नई दिल्ली। मोबाइल हैंडसेट की सुरक्षा और साइबर फ्रॉड से कथित सुरक्षा के नाम पर सभी स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ ऐप डाउनलोड करने के केंद्र सरकार के फैसले पर मंगलवार को संसद में काफी हंगामा हुआ। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से सफाई दी गई। संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह ऐप वैकल्पिक होगा। लोग इसे डिलीट भी कर सकते हैं और ऑफ भी कर सकते हैं। पहले कहा जा रहा था कि इसे फोन में रखना अनिवार्य होगा।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस ऐप को लेकर कहा कि यह कदम लोगों की प्राइवेसी पर सीधा हमला है। यह एक जासूसी ऐप है। उन्होंने कहा कि सरकार हर नागरिक की निगरानी करना चाहती है। साइबर धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग के लिए सिस्टम जरूरी है, लेकिन सरकार का ताजा आदेश लोगों की निजी जिंदगी में अनावश्यक दखल जैसा है।
सोमवार को इस बारे में खबर आने के बाद मंगलवार को कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने स्थगन प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा, “गोपनीयता का अधिकार, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मूल अधिकार है। दूरसंचार विभाग का यह आदेश कि मोबाइल कंपनियां और आयातक ‘संचार साथी’ एप को फोन में पहले से इंस्टॉल करें और उसे हटाया भी न जा सके। यह लोगों की गोपनीयता पर सीधा हमला है”।
सभी मोबाइल फोन में साइबर सुरक्षा ऐप ‘संचार साथी’ को प्री इंस्टॉल करने के दूरसंचार विभाग के आदेश पर विवाद बढ़ने के बाद मंगलवार को संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ये अनिवार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि चाहे तो यूजर इसे डिलीट कर सकते हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने एक दिसंबर को स्मार्टफोन कंपनियों को आदेश दिया था कि वे स्मार्टफोन में सरकारी साइबर सेफ्टी ऐप को पहले से इंस्टॉल करके बेचें। इसके लिए 90 दिन का समय दिया था।


