Wednesday

09-07-2025 Vol 19

पूर्वोत्तर के लिए प्रधानमंत्री का ग्रैंड विजन

154 Views

प्रधानमंत्री ने राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट में एक और बहुत खास बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को सर्वाधिक विविधता वाला देश मानती है। उसमें भी हमारा पूर्वोत्तर भारत का सर्वाधिक विविधता वाला क्षेत्र है। यह विविधता भारत की और पूर्वोत्तर की शक्ति है। यह अब सिर्फ पूर्व और दक्षिण पूर्व के देशों के साथ भारत का गेटवे नहीं है, बल्कि विकास और संभावनाओं का क्षेत्र बन गया है, जो भारत के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभाएगा।

राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट, 2025 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्वोत्तर के विकास के ग्रैंड विजन को प्रतीकित करने वाला आयोजन था। अब तक देश के अलग अलग हिस्सों में निवेशकों के सम्मेलन होते थे, जहां कारोबार की संभावनाएं बेहतर होती थीं, जहां पहले से बुनियादी ढांचा विकसित रहता था, जहां कनेक्टिविटी बेहतर होती थी वहां निवेशक ज्यादा पैसा निवेश करते थे। पहली बार ऐसा हुआ कि उत्तर पूर्व में बुनियादी ढांचे के विकास पर इतना जोर दिया जा रहा है, उसे विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश हो रही है और निवेशकों का सम्मेलन हुआ, जिसमें एक दिन में एक लाख करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव आ गया। तभी जब    प्रधानमंत्री ने शुक्रवार, 23 मई को नई दिल्ली के भारत मंडपम में कहा कि भारत का अपना पहला स्वदेशी सेमीकंडक्टर उत्तर पूर्व देगा तो यह सिर्फ उत्तर पूर्व के आठ राज्यों के लिए नहीं, बल्कि समूचे हिंदुस्तान के लिए गर्व की बात थी।

पहले की सरकारों ने जिस क्षेत्र की अनदेखी की। उसे अपने हाल पर छोड़े रखा। वहां चरमपंथ और अलगाव की भावना को दूर करके सशस्त्र संघर्ष खत्म कराने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया वहां से भारत का अपना पहला स्वदेशी सेमीकंडक्टर बनेगा। यह घोषणा अपने आप में पिछले 11 साल में उत्तर पूर्व में हुए बदलाव की कहानी बयान करती है। आज उत्तर पूर्व के राज्यों में शांति हैं।    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों के बीच सीमा विवादों का निपटारा करने के लिए और सशस्त्र संघर्ष में शामिल समूहों के साथ अनेक समझौते कराए। स्थायी शांति बहाली के साथ ही पूरे क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास की गति तेज हो गई।    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निवेशकों के सम्मेलन में बताया कि पूर्वोत्तर के राज्यों में 11 हजार किलोमीटर हाईवे का निर्माण हुआ है और इसी अनुपात में रेल लाइनों का विस्तार किया गया है। केंद्र सरकार के सहयोग से पूरे उत्तर पूर्व में सड़क और रेल परिवहन में व्यापक सुधार हुआ और कनेक्टिविटी बढ़ी।

बुनियादी ढांचे के विकास, खास कर कनेक्टिविटी बढ़ने की वजह से पूर्वोत्तर में विकास और निवेश की संभावनाएं बढ़ीं। पिछले साल अगस्त में टाटा समूह ने असम में 27 हजार करोड़ रुपए के निवेश से सेमीकंडक्टर की फैक्टरी का ऐलान किया, जहां से भारत का पहला अपना स्वदेशी सेमीकंडक्टर बनेगा। इसके साथ ही सेमीकंडक्टर के साथ साथ इस पूरे सेक्टर और नई तकनीक के लिए पूर्वोत्तर का दरवाजा खुल जाएगा।    प्रधानमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार पनबिजली और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा निवेश कर रही है। यह भी उनके ग्रैंड विजन को बताने वाला है। ध्यान रहे किसी भी राज्य क्षेत्र में सड़क व रेल कनेक्टिविटी के साथ साथ ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स का नेटवर्क हो तो उसे विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता है। केंद्र सरकार ने इन सभी क्षेत्रों में पूर्वोत्तर में निवेश को प्राथमिकता दी। इस वजह से अब पूर्वोत्तर के  राज्य विकास की नई छलांग लगाने को तैयार हैं।    प्रधानमंत्री ने राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट में एक और बहुत खास बात कही। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को सर्वाधिक विविधता वाला देश मानती है। उसमें भी हमारा पूर्वोत्तर भारत का सर्वाधिक विविधता वाला क्षेत्र है। यह विविधता भारत की और पूर्वोत्तर की शक्ति है। यह अब सिर्फ पूर्व और दक्षिण पूर्व के देशों के साथ भारत का गेटवे नहीं है, बल्कि विकास और संभावनाओं का क्षेत्र बन गया है, जो भारत के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभाएगा। आने वाले दिनों में भारत और आसियान देशों के कारोबार में कई गुना बढ़ोतरी होगी और उसमें पूर्वोत्तर का महत्वपूर्ण योगदान होगा।

