तमिलनाडु में अन्ना डीएमके और भाजपा गठबंधन के करार की स्याही सूखी नहीं है और विवाद शुरू हो गया है। असल में अन्ना डीएमके की ओर से बहुत पहले से कहा जा रहा है कि राज्य में राज्य में अगर सरकार बनाने की स्थिति बनती है या उसको बहुमत मिलता है तो सरकार सिर्फ उसकी बनेगी, वह एनडीए की सरकार नहीं होगी। पार्टी की ओर से यह भी कहा जा चुका है कि भाजपा को सरकार में नहीं शामिल किया जाएगा। फिर भी पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया कि अगले साल के विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत होगी और राज्य में एनडीए की सरकार बनेगी।
इस बात को लेकर विवाद बढ़ गया है। विवाद इसलिए बढ़ा है कि तमाम तालमेल और गठबंधन के बावजूद अन्ना डीएमके को लग रहा है कि एनडीए की सरकार बनने का हल्ला बना तो पूरे गठबंधन को नुकसान होगा। तभी पार्टी के लोग डीएमके बनाम अन्ना डीएमके चुनाव बनाना चाहते हैं। अगर एनडीए की सरकार बनाने की बात कही जाएगी तो डीएमके को यह कहने का मौका मिलेगा कि भाजपा की सरकार बन रही है तो भाजपा और आरएसएस का एजेंडा लागू होगा। इसमें भाषा से लेकर द्रविड संस्कृति और सनातन को लेकर चल रही सारी बहस फिर से शुरू हो जाएगी। तभी अन्ना डीएमके नेताओं ने अमित शाह के बयान को खारिज किया और कहा कि राज्य में एनडीए की नहीं अन्ना डीएमके की सरकार बनेगी। कहा जा रहा है कि अन्ना डीएमके ध्रुवीकरण का कोई मुद्दा डीएमके को नहीं देना चाहती है।