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दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक। नयाइंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर।
  • विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

    सीधे-सादे छत्रों को ठगने में एजेंट पीछे नहीं रहते। इतना ही नहीं अब तो कई ऐसे एजेंट हैं जिनके कनाडा में कॉलेज भी हैं और वो छात्रों को बड़ी आसानी से दाख़िला भी दे देते हैं। ...इसलिए यदि आप या आपका कोई जानकार विदेश में पढ़ाई करने के बारे में सोच रहा है तो उसे पूरी छान-बीन के बाद ही ऐसा कदम उठाना चाहिए। हमारे देश से उच्च शिक्षा पाने के लिए विदेश जाना कोई नई बात नहीं है। विदेश से पढ़ाई करने वाले भारतीयों की संख्या काफ़ी है। जैसे-जैसे समय बदला दुनिया के कई देशों में नामी नए शैक्षणिक...

  • सावधान!आपकी आवाज की क्लोनिंग वाले फोन कॉल से

    कभी भी अनजान नंबर से आने वाली कॉल, ख़ासकर जिस नम्बर से पहले +92 लगा हो उसे न उठाएँ। कॉल करने वालों के लाख कहने पर भी उनकी बातों में न आएँ। अपने बैंक खाते या अन्य ज़रूरी जानकारी को कभी शेयर न करें। ऐसे नंबरों को तुरंत ‘ब्लॉक’ करें। जैसे ही यह पता चले कि आपके साथ ठगी हो सकती है या आप इनके शिकार हो चुके हैं तो पुलिस को इसकी इत्तला तुरंत दें। आप जानकार रहेंगे तभी तो सुरक्षित रहेंगे। fraud number calling  यह भी पढ़ें: भाजपा के दक्कन अभियान की चुनौतियां साइबर अपराधों में लिप्त अपराधी...

  • बिल्डिंग निर्माण में क्वालिटी का फिर सवाल!

    दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाक़े में स्थित एम्बिएंस मॉल की छत रविवार की देर रात अचानक गिरी। ग़नीमत है कि यह हादसा मध्यरात्रि के बाद हुआ जब वहाँ पर लोग नहीं थे। यदि ऐसा हादसा सुबह या दोपहर के समय हुआ होता तो जान-माल का नुक़सान कई गुना होता, क्योंकि वहाँ पर काफ़ी भीड़ रहती है। कहा यह जा रहा है कि मॉल में कुछ मरम्मत कार्य चल रहा था जिसके चलते यह हादसा हुआ। पिछले सप्ताह दिल्ली एनसीआर के दो शॉपिंग मॉल की छत गिरने से देश भर में एक ख़ौफ़ का संदेश गया है। आखिर एक नामी...

  • हममें इंसानियत खत्म होती जा रही!

    घटना कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की है जहां पर मेट्रो के सुरक्षाकर्मी ने एक बुजुर्ग यात्री को इसलिए ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया क्योंकि उस बुजुर्ग किसान के कपड़े गंदे और पुराने दिखाई दे रहे थे। जब मेट्रो के सुरक्षाकर्मी की इस हरकत पर सह-यात्रियों ने आपत्ति जताई तो वहाँ पर हंगामा खड़ा हो गया और देखते ही देखते इस पूरे प्रकरण का वीडियो वायरल हुआ। मेट्रो सुरक्षाकर्मी की इस ग़ैर-ज़िम्मेदाराना हरकत ने औपनिवेशिक काल की याद दिला कर फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि भारत के हम लोग ऐसे असंवेदनशील होते हुए कैसे हैं? humanity अंग्रेजों के शासन...

  • सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जगाई

    जिस तरह से चंडीगढ़ के मेयर के चुनाव (Chandigarh Mayor election) के मामले ने सुप्रीम कोर्ट पहुँच कर तूल पकड़ा, देश भर की जनता में एक उम्मीद की किरण जागी है। बात यहाँ किसी भी दल की नहीं है बल्कि एक अधिकारी द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप से बेईमानी की है। कोर्ट के कड़े रुख़ से यह बात भी साफ़ हो गई कि मामला चाहे एक मेयर के छोटे से चुनाव का ही क्यों न हो, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता होना बहुत ज़रूरी है। बचपन में जब हम सभी दोस्त मिल कर क्रिकेट खेलते थे तो कोई मित्र बैट ले...

