मटमैले पहाड़ों से रिसता दर्दीला सौंदर्य
मैंने इस महीने का दूसरा सप्ताह लद्दाख में गुज़ारा। लद्दाख मैं कई बार गया हूं। मगर इस बार के लद्दाख ने मुझे नया नज़रिया दिया। लद्दाख के दिन इन दिनों गुनगुने हैं। लद्दाख की रातें...
मैंने इस महीने का दूसरा सप्ताह लद्दाख में गुज़ारा। लद्दाख मैं कई बार गया हूं। मगर इस बार के लद्दाख ने मुझे नया नज़रिया दिया। लद्दाख के दिन इन दिनों गुनगुने हैं। लद्दाख की रातें...
राहुल गांधी का छकड़ा नरेंद्र मोदी की बग्धी के एकदम बगल में आ कर खड़ा हो गया है। एक प्रतिशत का मत-अंतर आख़िर होता ही कितना है? सो, भी तख़्त-ए-मुनाफ़िक़त के हर मुमकिन प्रपंचों के...
पूत के पांव भी पालने में ही दिख जाते हैं, सपूत के पांव भी और कपूत के पांव भी। कहते हैं कि पूत सपूत तो का धन संचय और पूत कपूत तो का धन संचय।...
अगर चुनाव कुप्रबंधन के थोड़े भी पर्याप्त प्रमाण हों तो विपक्ष को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के ख़िलाफ़ संसद में महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पेश करना चाहिए।....विपक्ष को एक काम और करने की गांठ बांधनी चाहिए।...
नरेंद्र भाई हवा का रुख भांप गए थे कि स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाने की दलील दे कर आरएसएस इस बार उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनने देगा। सो, उन्होंने भाजपा संसदीय दल की बैठक ही...
अगर वे 2014 की ही तरह 2024 में भी प्रधानमंत्री बनने के लिए अड़े रहे तो अपनी डोली ढोने वाले कहार इस बार कहां से लाएंगे? कहारों की यह अनुपस्थिति ही आगामी ओस-बूंदों का आश्वासन...
‘ध्यान’ अगर ‘ध्यान’ है तो उसे मतदान के अंतिम चरण की पूर्व संध्या से शुरू कर मतदान ख़त्म होने पर ख़त्म करना ही क्यों ज़रूरी है? ध्यान अगर ‘ध्यान’ पर है और चुनाव पर नहीं...
आधुनिक चाणक्य समझने की झौंक में मोशा-क्लब से यह महा-भूल हो गई कि उस ने पिछली बार जीते अपने कुल 124 सांसदों को बड़े बेआबरू हो कर बाहर जाने पर मजबूर किया। पिछली लोकसभा में...
नरेंद्र भाई ने जो कहा, वह शब्दशः यूं हैः ‘‘मां के जाने के बाद मैं कन्विंस हो चुका हूं कि परमात्मा ने मुझे भेजा है। ऊर्जा बायोलोजिकल शरीर से नहीं, ईश्वर को मुझ से कोई...
अब इस बात में कोई शुबहा बाकी नहीं रह गया है कि हमारे प्रधानमंत्री जी इस लोकसभा चुनाव में ख़ुद को मिलने वाले समर्थन को ले कर मन-ही-मन हिले हुए हैं। मैं ने रिपब्लिक टीवी...
अटलजी तो अटलजी थे। जुगाड़ू सरकार का मुखिया बनाने के लिए उन की पालकी लोग अपने कंधों पर ख़ुशी-ख़ुशी लाद कर रायसीना पहाड़ी तक ले गए थे। नरेंद्र भाई तो लोगों के कंधों पर जबरन...
मैं ने इतिहास के वे पन्ने भी पढ़े हैं, जिन में 1977 के चुनाव में इंदिरा गांधी की हार के बाद जयप्रकाश नारायण से उन की मुलाकात का ज़िक्र है। जेपी आपातकाल के बाद जनता...
हुआ यह कि पांच चरणों के इस युग में कांग्रेस का ढोल बजा तो खूब, लेकिन तरह-तरह की व्यक्तिगत कार्यावलियों को अपनी चोर-जेब में छिपाए बहुत दिनों से ताक में बैठे कारकून इस ढोल की...
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा से समझौता करने से इनकार ऐसे ही नहीं किया है। ओडिशा में भी नवीन पटनायक भाजपा से अपना दामन बांधने से ऐसे ही नहीं कतराए हैं। समझ लीजिए...
घूमते-फिरते रहते हुए स्वयंसेवक बने रहना आसान है। प्रधानमंत्री-भाव का बोध अपने में भरना बहुत मुश्क़िल है।… सारे मंत्रालयों की सारी परियोजनाओं का शिलान्यास-उद्घाटन किसी और मंत्री को नहीं करने देने, बात-बात पर ‘एक अकेला,...