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30-07-2025 Vol 19

व्यायाम व उपवास में संतुलन जरूरी

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हाल के वर्षों में कम उम्र के स्वस्थ और फिट लोगों में अचानक मृत्यु के मामले बढ़े हैं। भारत में भी ऐसी घटनाएँ देखी गई हैं। क्या हमें व्यायाम व उपवास से डरना चाहिए? नहीं, ये दोनों ही स्वस्थ जीवन के लिए लाभकारी हैं, बशर्ते इन्हें संतुलित तरीके से अपनाया जाए। नहीं, ये दोनों ही स्वस्थ जीवन के लिए लाभकारी हैं, बशर्ते इन्हें संतुलित तरीके से अपनाया जाए।अति सर्वत्र वर्जयेत’, यह कहावत व्यायाम और फास्टिंग दोनों पर लागू होती है।

 व्यायाम और स्वास्थ्य का गहरा संबंध है। नियमित शारीरिक गतिविधि से हृदय मजबूत होता है, रक्तचाप नियंत्रित रहता है, और तनाव कम होता है। लेकिन क्या इस अच्छी आदत की भी कोई सीमा होती है? क्या ज़्यादा व्यायाम करने से दिल की बीमारी हो सकती है? हाल के वर्षों में यह सवाल वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।

इसके साथ ही, इंटरमिटेंट फास्टिंग जैसी लोकप्रिय जीवनशैली प्रथाओं और कम उम्र के फिट लोगों में अचानक मृत्यु के मामलों ने भी दुनिया भर में चिंता बढ़ाई है। आज कल के विज्ञापन के दौर में हर रोज़ कोई न कोई नई तकनीक प्रचारित की जाती है जो आपको स्वस्थ रहने के उपाय बताती है। लेकिन क्या ऐसे शॉर्टकट उपायों से वास्तव में आपके शरीर को फ़ायदा होता है?

व्यायाम हृदय के लिए वरदान है। जब हम दौड़ते हैं या साइकिल चलाते हैं, तो हृदय तेज़ी से धड़कता है, जिससे रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, सप्ताह में 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम हृदय रोगों के जोखिम को 30% तक कम कर सकता है। लेकिन जब यह ‘मध्यम’ से ‘अत्यधिक’ की ओर बढ़ता है, तो स्थिति बदल सकती है। अति व्यायाम तब होता है जब कोई व्यक्ति अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक कसरत करता है, या बिना पर्याप्त आराम या पोषण के ऐसा करता है।

लंबे समय तक उच्च तीव्रता वाला व्यायाम हृदय पर दबाव डाल सकता है। शोध बताते हैं कि मैराथन धावकों या ट्रायथलॉन एथलीटों में व्यायाम के बाद रक्त में ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ जाता है। यह प्रोटीन हृदयाघात के संकेत के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा, ‘एथलीट हार्ट सिंड्रोम’ भी एक जोखिम है, जिसमें हृदय की मांसपेशियाँ मोटी हो जाती हैं और अनियमित धड़कन (एरिदमिया) की समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में यह गंभीर हृदय रोगों का कारण बन सकता है।

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पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया ने इंटरमिटेंट फास्टिंग को वजन घटाने और स्वास्थ्य सुधार के लिए काफ़ी लोकप्रिय किया है। इसमें व्यक्ति निश्चित समय तक भोजन नहीं करता, जैसे 16 घंटे उपवास और 8 घंटे खाने का समय। हालांकि इसके कुछ फायदे भी हैं, जैसे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार। लेकिन जानकारों के अनुसार अति व्यायाम के साथ इसे जोड़ने से खतरे बढ़ सकते हैं। जब शरीर को ऊर्जा के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिलता और साथ ही भारी व्यायाम किया जाता है, तो हृदय पर अतिरिक्त तनाव पड़ता है। इससे इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, कमज़ोरी, और हृदय की अनियमित धड़कन (एरिदमिया) का जोखिम बढ़ता है।

2023 में अमेरिका में एक 28 वर्षीय फिटनेस ट्रेनर की मृत्यु का मामला चर्चा में आया। वह इंटरमिटेंट फास्टिंग के साथ रोज़ाना 2 घंटे की तीव्र कार्डियो और वेटलिफ्टिंग भी करता था। पोस्टमॉर्टम में पता चला कि उसकी मृत्यु हृदय गति रुकने से हुई, जिसका कारण इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और हृदय पर अत्यधिक दबाव था। यानी बिना संतुलन के फास्टिंग और व्यायाम खतरनाक हो सकता है।

हाल के वर्षों में कम उम्र के स्वस्थ और फिट लोगों में अचानक मृत्यु के मामले बढ़े हैं। भारत में भी ऐसी घटनाएँ देखी गई हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में गुजरात में एक 19 वर्षीय युवक की जिम में वर्कआउट के दौरान मृत्यु हो गई। वह सप्लीमेंट्स भी लेता था। जांच में पता चला कि उसकी मृत्यु हृदयाघात से हुई, जो संभवतः अति व्यायाम और अपर्याप्त रिकवरी के कारण था।

2024 में दिल्ली में एक 25 वर्षीय मैराथन धावक की दौड़ के बाद मृत्यु हो गई। वह इंटरमिटेंट फास्टिंग पर था और बिना पर्याप्त हाइड्रेशन के लंबी दूरी दौड़ रहा था। डॉक्टरों ने इसे ‘सडन कार्डियक डेथ’ का मामला बताया, जो युवा एथलीटों में दुर्लभ लेकिन संभव है। ऐसे मामलों में अक्सर अज्ञात हृदय दोष (जैसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी) या अति तनाव जिम्मेदार होता है।

अति व्यायाम और फास्टिंग का जोखिम हर किसी के लिए समान नहीं है। जिन लोगों का पारिवारिक इतिहास हृदय रोगों से जुड़ा है, उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा, पेशेवर एथलीट, जो अपनी सीमाओं को बार-बार चुनौती देते हैं, और युवा जो बिना मार्गदर्शन के जिम में घंटों बिताते हैं, वे भी जोखिम में हैं। अपर्याप्त नींद, खराब आहार, और डिहाइड्रेशन इस खतरे को और बढ़ाते हैं।

क्या हमें व्यायाम या फास्टिंग से डरना चाहिए? नहीं, ये दोनों ही स्वस्थ जीवन के लिए लाभकारी हैं, बशर्ते इन्हें संतुलित तरीके से अपनाया जाए। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि व्यायाम की तीव्रता और अवधि आपकी उम्र, फिटनेस स्तर, और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, 20 साल के युवा के लिए 1 घंटे की तीव्र कसरत ठीक हो सकती है, लेकिन 40 साल से ऊपर के व्यक्ति को मध्यम व्यायाम पर ध्यान देना चाहिए। इंटरमिटेंट फास्टिंग करते समय भी पोषण और हाइड्रेशन का ध्यान रखें। भारी व्यायाम से पहले और बाद में पर्याप्त पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स लें। अगर आपको थकान, चक्कर, या अनियमित धड़कन महसूस हो, तो तुरंत रुकें और डॉक्टर से संपर्क करें।

‘अति सर्वत्र वर्जयेत’, यह कहावत व्यायाम और फास्टिंग दोनों पर लागू होती है। अति व्यायाम और असंतुलित फास्टिंग हृदय पर दबाव डाल सकते हैं, खासकर जब इन्हें बिना तैयारी या मार्गदर्शन के किया जाए। कम उम्र के फिट लोगों की मृत्यु के मामले हमें सावधान करते हैं कि स्वास्थ्य के प्रति उत्साह अच्छा है, लेकिन उसे अंधे उत्साह में नहीं बदलना चाहिए। अपने शरीर के संकेतों को सुनें, संतुलन बनाए रखें, और ज़रूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की सलाह लें। आखिरकार, हमारा लक्ष्य लंबा, स्वस्थ, और सुखी जीवन जीना है।

Pic Credit: ANI

रजनीश कपूर

दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक। नयाइंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर।

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