  • प्रतिकूल क़ब्ज़े पर अहम फ़ैसला

    सुप्रीम कोर्ट पहुँचा तो कोर्ट ने यह बात स्पष्ट कर दी कि मकान मालिक और किरायेदार विवाद में प्रतिकूल क़ानून लागू नहीं होता। इस मामले में कोर्ट ने तीन अहम बातें कहीं। पहला यह कि जिस भी व्यक्ति ने ज़मीन को उसकी क़ीमत अदा करके अपने सौदे को रजिस्टर करवाया है वही उसका मालिक है। किरायेदार और मकान मालिक के पुराने चलते आ रहे विवाद में किरायेदार मालिक कभी नहीं हो सकता। यदि आप अपने मकान में किसी को किरायेदार रखते हैं तो प्रायः आप ग्यारह महीनों के लिए एक अनुबंध करते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि इस...

  • फ्लाइट 516 के विमान चालकों, यात्रियों का कमाल!

    2024 की शुरुआत में जापान के हानेडा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पर जो हुआ वह एक अच्छी ट्रेनिंग और जापानी यात्रियों के संयम और आपात स्थिति का सामना करने की गंभीरता के चलते ही संभव हुआ। यहाँ एक सवाल उठता है कि क्या ऐसे हादसों से दुनिया भर के अन्य यात्री, फिर वो चाहे हवाई यात्री हों या अन्य साधनों से यात्रा करने वाले, क्या कोई सबक़ लेंगे? .... फ्लाइट 516 के यात्रियों ने बिना घबराए जो कर दिखाया, उससे सभी को सबक़ लेने की ज़रूरत है। ऐसा संभव इसलिए हुआ क्योंकि विमान के क्रू और उनके निर्देशों का पालन कर रहे...

  • कितने सार्थक होंगे नए आपराधिक क़ानून?

    इन नये क़ानूनों में भी 90 प्रतिशत क़ानून औपनिवेशिक काल के ही हैं जिनका केवल अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद ही किया गया है। यानी कि जो बात अंग्रेजों ने नहीं की वो आज की मौजूदा सरकार द्वारा की जा रही है।...कपिल सिब्बल ने इन बिलों का विरोध करते हुए इन्हें “मानवाधिकार विरोधी” बताया।देश के पूर्व एएसजी अमन लेखी कहते हैं कि “इन नए क़ानूनों को बदलने की कोई ज़रूरत नहीं थी। .... सही है कि ये क़ानून ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए ज़रूर गये थे परंतु समय के चलते इन्हीं क़ानूनों को हमारे द्वारा ही विकसित किया गया था। देश...

  • जागरूक भक्तों ने बचाया ओशो आश्रम

    जब भी कभी कोई आध्यात्मिक गुरु या संगठन काफ़ी विख्यात हो जाता है तो उसमें विवाद भी पैदा होने लगते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ विश्व भर के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु ओशो के संगठन के साथ। कुछ दिनों पहले ओशो रजनीश का पुणे स्थित आश्रम भी ऐसे ही कारणों के चलते सुर्ख़ियों में रहा। विवाद का कारण पुणे के ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट की ज़मीन में से 3 एकड़ जमीन को ओशो के ही कुछ अनुयायियों और पूर्व ट्र्स्टी द्वारा मिलकर बेचना था। इससे ओशो विद्रोही गुट की बेचैनी बढ़ गई, जिसने अपने “गुरु” की विरासत को खत्म करने के...

  • मोदी राजः आलाकमान सबकुछ और अटकले बेमतलब!

    हर राजनैतिक दल एक परिवार की तरह होता है और परिवार के हर सदस्य को पूरी अहमियत दी जानी चाहिए। कोई भी सरकार या दल केवल अटकलों के आधार पर नहीं चल सकता उसके लिए सभी पहलूओं को देखना आवश्यक होता है। ..जिस तरह तीन राज्यों में मोदी सरकार ने नये चेहरों को राज्य के मुखिया के रूप में पदासीन किया है उससे पूरे भाजपा काडर में दो तरह के संदेश गये हैं। पहला यह कि भले ही आप पहली बार ही चुनाव जीते हों आप राज्य के मुख्य मंत्री भी बन सकते हैं। दूसरा यह कि भले ही आपकी...

