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दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक। नयाइंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर।
  • न प्रदूषण की वजह समझी न उपाय सही

    पर्यावरण विशेषज्ञ, नेता और संबंधित सरकारी विभागों के अफसर हर साल की तरह इस साल भी इस समस्या को लेकर सिर खपा रहे हैं। उन्होंने अब तक के अपने सोच विचार का नतीजा यह बताया है कि खेतों में फसल कटने के बाद जो ठूंठ बचते हैं उन्हें खेत में जलाए जाने के कारण ये धुंआ बना है जो एनसीआर के ऊपर छा गया है। लेकिन सवाल उठता है कि यह तो हर साल ही होता है तो नए जवाबों की तलाश क्यों हो रही है? आनन-फ़ानन में हर वर्ष दिल्ली सरकार कड़े कदम उठा कर कई तरह के प्रतिबंध...

  • अंग्रेजों की बनाई कैसे जनता की मित्र होगी?

    क्या आपको पता है कि भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 संविधान की मूल भावना के विरूद्ध है? भारत का संविधान, भारत की जनता को सर्वोच्च मानता है। उसको ही समर्पित है। भारतीय गणराज्य की समस्त संस्थाएं जनता की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किंतु भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 में कहीं भी जनता शब्द का उल्लेख नहीं आता है। जाहिर है कि यह अधिनियम उस समय बनाया गया था जब भारत पर ब्रिटिश हुकूमत कायम थी। इस कानून का उद्देश्य ब्रिटिश हितों को साधना था। पुलिस का काम जनता पर नियंत्रण रखना था।... आजादी के 75 साल बाद भी आज देश...

  • न क़र्ज़ में फंसे, न आफत मोल ले

    समझदारी इसी में है कि हम उधार लेने या किश्तों पर सामान लेने से पहले सोच-समझकर फैसला लें। उधार लेने से पहले खुद से ये सवाल अवश्य पूछें, क्या ऐसी वस्तु की इतनी ज़रूरत है कि बिना उधार लिए काम नहीं चलेगा? क्या समाज में अपने परिवार का रुतबा दिखाने के लिए कर्ज़ लेना ज़रूरी है? ऐसा तो नहीं कि हम लालच में आकर, अपनी चादर से बाहर पैर फैला रहे हैं? अगर ऐसा है, तो भलाई इसी में होगी कि आपके पास जितना है उसी में खुश रहिए और उधार लेने से बचे रहिए। त्योहारों के मौसम में ग्राहकों...

  • ईवीएम पर फिर उठे सवाल

    ग़ौरतलब है कि दुनिया के 31 देशों में ईवीएम का इस्तेमाल हुआ परंतु ख़ास बात यह है कि अधिकतर देशों ने इसमें गड़बड़ी कि शिकायत के बाद वापस बैलट पेपर के ज़रिये ही चुनाव किये जाने लगे।...जब शिकायत के साथ समाधान का सुझाव भी दिया जाए तो उस पर गौर करना चाहिए।...हाल ही में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने आगामी विधान सभा चुनावों में ईवीएम की गड़बड़ी पर आरोप लगाए और उन्हें रोकने के लिए सुझाव भी दिया। सिंह ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में ईवीएम के ट्रायल के दौरान इसमें...

  • नेता असभ्य क्यों होते जा रहे हैं?

    असभ्य नेता जब सदन में होते हैं तो वो भूल जाते हैं कि उनके विपक्ष में बैठे नेता भी एक जनप्रतिनिधि हैं। वो भी उतने ही सम्मान के हक़दार हैं जितने कि वे स्वयं को मानते हैं। परंतु सत्ता के नशे में चूर कुछ नेता, चाहे किसी भी दल के क्यों न हों अपने विपक्षी नेताओं को आजकल आम जनता की तरह समझने लगे हैं। ...कोई मशहूर व्यक्ति न सिर्फ़ राजनीति में बल्कि किसी भी अन्य क्षेत्र में क्यों न हो अगर शांत और शालीन स्वभाव के हैं तो उनका ज़िक्र हमेशा सम्मान के साथ ही होता है। ऐसी वाणी...

