अर्थव्यवस्थाएं थपेड़े खा रही हैं। दुनिया गर्म, और गर्म होती जा रही है। दो युद्ध जारी हैं। और ऐसा लगता है कि वे 2024 में भी जारी रहेंगे। पिछली सर्दियों में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन संघर्ष इन सर्दियों में दम तोड़ता सा लग रहा है। पश्चिमी और अन्य देशों का ध्यान अब इजराइल-हमास...

  • सनातन विरोध और बहनों की लहर पर मोदी-मामा का मैजिक…

    भोपाल। मध्यप्रदेश- राजस्थान और छत्तीसगढ़ में लाडली बहनों और किसानों की लहर पर सवार भाजपा ने इतिहास रच दिया। मप्र में मोदी और मामा शिवराज के मैजिक से कांग्रेस परास्त हो गई। राहुल गांधी ने कहा था मप्र - छग में कांग्रेस क्लीन स्वीप करेगी लेकिन कर दिया भाजपा ने। सम्भवतः पहली दफा कांग्रेस को सनातन विरोध व हिंदू विरोधियों को मौन समर्थन देने की भारी कीमत चुकानी पड़ी। विशेषज्ञ साफ्ट माने जाने वाले सनातनियों के इस बदलते रवैये को बड़े बदलाव के रूप में देख रहे हैं। जानकार और जिज्ञासु अवश्य इसका विश्लेषण करेंगे। चुनावी नतीजों ने साफ कर...

  • साधू-संत को क्यों भय लगे, सुरक्षा में रहे?

    प्रेमानंद महाराज जी देश के एक अति शक्तिशाली राजनेता से इतने कड़े शब्दों में ऐसा इसलिए कह सके  क्योंकि उनका हृदय निर्मल है और उन्होंने जीवन में कठोर तप किया है और उन्हें किसी भी सरकार से किसी लाभ, उपाधि या सहायता की कोई अपेक्षा नहीं है। अब ज़रा परिदृश्य को बदलिए और देखिए उन तथाकथित संतों की ओर जो अध्यात्म का चोला ओढ़ कर वैभव, सत्ता और ग्लैमर का सुख भोग रहे हैं। किसी एक का नाम लेने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा, क्योंकि इनकी फ़ेहरिस्त बहुत लंबी है। पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत...

  • भाषा, संस्कृति के प्रति समर्पित रहे डॉ.राजेंद्र प्रसाद

    ग्रामीण भारत,सनातन संस्कृति,मातृभाषा भोजपुरी से प्रेम,संविधान सभा के अध्यक्ष,दो दो बार राष्ट्रपति,स्वतंत्रता सेनानी,गांधी के सर्वश्रेष्ठ अनुयायियों में एक महान राजेंद्र बाबू जी की चरित्र गाथा युगों युगों तक भारत वर्ष की आने वाली पीढ़ियों को उत्प्रेरित करती रहेंगी। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का नाम लेते ही मन मस्तिष्क में एक ऐसे व्यक्तित्व की छवि झिलमिलाने लगती है, जिसकी सादगी,विद्वता, सरलता,श्रेष्ठता के अनेकों किस्से देश की स्मृतियों में जीवंत बने हुए हैं।इनकी इसी छवि के कारण इन्हें 'सादा जीवन,उच्च विचार' के कहावत के सटीक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इन्हें तीव्र बुद्धिमान सफल छात्र...

  • इजराइल को दूरगामी नुकसान हुआ है

    दुनिया ने आवाक होकर इस भयानक नजारे को देखा और फिर उसका विरोध एवं उस पर गुस्सा कई रूपों में व्यक्त हुआ। नतीजतन, दुनिया की निगाह में आम तौर पर पूरे पश्चिम- और विशेष रूप से अमेरिका और इजराइल का अख़लाक पूरी तरह चूक गया है। चूंकि इजराइल और हमास एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं, इसलिए मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि उनमें एक को हुआ नुकसान दूसरे का लाभ है। इजराइल और फिलस्तीन के बीच 47 दिन तक चली लड़ाई के बाद ‘मानवीय आधार पर हमले रोकने’ के लिए हुए समझौते का श्रेय अमेरिका के...

  • पाँच राज्यों के चुनाव: कई संभावनाएँ, कई सवाल…?

    भोपाल। आज तेलंगाना में मतदान सम्पन्न होने के साथ ही पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों का यह दौर समाप्त हो गया है, अब पांच राज्यों के ही नहीं पूरे देश के मतदाताओं व राजनीतिक दलों को इन चुनावों के परिणामों का बेसब्री से इंतजार है, चूंकि कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ इन चुनावों को एक सौ दिन बाद होने वाले लोकसभा चुनावों का ‘सेमीफायनल’ मान रहे है, इसलिए देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसके सर्वोच्च नेता भी इन चुनावों के परिणामों के प्रति काफी उत्सुक है, इन पांच राज्यों के चुनावों के प्रति क्षेत्रीय दलों के साथ दोनों राष्ट्रªीय...

  • संघ परिवार: हिन्दुओं पर प्रहार

    संघ नेताओं द्वारा गंभीर मुद्दों पर मुल्लों की तरह फतवे देकर मनगढ़ंत बातें कहने की जिद क्या दर्शाती है? यह कैसा आचरण है? यह न हिन्दू आचार है, न हिन्दू ज्ञान परंपरा से जुड़ाव, न जिम्मेदार बौद्धिकता, न देश-हितकारी।….नित झूठे बयानों से ऐसे संघ-भाजपा नेता कौन सा 'चरित्र निर्माण' कर रहे हैं, यह सभी के लिए विचारणीय है। हाल में आर.एस.एस. (संघ) के एक सर्वोच्च नेता ने हिन्दू समाज पर कहा: "हम ने अपने ही साथी मनुष्यों को सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा। हम ने उन की परवाह नहीं की और यह सिलसिला दो हजार साल चलता रहा। उन का...

  • काटे नहीं कटते ये दिन ये रात

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 17 नवंबर को मतदान हो चुका है और 3 दिसंबर को परिणाम आएगा इस लंबे अंतराल को लेकर हर जगह बेसब्री का आलम है उम्मीदवार के समर्थक जहां स्ट्रांग रूम की सुरक्षा कर रहे हैं वही अधिकांश उम्मीदवार धार्मिक स्थान पर माथा टेक रहे हैं आज शाम को एग्जिट पोल के नतीजे भी आएंगे तो दो दिन इसी की बहस में काटे जाएंगे क्योंकि सभी को परिणाम का इंतजार है। दरअसल छोटी-छोटी बातों पर जिज्ञासा रखने वाले मानव स्वभाव के लिए यह बहुत कठिन हो जाता है जब बड़े फैसले के लिए...

  • अखंड सौभाग्य के लिए सौभाग्य सुंदरी व्रत

    कज्जली तृतीया, गौरी तृतीया, हरितालिका तृतीया, सौभाग्य सुंदरी आदि अनेक व्रत और पर्वों का आयोजन किसी न किसी माह की तृतीया तिथि के दिन ही संपन्न होता है। चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर तृतीया, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया, ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया के दिन रम्भा तृतीया, श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को तीज उत्सव, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को वाराह जयंती मनाए जाने की परंपरा है। 30 नवंबर- सौभाग्य सुंदरी व्रत भारतीय पंचांग के अनुसार महीने में दो बार, पूर्णिमा और अमावस्या के बाद तीसरे दिन आने वाली...

  • पिछड़ी जातियों के वोटों की राजनीति…!

    भोपाल। नाइन इयर के कार्यकाल में प्रधानमंत्री ने अनेक परदेशों के नेत्रत्व को झटका दिया है। पहला झटका उत्तराखंड फिर गुजरात और महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्रियों को लगा। इन लोगों को जिस प्रकार बेबस कर के पैदली मात दी वह उनके अपराजेय व्यक्तित्व का विज्ञापन ही है। अब इस बार उनका निशाना उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ है ! हाल में ही हुए पाँच राज्यों मंे से चार में अपनी पार्टी की गिरती साख और आसन्न पराजय का आभास मिलते ही, राहुल गांधी के एजेंडा पिछड़ी जातियों की जनगणना के सामने झुकते हुए बीजेपी शासित राज्यों...

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