  • ताकि सुर्खी बने, वायरल हो!

    अक्सर मांसाहार को लेकर भाजपा और संघ के कार्यकर्ता इस तरह के हंगामें देश भर में खड़े करते रहते हैं। ख़ासकर बीफ का व्यापार करने वालों के ख़िलाफ़। उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में बीफ के निर्यात का दूसरा सबसे बड़ा देश है। इस कारोबार में 60 प्रतिशत से ज़्यादा हिंदू व्यापारी लगे हुए हैं। अगर भाजपा का लक्ष्य मांसाहार को बंद करवाना है तो पहले बीफ के इन हिंदू निर्यातकों के कारोबार बंद करवाये जाने चाहिए। जयपुर के हवा महल विधान सभा क्षेत्र से चुनाव जीते बाबा बालमुकुंद आचार्य, विधान सभा में शपथ लेने के पहले ही मीडिया की...

  • न प्रदूषण की वजह समझी न उपाय सही

    पर्यावरण विशेषज्ञ, नेता और संबंधित सरकारी विभागों के अफसर हर साल की तरह इस साल भी इस समस्या को लेकर सिर खपा रहे हैं। उन्होंने अब तक के अपने सोच विचार का नतीजा यह बताया है कि खेतों में फसल कटने के बाद जो ठूंठ बचते हैं उन्हें खेत में जलाए जाने के कारण ये धुंआ बना है जो एनसीआर के ऊपर छा गया है। लेकिन सवाल उठता है कि यह तो हर साल ही होता है तो नए जवाबों की तलाश क्यों हो रही है? आनन-फ़ानन में हर वर्ष दिल्ली सरकार कड़े कदम उठा कर कई तरह के प्रतिबंध...

  • अंग्रेजों की बनाई कैसे जनता की मित्र होगी?

    क्या आपको पता है कि भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 संविधान की मूल भावना के विरूद्ध है? भारत का संविधान, भारत की जनता को सर्वोच्च मानता है। उसको ही समर्पित है। भारतीय गणराज्य की समस्त संस्थाएं जनता की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। किंतु भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 में कहीं भी जनता शब्द का उल्लेख नहीं आता है। जाहिर है कि यह अधिनियम उस समय बनाया गया था जब भारत पर ब्रिटिश हुकूमत कायम थी। इस कानून का उद्देश्य ब्रिटिश हितों को साधना था। पुलिस का काम जनता पर नियंत्रण रखना था।... आजादी के 75 साल बाद भी आज देश...

  • न क़र्ज़ में फंसे, न आफत मोल ले

    समझदारी इसी में है कि हम उधार लेने या किश्तों पर सामान लेने से पहले सोच-समझकर फैसला लें। उधार लेने से पहले खुद से ये सवाल अवश्य पूछें, क्या ऐसी वस्तु की इतनी ज़रूरत है कि बिना उधार लिए काम नहीं चलेगा? क्या समाज में अपने परिवार का रुतबा दिखाने के लिए कर्ज़ लेना ज़रूरी है? ऐसा तो नहीं कि हम लालच में आकर, अपनी चादर से बाहर पैर फैला रहे हैं? अगर ऐसा है, तो भलाई इसी में होगी कि आपके पास जितना है उसी में खुश रहिए और उधार लेने से बचे रहिए। त्योहारों के मौसम में ग्राहकों...

  • ईवीएम पर फिर उठे सवाल

    ग़ौरतलब है कि दुनिया के 31 देशों में ईवीएम का इस्तेमाल हुआ परंतु ख़ास बात यह है कि अधिकतर देशों ने इसमें गड़बड़ी कि शिकायत के बाद वापस बैलट पेपर के ज़रिये ही चुनाव किये जाने लगे।...जब शिकायत के साथ समाधान का सुझाव भी दिया जाए तो उस पर गौर करना चाहिए।...हाल ही में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने आगामी विधान सभा चुनावों में ईवीएम की गड़बड़ी पर आरोप लगाए और उन्हें रोकने के लिए सुझाव भी दिया। सिंह ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में ईवीएम के ट्रायल के दौरान इसमें...

  • नेता असभ्य क्यों होते जा रहे हैं?