निवेशकों के सम्मेलन में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया और देश के तमाम शीर्ष उद्योगपति इसमें शामिल हुए। डिपार्टमेंट ऑफ नॉर्थ ईस्ट रीजन ने इस निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया। देश के शीर्ष उद्योगपतियों ने पूर्वोत्तर में एक लाख करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की।    प्रधानमंत्री ने ऊर्जा और सेमीकंडक्टर दोनों सेक्टर में पूर्वोत्तर को हब बनाने का ऐलान किया। इसके साथ साथ पर्यटन, कृषि खास कर जैविक कृषि, खाद्य प्रसंस्करण आदि के सेक्टर में बड़े विकास की संभावनाओं को रेखांकित किया गया। देश के तीन शीर्ष उद्योग समूहों ने एक लाख करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव दिया, जिससे नए रोजगार के अवसर बनेंगे और विकास की नई इबारत लिखी जाएगी। ध्यान रहे केंद्र सरकार के निवेश और पूर्वोत्तर के राज्यों को मुख्यधारा में शामिल करने की नीतियों के कारण निजी सेक्टर के निवेश में बढ़ोतरी हुई है और अब उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में वैश्विक निवेश में भी बढ़ोतरी होगी। अलग अलग सेक्टर में दुनिया भर के निवेशक पूर्वोत्तर में निवेश के लिए आकर्षित होंगे।

प्रधानमंत्री अगले सप्ताह पूर्वोत्तर के दौरे पर भी जाएंगे। यह ऐतिहासिक दौरा होगा। प्रधानमंत्री 29 मई को सिक्किम के दौरे पर जाएंगे। सिक्किम भारत का 22वां राज्य बनने की स्वर्ण जयंती मना रहा है। ठीक 50 साल पहले सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना था। 2019 में राज्य में प्रेम सिंह तमांग (गोले) के नेतृत्व में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा की सरकार बनमे के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिक्किम के दौरे पर जा रहे हैं। यह भी पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास और पिछली सरकारों के समय बिल्कुल उपेक्षित छोड़ दिए गए क्षेत्र के विकास और मुख्यधारा में उनको शामिल करने की    प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को दिखाता है। सिक्किम के जनप्रिय मुख्यमंत्री    प्रेम सिंह तमांग (गोले) ने मंगलवार, 20 मई को    प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उन्होंने सिक्किम के स्वर्ण जयंती समारोह का हिस्सा बनने का निमंत्रण दिया, जिसे    प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया।    मुख्यमंत्री ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की है और सभी ने सिक्किम के 50वें राज्यत्व के समारोह में सम्मिलित होने की सहमति दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, कृषि व किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान और ऊर्जा व शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी सिक्किम के राज्यत्व के समारोह में शामिल होने पर सहमत हुए हैं।

