महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने को भाजपा की हिंदुत्व की लाइन से दूर रखा है। वे स्वतंत्र राजनीति करते हैं। उन्होंने भाजपा के तमाम विरोध के बावजूद महाराष्ट्र विधानसभा में चुनाव में नवाब मलिक और उनकी बेटी के चुनाव लड़ाया था। उन्होंने अपने क्षेत्र में मुसलमानों को भरोसा दिलाया है कि वे उनके हितों की रक्षा करेंगे। वे अपने इलाके में राजनीति से भाजपा को दूर रखते हैं। लेकिन अब उनके सामने संकट यह है कि भाजपा की बढ़ती ताकत को देख कर उनकी पार्टी के नेता भी रंग बदलने को आतुर हो रहे हैं। ऐसा दूसरी सहयोगी पार्टी शिव सेना के साथ भी हो रहा है।
अजित पवार की पार्टी एनसीपी के नेता संग्राम जगताप ने पिछले दिनों बयान दे दिया कि त्योहारों में यानी दिवाली और उसके बाद आने वाले भाईदूज आदि में लोगों के हिंदुओं की दुकानों से खरीद करनी चाहिए। यह हार्डकोर हिंदुत्व की लाइन है, जो सोशल मीडिया में चलाई जाती है और मुस्लिम दुकानदारों का बहिष्कार करने की अपील की जाती है। हालांकि अपने विधायक संग्राम जगताप के बयान के बाद अजित पवार तुरंत एक्शन में आए और उन्होंने विधायक को नोटिस भी जारी किया। लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव से पहले जो डैमेज होना था वह हो गया। इससे उनकी चिंता भी बढ़ी है कि उनके नेता हिंदुत्व के रंग में आ गए तो भाजपा जब चाहेगी तब उनकी पार्टी को डैमेज कर सकती है।