    असभ्य नेता जब सदन में होते हैं तो वो भूल जाते हैं कि उनके विपक्ष में बैठे नेता भी एक जनप्रतिनिधि हैं। वो भी उतने ही सम्मान के हक़दार हैं जितने कि वे स्वयं को मानते हैं। परंतु सत्ता के नशे में चूर कुछ नेता, चाहे किसी भी दल के क्यों न हों अपने विपक्षी नेताओं को आजकल आम जनता की तरह समझने लगे हैं। ...कोई मशहूर व्यक्ति न सिर्फ़ राजनीति में बल्कि किसी भी अन्य क्षेत्र में क्यों न हो अगर शांत और शालीन स्वभाव के हैं तो उनका ज़िक्र हमेशा सम्मान के साथ ही होता है। ऐसी वाणी...

  • मीठा ज़हर है चीनी, बचें

    मीठा या शक्कर ‘ग्लूकोज’ के रूप में हो तो वह ठीक है। परंतु यही जब ‘फ्रुक्टोस’ के रूप में होता है वह हमें दिक्कत दे सकता है। इसका हमारे शरीर, दिमाग और हार्मोन पर अलग प्रभाव पड़ सकता है। ग़ौरतलब है कि शराब व अन्य नशीली चीजों की तरह चीनी भी दिमाग में ‘डोपामाइन’ नामक हार्मोन का स्राव बढ़ाती है। ऐसे में चीनी की लत लग जाती है, जो मानव शरीर के लिए काफ़ी हानिकारक है। हद से ज़्यादा हर चीज़ का सेवन करना हमारे शरीर के लिये हानिकारक होता है। यह बात हर उस चीज़ पर लागू होती है...

  • तनाव छोड़े की बेफिक्री घर के संस्कारों से ही!

    आज के युग में हर स्कूल में, हर अध्यापक को, छात्रों से भले कुछ ही क्षण के लिए ही सही, आध्यात्मिक चर्चा अवश्य करनी चाहिए। ऐसी चर्चा से छात्रों के मन में उत्साह बढ़ेगा। वो चाहे किसी भी धर्म का क्यों न हो ऐसी चर्चा से वे कठिन परिस्थितियों का सामना करने का साहस मिलेगा। ऐसा ही कुछ हर उस क्षेत्र में होना चाहिये जहां प्रतिस्पर्धा की दौड़ में लोगों पर दबाव है और वो तनाव का कारण बना हुआ है।  अक्सर देखा जाता है कि तनाव के कारण छात्र हो, युवा हो या कोई समझदार व्यक्ति, ऐसा क़दम उठा...

  • नरेश गोयल ने कैसे चलाई जेट एयरलांइस?

    जब भी कभी हम किसी बड़े उद्योगपति द्वारा किसी घोटाले के बारे में सुनते हैं तो अंदाज़ा लगा लेते हैं कि वो भी विजय माल्या, नीरव मोदी या मेहूल चौकसी जैसों की तरह अपने रसूख़ के चलते सज़ा से बच जाएगा या देश छोड़ कर भाग जाएगा। परंतु नरेश गोयल के मामले में ऐसा नहीं हुआ। इसके लिए सरकारी एजेंसियाँ बधाई की पात्र हैं। देर से ही सही पर नरेश गोयल पर शिकंजा कसा तो सही। नरेश गोयल की जेट एयरवेज़ की बात करें तो नागर विमानन क्षेत्र में शायद ही ऐसे किसी नियम का उल्लंघन होगा जो इनकी कंपनी...

  • जी-20 की मेजबानी में आवारा पशुओं का झंझट!

    जी-20 की शिखर बैठक को ले कर  दिल्ली के कुछ इलाक़ों से आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश भी जारी हुए थे, जिसे पशु प्रेमियों के विरोध के चलते रद्द किया गया। आदेश का विरोध कर, पशु प्रेमियों ने इसे आवारा कुत्तों के हित में बताया है। परंतु यहाँ सवाल उठता है कि इस समस्या से छुटकारा कैसे मिले? ....    दुनिया भर में केवल नीदरलैंड ही एक ऐसा देश है जहां पर आपको आवारा कुत्ते नहीं मिलेंगे। यहाँ की सरकार द्वारा चलाए गये एक विशेष कार्यक्रम के तहत वहाँ के हर कुत्ते को सरकार द्वारा इकट्ठा कर उसकी जनसंख्या नियंत्रण...

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