  • मीठा ज़हर है चीनी, बचें

    मीठा या शक्कर ‘ग्लूकोज’ के रूप में हो तो वह ठीक है। परंतु यही जब ‘फ्रुक्टोस’ के रूप में होता है वह हमें दिक्कत दे सकता है। इसका हमारे शरीर, दिमाग और हार्मोन पर अलग प्रभाव पड़ सकता है। ग़ौरतलब है कि शराब व अन्य नशीली चीजों की तरह चीनी भी दिमाग में ‘डोपामाइन’ नामक हार्मोन का स्राव बढ़ाती है। ऐसे में चीनी की लत लग जाती है, जो मानव शरीर के लिए काफ़ी हानिकारक है। हद से ज़्यादा हर चीज़ का सेवन करना हमारे शरीर के लिये हानिकारक होता है। यह बात हर उस चीज़ पर लागू होती है...

  • तनाव छोड़े की बेफिक्री घर के संस्कारों से ही!

    आज के युग में हर स्कूल में, हर अध्यापक को, छात्रों से भले कुछ ही क्षण के लिए ही सही, आध्यात्मिक चर्चा अवश्य करनी चाहिए। ऐसी चर्चा से छात्रों के मन में उत्साह बढ़ेगा। वो चाहे किसी भी धर्म का क्यों न हो ऐसी चर्चा से वे कठिन परिस्थितियों का सामना करने का साहस मिलेगा। ऐसा ही कुछ हर उस क्षेत्र में होना चाहिये जहां प्रतिस्पर्धा की दौड़ में लोगों पर दबाव है और वो तनाव का कारण बना हुआ है।  अक्सर देखा जाता है कि तनाव के कारण छात्र हो, युवा हो या कोई समझदार व्यक्ति, ऐसा क़दम उठा...

  • नरेश गोयल ने कैसे चलाई जेट एयरलांइस?

    जब भी कभी हम किसी बड़े उद्योगपति द्वारा किसी घोटाले के बारे में सुनते हैं तो अंदाज़ा लगा लेते हैं कि वो भी विजय माल्या, नीरव मोदी या मेहूल चौकसी जैसों की तरह अपने रसूख़ के चलते सज़ा से बच जाएगा या देश छोड़ कर भाग जाएगा। परंतु नरेश गोयल के मामले में ऐसा नहीं हुआ। इसके लिए सरकारी एजेंसियाँ बधाई की पात्र हैं। देर से ही सही पर नरेश गोयल पर शिकंजा कसा तो सही। नरेश गोयल की जेट एयरवेज़ की बात करें तो नागर विमानन क्षेत्र में शायद ही ऐसे किसी नियम का उल्लंघन होगा जो इनकी कंपनी...

  • जी-20 की मेजबानी में आवारा पशुओं का झंझट!

    जी-20 की शिखर बैठक को ले कर  दिल्ली के कुछ इलाक़ों से आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश भी जारी हुए थे, जिसे पशु प्रेमियों के विरोध के चलते रद्द किया गया। आदेश का विरोध कर, पशु प्रेमियों ने इसे आवारा कुत्तों के हित में बताया है। परंतु यहाँ सवाल उठता है कि इस समस्या से छुटकारा कैसे मिले? ....    दुनिया भर में केवल नीदरलैंड ही एक ऐसा देश है जहां पर आपको आवारा कुत्ते नहीं मिलेंगे। यहाँ की सरकार द्वारा चलाए गये एक विशेष कार्यक्रम के तहत वहाँ के हर कुत्ते को सरकार द्वारा इकट्ठा कर उसकी जनसंख्या नियंत्रण...

  • ट्रैफिक समस्या से निजात में क्या कुछ हो?

    आज के सूचना प्रौद्योगिकी के युग में गूगल मैप्स की मदद से हम कहीं भी जाने से पहले पूरा मार्ग देख कर यह जान लेते हैं, कि कितना समय लगेगा, जाम है या नहीं।  उसी आधार पर वैकल्पिक मार्ग का चयन कर लेते हैं। ठीक उसी तरह क्या ट्रैफ़िक पुलिस के अधिकारी कंट्रोल रूम में बैठ कर, गूगल मैप के ज़रिये जाम लगे इलाक़ों की सूचना संबंधित इलाक़े के पुलिस अफ़सरों नहीं दे सकते? यदि ऐसी सूचना संबंधित अधिकारियों को मिल जाए तो उन्हें भी पता चल जाएगा कि उन पर निगरानी रखी जा रही है। देश के महानगरों में...

  • डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन क़ानून पुख्ता नहीं

    इस विधेयक में ‘जैसा कि निर्धारित किया जाएगा’ वाक्य को 26 बार प्रयोग किया गया है। विपक्ष के अनुसार इसका सीधा मतलब यह है कि काफ़ी कुछ अंधेरे में है और नियमों को बंद दरवाज़े से लाया जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि यह बिल निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है और इससे सूचना का अधिकार (आरटीआई) क़ानून भी कमजोर होगा। आए दिन डिजिटल धोखाधड़ी के मामले सुनने को मिलते है। कुछ शातिर लोगों का गैंग एक योजनाबद्ध तरीक़े से कैसे भोले-भाले लोगों को ठगने की मंशा से उन्हें अपना शिकार बनाते हैं, इसकी खबरे आती रहती है।ठगी...

  • विश्वास नहीं हुआ दिल्ली एम्स को सुधरा देख!

    पुरानी यादों को दिमाग़ में रखते हुए, काफ़ी हिम्मत करके, कई वर्षों बाद एम्स गया। परंतु वहाँ का बदला हुआ स्वरूप देख कर ऐसा लगा ही नहीं कि ये वही एम्स है। मेन बिल्डिंग में घुसते ही जगह-जगह न्यू राजकुमारी अमृत कौर ओपीडी के दिशा निर्देशक बोर्ड लगे थे। जैसे ही हम अपने गंतव्य पर पहुँचे वहाँ पर भीड़ को नियंत्रित और निर्देशित करते हुए मेगामाइक से लैस गार्ड दिखाई दिये। ओपीडी की बिल्डिंग में साफ़ सुथरे निर्देशक बोर्ड लगे थे। देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों को लेकर हमेशा सवाल उठाए जाते हैं। सरकारें आती-जाती रहती हैं और...

  • मणिपुर: इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यों लुटा?

    जब भी कोई मणिपुर की सरकार या सत्तारूढ़ दल के नेताओं से सवाल पूछता है तो वे दूसरे राज्यों में हुई महिला अपराधों की घटनाओं या अन्य हिंसा के मामलों कि तुलना करते हैं। ऐसा करके वे असल मुद्दे से ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं। …मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के अधिकतर सवालों का जवाब देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के पास नहीं था। दो दिन से सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार से जो-जो सवाल पूछे जा रहे थे उनका उत्तर या संबंधित आँकड़े मीडिया के माध्यम से सभी को पता हैं परंतु अफ़सोस की बात है...

  • डीजीसीए हाईफाई निजी चार्टर सेवा में भी लापरवाह!

    एआर एयरवेज़ नाम की एक निजी एयर चार्टर कंपनी का मामला गंभीर है। कंपनी के मालिक अशोक चतुर्वेदी नियमों की धज्जियाँ उड़ा कर, गृह मंत्रालय द्वारा ‘सिक्योरिटी क्लीयरेंस’ (सुरक्षा मंजूरी) की बुनियादी आवश्यकताओं का उल्लंघन करके एयरलाइन चला रहे हैं।...राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने और अति विशिष्ट यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ करने का एक स्पष्ट मामला है। पिछले सप्ताह मैंने देश के नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की लापरवाही का एक उदाहरण दिया था जिसमें डीजीसीए एक निजी एयरलाइन की ग़लतियों को अनदेखा कर रही थी। देर से ही सही पर डीजीसीए जागी ज़रूर। मालूम हुआ है कि देश के...

  • क्यों देर से जागा डीजीसीए?

    जब भी कभी विमान का पिछला हिस्सा जमीन से टकरा जाता है उसे टेलस्ट्राइक कहते हैं। अक्सर एयरलाइन कंपनियाँ ऐसी घटनाओं को रिपोर्ट नहीं करतीं। ग़ौरतलब है कि टेलस्ट्राइक की घटना जानलेवा होने के साथ-साथ विमान में हवा का दबाव को स्थिर रखने वाले ढाँचे को भी नुक़सान पहुँचा सकती है। टेलस्ट्राइक विमान के टेकऑफ़ या लैंडिंग के समय होती है। जब भी कोई विमान हादसा होता है या होते-होते टल जाता है तो भारत का नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ऐसी घटना की जाँच करता है। ऐसे मामलों में जाँच पूरी होने तक डीजीसीए उस विमान के पायलट व...

