अंतिम तौर पर क्या होगा यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन कम से कम अभी सोशल मीडिया ने कई लोगों की टिकट रुकवा दी। बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे अनेक लोगों को लेकर ऐसा अभियान चला कि पार्टियों को टिकट रोकनी पड़ी। इसमें जन सुराज पार्टी भी है और भाजपा भी है तो राष्ट्रीय जनता दल भी है। इनके संभावित उम्मीदवारों के खिलाफ लोगों ने ज्यादातर सच्ची और कुछ गढ़ी गई बातों का ऐसा प्रचार किया कि पार्टियों ने उनको किनारे कर दिया। हालांकि हो सकता है कि अंतिम सूची में सबके नाम आ जाएं लेकिन पार्टियों ने जिस जोर शोर से इनको लॉन्च किया वह उत्साह सोशल मीडिया ने समाप्त कर दिया।
प्रशांत किशोर सोशल मीडिया के इन्फ्लएंसर मनीष कश्यप को लेकर आए। वे भाजपा छोड़ कर जन सुराज में गए थे। लेकिन उनके खिलाफ ऐसा अभियान चला कि पार्टी बैकफुट आई और उनकी टिकट की घोषणा रूक गई। इसी तरह मैथिली और हिंदी की गायिका मैथिली ठाकुर को भी भाजपा ने दिल्ली से बिहार भेजा ताकि उनको चुनाव लड़ाया जाए। उनके पिता ने वहां जाकर माहौल बनाना शुरू किया कि लालू प्रसाद के राज के डर से वे पलायन कर गए थे। लेकिन लोगों ने उनकी हकीकत बतानी शुरू की तो भाजपा को उनकी टिकट रोकनी पड़ी। इसी तरह जेल से छूटे अशोक महतो की पत्नी को तो तेजस्वी यादव ने लोकसभा में टिकट दे दिया था। लेकिन जब से उन्होंने ‘भूराबाल साफ करो’ यानी सवर्णों को साफ करो का नारा दोहराया है तब से सोशल मीडिया में उनके खिलाफ अभियान चला और अंत में तेजस्वी यादव ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया। उनकी सीट पर ग्रहण है। भाजपा में शामिल हुए भोजपुरी कलाकार पवन सिंह को तो खुद ही कहना पड़ा कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे।