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13-06-2025 Vol 19

वायरल होने के लिए कुछ भी!

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सोशल मीडिया पर वायरल होने की होड़ ने कई लोगों को गलत रास्ते पर धकेल दिया है। कुछ लोग त्वरित प्रसिद्धि के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील व्यवहार, अभद्र भाषा, अनुचित कपड़े या आपत्तिजनक हरकतें करते हैं और इसे रिकॉर्ड करके ऑनलाइन डाल देते हैं।

आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया ने लोगों को अपनी बात दुनिया तक पहुंचाने का एक शक्तिशाली मंच प्रदान किया है। यह मंच जहां एक ओर रचनात्मकता, ज्ञान और सकारात्मक संदेशों को फैलाने का अवसर देता है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इस मंच का दुरुपयोग भी कर रहे हैं। एक चिंताजनक प्रवृत्ति जो हाल के वर्षों में उभरी है, वह है सार्वजनिक स्थानों पर अश्लीलता के जरिए वायरल होने और प्रसिद्धि हासिल करने की कोशिश। यह न केवल सामाजिक मूल्यों को ठेस पहुंचाता है, बल्कि समाज में नैतिकता और संस्कृति के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है।

सोशल मीडिया पर वायरल होने की होड़ ने कई लोगों को गलत रास्ते पर धकेल दिया है। कुछ लोग त्वरित प्रसिद्धि के लिए सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील व्यवहार, अभद्र भाषा, अनुचित कपड़े या आपत्तिजनक हरकतें करते हैं और इसे रिकॉर्ड करके ऑनलाइन डाल देते हैं। उदाहरण के तौर पर, कुछ युवा सार्वजनिक स्थानों जैसे मेट्रो, बस, पार्क या बाजारों में अश्लील नृत्य, अशोभनीय टिप्पणियां या विवादास्पद कृत्य करते हैं, ताकि लोग उनकी वीडियो देखें, शेयर करें और वे रातोंरात प्रसिद्ध हो जाएं।

क्लिकबेट’ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह लोगों का ध्यान तुरंत खींचती है। लेकिन यह प्रवृत्ति समाज के लिए हानिकारक है, क्योंकि यह न केवल नैतिकता को कमजोर करती है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी गलत संदेश देती है। यह सवाल उठता है कि क्या प्रसिद्धि के लिए नैतिकता और सामाजिक मर्यादाओं को ताक पर रखना उचित है?

आज के समय में, सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स और व्यूज को सफलता का पैमाना माना जाता है। लोग मानते हैं कि वायरल होने से उन्हें प्रसिद्धि, पैसा और अवसर मिलेंगे। इस लालच में वे अश्लीलता का सहारा भी ले लेते हैं, ्लेटफॉर्म्स के एल्गोरिदम विवादास्पद और सनसनीखेज सामग्री को अधिक प्रचारित करते हैं। अश्लील वीडियो या पोस्ट को ज्यादा लाइक्स, शेयर और कमेंट्स मिलते हैं, जिससे वे ट्रेंडिंग लिस्ट में आ जाते हैं।

यह क्रिएटर्स को ऐसी सामग्री बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। आधुनिक समाज में कुछ हद तक नैतिकता और सामाजिक मूल्यों में कमी आई है। लोग व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर अनुचित व्यवहार को सही ठहराने लगे हैं। सोशल मीडिया पर लाखों कंटेंट क्रिएटर्स हैं और उनमें से अलग दिखने के लिए कुछ लोग गलत रास्ते चुन लेते हैं। अश्लीलता एक आसान और तेज तरीका लगता है।

सार्वजनिक अश्लीलता के जरिए वायरल होने की प्रवृत्ति समाज पर कई नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। जब लोग सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील व्यवहार करते हैं, तो यह समाज की नैतिकता और मर्यादाओं को कमजोर करता है। खासकर बच्चे और युवा जो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, वे ऐसी सामग्री से प्रभावित हो सकते हैं और इसे सामान्य मानने लगते हैं।

अश्लील व्यवहार सार्वजनिक स्थानों पर मौजूद अन्य लोगों के लिए असुविधा और असहजता का कारण बनता है। इससे सामाजिक तनाव और विवाद पैदा हो सकते हैं। कई बार अश्लील वीडियो में महिलाओं या बच्चों को अनुचित तरीके से दिखाया जाता है, जिससे उनकी गरिमा और सुरक्षा को खतरा होता है। भारत जैसे देश में, जहां संस्कृति और परंपराओं का विशेष महत्व है, ऐसी गतिविधियां सांस्कृतिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाती हैं। यह सामाजिक एकता और सम्मान को कमजोर करता है।

भारत में सार्वजनिक अश्लीलता को रोकने के लिए कई कानून मौजूद हैं। भारतीय न्याय संहिता के तहत, सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कृत्य या शब्दों का उपयोग दंडनीय अपराध है। इसके अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत भी ऑनलाइन अश्लील सामग्री को फैलाना भी गैरकानूनी है। फिर भी, इन कानूनों का सख्ती से पालन नहीं हो पाता, क्योंकि सोशल मीडिया पर सामग्री की मात्रा इतनी अधिक है कि हर पोस्ट की निगरानी करना मुश्किल है।

प्लेटफॉर्म्स को मिलकर काम करना होगा। सार्वजनिक अश्लीलता और ऑनलाइन अश्लील सामग्री के खिलाफ कानूनों का सख्ती से पालन करना जरूरी है। दोषियों को उचित सजा मिलनी चाहिए, ताकि दूसरों के लिए नज़ीर बने। सोशल मीडिया कंपनियों को अपने एल्गोरिदम में बदलाव करना चाहिए, ताकि अश्लील और विवादास्पद सामग्री को बढ़ावा न मिले। ऐसी सामग्री को तुरंत हटाने और क्रिएटर्स के अकाउंट पर प्रतिबंध लगाने की नीति लागू करनी चाहिए। समाज में नैतिकता और सामाजिक मर्यादाओं के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं को सोशल मीडिया के सही उपयोग के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। वहीं माता-पिता को अपने बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर नजर रखनी चाहिए और उन्हें सही-गलत का अंतर समझाना चाहिए। सोशल मीडिया पर सकारात्मक, रचनात्मक और प्रेरणादायक सामग्री को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार और गैर-सरकारी संगठन ऐसी पहल शुरू कर सकते हैं, जो युवाओं को सही दिशा में प्रेरित करें।

सार्वजनिक अश्लीलता के जरिए वायरल होने और प्रसिद्धि हासिल करने की प्रवृत्ति एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो न केवल व्यक्तिगत नैतिकता को प्रभावित करती है, बल्कि समाज और संस्कृति पर भी गहरा असर डालती है। यह समय की मांग है कि हम इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करें। कानूनी कार्रवाई, जागरूकता और सकारात्मक सामग्री को बढ़ावा देकर हम एक स्वस्थ और नैतिक समाज का निर्माण कर सकते हैं। प्रसिद्धि का असली मोल तब है, जब वह मेहनत, रचनात्मकता और नैतिकता के आधार पर हासिल की जाए, न कि सस्ते और अनुचित तरीकों से।

रजनीश कपूर

दिल्ली स्थित कालचक्र समाचार ब्यूरो के प्रबंधकीय संपादक। नयाइंडिया में नियमित कन्ट्रिब्यटर।

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