प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद सिक्किम के लोकप्रिय मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर स्वंय उनके सिक्किम के दौरे की जानकारी दी थी और लिखा था “सिक्किम के राज्यत्व की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में चल रहे शानदार समारोहों के हिस्से के रूप में, मुझे आज नई दिल्ली में    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मुलाकात करने का विशिष्ट सम्मान प्राप्त हुआ”। उन्होंने आगे लिखा, “सिक्किम के लोगों की ओर से मुझे वर्ष भर चलने वाले राज्य दिवस समारोह में शामिल होने के लिए    प्रधानमंत्री को औपचारिक निमंत्रण देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि उन्होंने निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और 29 मई 2025 को हमारे साथ इस ऐतिहासिक मील के पत्थर को मनाने के लिए हमारे खूबसूरत हिमालयी राज्य की यात्रा करने की इच्छा व्यक्त की है”।    मुख्यमंत्री ने इस मुलाकात में ऑपरेशन सिंदूर सफलता पर    प्रधानमंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा, “इस मिशन के सफल क्रियान्वयन से राष्ट्रीय गौरव को काफी बढ़ावा मिला है तथा वैश्विक मंच पर भारत की ताकत और संकल्प की पुष्टि हुई है”।    मुख्यमंत्री ने लिखा, “आइए हम सब मिल कर अपने प्रिय प्रधानमंत्री का हमारे राज्य सिक्किम में भव्य स्वागत करें। उस दिन प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए लगभग एक लाख लोग पालजोर स्टेडियम में मौजूद रहेंगे”।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति    मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) की अटूट श्रद्धा और आस्था उस समय भी प्रकट हुई थी, जब उन्होंने दो जून 2024 को सिक्किम के चुनाव परिणाम के बाद केंद्र सरकार को समर्थन की घोषणा की थी और अब भी    प्रधानमंत्री की यात्रा को लेकर उन्होंने कहा है कि उनकी राज्य के लिए अलग से किसी चीज की मांग नहीं है वे सिर्फ    प्रधानमंत्री का आशीर्वाद चाहते हैं। सिक्किम जैसे छोटे से राज्य के मुख्यमंत्री का इतना बड़ा दिल है कि उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ प्रधानमंत्री का आशीर्वाद चाहिए। यह देख सुन कर महाभारत का प्रसंग याद आता है, जहां धर्मराज युधिष्ठिर ने अक्षौहिणी सेना की बजाय भगवान श्रीकृष्ण का साथ और आशीर्वाद मांगा था।    मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) ने अपनी इसी उदारता और विशाल हृद्य का परिचय कोरोना महामारी के समय भी दिया था। तब भी उन्होंने केंद्र से कुछ मांगने की बजाय यह कहा था कि वे साथ देना चाहते हैं। वे देश के लोगों के साथ खड़े होना चाहते हैं। वे इस मुश्किल घड़ी में कुछ मांगने की बजाय इससे बाहरर निकलने की प्रक्रिया में साझीदार बनना चाहते हैं। यह उनके बेमिसाल देशप्रेम का प्रतीक है।

बहरहाल,    प्रधानमंत्री 29 मई को सिक्किम की यात्रा करेंगे परंतु पूरा पूर्वोत्तर का क्षेत्र ही उनके ग्रैंड विजन का हिस्सा है। उन्होंने पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को अष्ट लक्ष्मी कह कर संबोधित किया है। प्रधानमंत्री बनने के बाद यानी 2014 से ही उन्होंने पूर्वोत्तर के विकास को अपना लक्ष्य बनाया। पूर्वोत्तर के राज्यों और वहां के नागरिकों ने भी प्रधानमंत्री के इस आत्मीय लगाव को सम्मान दिया और एक अपवाद को छोड़ सभी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसकी सहयोगी पार्टियों की सरकार बन गई। पूर्वोत्तर के राज्य दशकों तक भौगोलिक रूप से तो दूर रहे ही भावनात्मक दूरी भी झेलते रहे थे।    प्रधानमंत्री के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में पूर्वोत्तर की भौगोलिक दूरी भी कम हुई है और भावनात्मक दूरी भी कम हुई है। अब पूर्वोत्तर को समूचे देश के साथ जुड़ा हुआ महसूस किया जा सकता है। इस जुड़ाव को और गहरा किया प्रधानमंत्री के विकास के विजन ने। उन्होंने 2018 में नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम का ऐलान किया, जिसके तहत जलापूर्ति और ऊर्जा सहित दूसरे ढांचागत विकास का रास्ता साफ हुआ।

यह ध्यान रखने की जरुरत है कि पूर्वोत्तर सिर्फ सांस्कृतिक, धार्मिक या आर्थिक विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी बहुत अहम है। पांच देशों की सीमा इससे मिलती है। म्यांमार, भूटान के साथ साथ नेपाल, बांग्लादेश और तिब्बत के साथ भी इसकी सीमा मिलती है और सबको पता है कि बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद कैसे भारत विरोधी भावनाएं भड़काई जा रही हैं और कैसे दूसरे पड़ोसी देश इन हालात का इस्तेमाल करना चाहते हैं। सो, आसियान और पूर्वी एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी के साथ साथ सामरिक रूप से भी भारत को सुरक्षित रखने के लिए पूर्वोत्तर के राज्य    प्रधानमंत्री की दूरगामी योजना का हिस्सा हैं। 29 मई को होने वाली उनकी सिक्किम की यात्रा इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।

(लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)

एस. सुनील

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *