विपक्षी पार्टियां अपना नुकसान कर रही हैं। बिहार में राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में मुस्लिम संगठन इमारत ए शरिया ने वक्फ कानून के खिलाफ रैली का आयोजन किया तो विपक्ष के सारे नेता उसमें शामिल होने पहुंचे। सबने बढ़ चढ़ कर बयानबाजी की। राजद नेता तेजस्वी यादव ने हुंकार भरी कि यह किसी के बाप का देश नहीं है। कांग्रेस की ओर से सलमान खुर्शीद, अखिलेश प्रसाद सिंह, इमरान प्रतापगढ़ी, कन्हैया कुमार सहित एक दर्जन नेता पहुंचे। कांग्रेस के संबद्ध सदस्य और पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी खूब जोरदार भाषण दिया। लेकिन इसके क्या हासिल होना है?
जानकार सूत्रों का कहना है कि विपक्षी पार्टियां असदुद्दीन ओवैसी की एमआईएम से चिंतित हैं। उनको लग रहा है कि जैसे पिछली बार एमआईएम ने पांच सीटें जीत ली थीं और विपक्षी गठबंधन को सीमांचल के इलाके में नुकसान पहुंचाया था। उसी तरह अगर वक्फ का मुद्दा उठा कर वह अकेले लड़ेगी तो इस बार भी नुकसान होगा। लेकिन वास्तविकता अलग है। इस बार मुसलमानों को लग रहा है कि भाजपा अपना मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी कर रही है तो वे पूरी तरह से विपक्ष के साथ हैं। लेकिन वक्फ पर इतने गरजने बरसने का नुकसान यह है कि भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को ध्रुवीकरण कराने का मौका मिल रहा है। भाजपा ने तेजस्वी के भाषण को तोड़ मरोड़ कर उसके मीम्स बनाने शुरू कर दिए हैं। यह तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि संसद भवन से लेकर नई दिल्ली के हवाईअड्डे और पटना के गोविंदपुर गांव की हजारों एकड़ जमीन वक्फ को दे दी जाएगी। यह संवेदनशील मुद्दा है, जिस पर विपक्ष को बहुत आक्रामक होकर राजनीति नहीं करनी चाहिए।