  • आपदा नहीं, मानव निर्मित तबाही

    दिल्ली और उसके आसपास के इलाक़ों का जो हाल हुआ है उससे सभी अचंभे में हैं। जगह-जगह जल भराव के कारण लगे लम्बे ट्रैफिक जाम ने पूरी व्यवस्था की जो पोल खोली उससे कई अन्य सवाल भी उठते हैं। जल भराव के लिये क्या केवल भारी वर्षा ही ज़िम्मेदार है? जल भराव से निपटने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर चलाई जाने वाली योजनाओं को क्या पूरी गुणवत्ता से पूरा किया जाता है? क्या नगर निगम या लोक निर्माण विभाग के अधिकारी अपना काम पूरी ज़िम्मेदारी से करते हैं? मूसलाधार बारिस के कारण देश के उत्तरी भाग से बरबादी के...

  • पर्यावरण संरक्षण, सुप्रीम कोर्ट की पहल

    73 सालों के इतिहास में अब भारतीय न्यायपालिका के पूरी तरह डिजिटल होने की शुरुआत का यह पहला कदम है। फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट की पहली 3 कोर्ट ही ‘ग्रीन कोर्ट’ बनीं हैं। इन तीनों अदालतों में अब ना मोटी-मोटी केस फाइलें होंगी ना ही कोर्ट रूम में पिछले 50 सालों के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की ढेरों किताबें नजर आएंगी। देश की सर्वोच्च अदालत ने बीते सोमवार को ‘पेपरलेस’ होने की शुरुआत की। पर्यावरण संरक्षण की मंशा से की जाने वाली इस पहल का देश भर में स्वागत किया जा रहा है। कोविड महामारी ने जिस तरह ‘वर्क फ्रॉम होम’...

  • विदेशी मीडिया पर भी छुई-मुई मोदी भक्त!

    अमेरिका के प्रसिद्ध अख़बार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की पत्रकार सबरीना सिद्दीकी ने प्रधान मंत्री मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान उनसे भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर सवाल पूछा था। इस सवाल को लेकर मोदी समर्थकों ने उनका ऑनलाइन उत्पीड़न शुरू कर दिया है। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा की व्हाइट हाउस को भी उस महिला पत्रकार के समर्थन में बयान जारी करना पड़ा। एक स्वस्थ लोकतंत्र में मीडिया की अहम भूमिका होती है। समय-समय पर पत्रकार सत्तारूढ़ दल और सरकार से राष्ट्रहित के सवाल पूछते रहते हैं। वहीं सरकार भी समय-समय पर अपनी उपलब्धियों के विषय में...

  • सावधान! ऊपरवाला देख रहा

    बेहतर है यदि आप ‘डिजिटल’ युग में आप नक़द भुगतान कम से कम करें और देश को उन्नति की ओर ले जाएँ। वरना ध्यान रहे ‘ऊपर वाला सब देख रहा है!’ ...हर वाहन चालक समय-समय पर अपने वाहन पर लगे ‘फ़ास्ट टैग’ को रिचार्ज भी करता रहता है जिससे कि कम बैलेंस के चलते वाहन को टोल पार करने में कोई दिक़्क़त न हो। परंतु क्या आपने इस बात पर ग़ौर किया है कि इस सारे लेन-देन और यात्राओं का भी रिकॉर्ड बन रहा होगा। देश की एक नामी सीसीटीवी कंपनी ने अपने विज्ञापन में इस लाइन को प्रमुखता दी...

  • एफ़आइआर पर सुप्रीम कोर्ट का अंहम फैसला

    इस ऐतिहासिक फ़ैसले से देश भर की जानता, अदालतों और पुलिस विभाग में एक सकारात्मक संदेश गया है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फ़ैसले में एक महत्वपूर्ण बात यह बताई थी कि यदि किसी पक्ष को यह लगता है कि उसके ख़िलाफ़ कोई एफ़आइआर बदले या बदनामी की भावना से दर्ज कराई गई है तो उसे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत रद्द करवाया जा सकता है। एक पुरानी कहावत है, ‘जब घी सीधी उँगली से न निकले तो उँगली टेढ़ी करनी पड़ती है’ यानी जब कभी भी आपका कोई काम आसानी से न हो रहा हो तो आप...

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