पंकज शर्मा
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झूठों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला
तमाम कोशिशों के गांधी भी बचे हुए हैं, नेहरू भी बचे हुए हैं और इंदिरा भी बची हुई हैं। गांधी तो क...
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इतिहास के कूड़ेदान में या कूड़ेदान के इतिहास में
मैं भी जगदीप धनखड़ को 39 साल से जानता हूं। जब वे देवीलाल-चंद्रशेखर को छोड़ कर राजीव गांधी के साथ ...
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भागवत-कृपा से बीते न बिताएं रतियां
मुझे लगता है कि भागवत अपने जन्मदिन 11 सितंबर को सेवानिवृत्ति का ऐलान कर देंगे। अब इस दृश्य की कल्पना करिए कि भाग...
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बेमुरव्वत निर्ममता को छू रही पक्षधरता
क्या आप देश के तक़रीबन 400 समाचार चैनलों में से दो-चार भी ऐसे बता सकते हैं, जो ...
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नरेंद्र भाई की संजीवनी हैं राहुल?
जैसे भगत-टोली शोर मचाती है कि देश के पास नरेंद्र भाई का विकल्प कहां है, मैं भी फुसफुसा कर पूछना...
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फ़र्क़ साफ़ है 55+20=75 का
आज का माहौल कुछ भी लगता हो, कल के आसमान पर राहुल की इबारत लिखी हुई है। राहुल के पास पच्चीस साल ...
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तमाशबीनों के भभ्भड़ में ग़ायब होते स्वर
यह समय किसी भी किस्म की रस्साकशी का नहीं है। लगातार अराजक होते जा रहे सोशल मीडिया मंच और उतना ही स्वेच्छाचारी मु...
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नए इतिहास की रचना का यह सवा महीना
हम विश्वगुरु बनने का दावा कर रहे थे और दुनिया आज हमारी तुलना पाकिस्तान से कर रही है। इस से ज़्यादा फ़ज़ीहत और क्या ...
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एकांतिक होते जा रहे राहुल गांधी
अपने तपे-तपाए लोगों को सोशल मीडिया के ज़रिए संबोधित करने के बजाय क्या राहुल या मल्लिकार्जुन खड़गे उन्हें बुला कर स...
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उकताहट के बीच मोरपंखी कलम में नई स्याही
नरेंद्र भाई और कुछ करें-न-करें, हमारा मन तो लगाए हुए हैं। उन की मायावी रचनाओं ...
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सिंदूरी यज्ञ की पाकीज़गी में भस्म नापाक मंसूबे
मैं आपदा में अवसर तलाशने के इस कौशल की दास्तां इसलिए दोहरा रहा हूं कि अभी जैसे ही
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रावण का जवाब रावण नहीं है, राम हैं
इन दस वर्षों ने सारी आबोहवा को कितना विषैला और कितना शंकित बना दिया है कि पराए के प्राण लेने पर तो सब आमादा हैं ...
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बौने लग्गूभग्गुओं के दौर का मीडिया
जो सल्तनत की हर अन्यायी नीति के कसीदे पढ़ने को अपनी तीर्थयात्रा समझ रहे हैं, उन...
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गुजरात से गूंजी दुंदुभि का भवितव्य
अहमदाबाद अधिवेशन की दुंदुभि से निकली बुलंद आवाज़ को नक्कारखाने की तूती बनने से रोकने का एक ही रामबाण है कि राहुल ...