• सांप्रदायिक उन्माद कश्मीर और मणिपुर

    भोपाल। मणिपुर में शांत मैतेई इलाके में भीड़ द्वारा बीजेपी के प्रांत अध्यक्ष के निवास पर हमला और आगजनी की घटना सबूत है कि प्रांत की सरकार का हालत का आंकलन कितना गलत है ! हालांकि इस निवास में हमले के समय कोई नहीं था इसलिए जान की कोई हानि नहीं हुई, परंतु इस वारदात से यह साफ हो गया कि अब मैतेई समुदाय भी सरकार से असंतुष्ट है। क्यूंकि भीड़ में इसी समुदाय के लोग थे ! अब गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर के पुलिस अधीक्षक बलवाल को मणिपुर भेजा गया है। इस हवाई नियुक्ति से क्या कोई...

  • झूठ की फिर होगी भारी जीत!

    मैं विपक्ष को हताश नहीं करना चाहता। यह भी नहीं बता रहा हूं कि विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी कहां और कितने रिकॉर्ड से भाजपा को जिताएंगे। पर दो बाते नोट करें। एक, विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के झूठ का जादू चलेगा। दो, समय पर होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी वापिस जीतेंगे यदि विपक्षी एलायंस ‘इंडिया’ ने मोदी से बड़े झूठ नहीं बोले। झूठ केनैरेटिव में नरेंद्र मोदी एवरेस्ट के शिखर पर है। उनके आगे किसी भी एक्सवाईजेड (नीतीश, राहुल, केजरीवाल से लेकर किसी भाजपाई याकि अमित शाह, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह) का वैसे ही कोई अवसर...

  • कमलनाथ, गहलोत, भूपेश के 23 पर टिका 24

    विधानसभा चुनावों में जा रहे पांच राज्यों में लोकसभा की 83 सीटें हैं। भाजपा के पास इनमें से 65 हैं। कांग्रेस के पास महज़ 6 हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की 65 लोकसभा सीटों में से क्या इस बार कांग्रेस को पिछली बार की तरह सिर्फ़ तीन ही मिलने जैसे हालात आपको लग रहे हैं? क्या भाजपा पहले की तरह इनमें से 61 सीटें अपनी गठरी में बांध कर छूमंतर हो जाने का करिश्मा 2024 में दिखाती लगती है? इस साल जब सर्दियों का गुलाबीपन शुरू हो रहा होगा तो पांच राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के कमल की सुर्ख़ी...

  • ‘इंडिया’ के नेता न समझें हैं, न समझेंगे!

    गौर करें राहुल गांधी पर। इन दिनों क्या कर रहे है? रेलवे स्टेशन जा कर कुलियों के बीच बैठ, सिर पर सामान की पोटली उठा भरोसा दिला रहे है कि वे रेलवे को नहीं बिकने देंगे! फर्नीचर मार्केट में जाकर आरी और रंदा चला रहे हैं। समझ नहीं आता कि खड़गे, राहुल-प्रियंका व ‘इंडिया’ के नीतीश कुमार, अखिलेश, केजरीवाल आदि इन सबके कौन हैं सलाहकार। इतना भी नहीं देख-बूझ रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के नैरेटिव, प्रोपेगेंडा, झूठ के पैमाने चंद्रलोक, सूर्यलोक, विश्वगुरूता के हैं वही राहुल, नीतीश, केजरीवाल छोटी-छोटी बातों, रेवड़ियों के वादों, झूठ के सामान्य प्रोपेगेंडा से मोदी...

  • पोल खोलने से नहीं, झूठ बोलने से बात बनेगी

    विपक्षी पार्टियां क्या कर रही है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झूठ की पोल खोलने में लगी हैं। उनको लगता है कि लोगों को बताएंगे कि मोदी ने कितने झूठ बोले हैं तो लोग यकीन करेंगे और उनका साथ छोड़ देंगे। लेकिन ऐसा नहीं होने वाला है। झूठ की पोल खोलने का क्या मतलब है? उससे लोगों पर कुछ भी असर नहीं होगा, बल्कि उससे बड़ा झूठ बोलने पर फायदा होगा। सोचें, क्या देश के करोड़ों करोड़ लोगों को पता नहीं है कि उनसे झूठ बोला गया है? हो सकता है कि भारत के विश्व गुरू होने वाले झूठ के बारे...

  • विपक्ष के तो वादे भी छोटे हैं

    सोचें, नरेंद्र मोदी ने कहां से शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर 2014 में मैदान में उतरे तब काले धन का जुमला बोला था और कहा था कि विदेशों में इतना काला धन है कि अगर वापस आ जाए तो हर भारतीय के खाते में 15-15 लाख रुपए आ सकते हैं। इसके जवाब में विपक्षी नेता क्या कह रहे हैं कि जीते तो खातों में दो-दो हजार या तीन-तीन हजार रुपए डालेंगे। सोचें, कहां 15 लाख और कहां तीन हजार रू! दे तो मोदी भी दो- तीन हजार ही दे रहे हैं लेकिन उन्होंने वादा 15...

  • झूठी फिल्में और झूठी उपलब्धियां

    हिंदी फिल्मों की बात करें। एक फिल्म आई थी बेबी। भारत सरकार और प्रधानमंत्री के प्रिय अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म थी। उसमें वे देश की सीमा पार कर पड़ोसी देश में जाते हैं और भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी को पकड़ कर भारत ले आते हैं। फिल्म में उसका जो परिचय है वह हाफिज सईद से मिलता-जुलता है। सोचें दुनिया में सच में ऐसी घटनाओं को अंजाम देने के बाद उस पर तथ्यपरक फिल्में बनती हैं लेकिन भारत में फिल्म बना कर यह दिखा दिया गया कि देश के सबसे बड़े दुश्मन को हम सीमा पार से उठा लाए।...

  • मध्यप्रदेश के प्रति आशंकित भाजपा…?

    भोपाल। अगले महीने देश के जिन पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होना है, उन राज्यों को भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने 200 दिन बाद होने वाले लोकसभा चुनावों का 'सेमीफाइनल' मान लिया है, भारतीय जनता पार्टी जहां इन पांच राज्यों में से केवल दो राज्यों पर सत्तारूढ़ है, वहीं कांग्रेस राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में शासनारूढ़ है, कांग्रेस जहां चुनाव वाले सभी पांच राज्यों पर कब्जा करने की जुगत में है, वहीं भाजपा अपनी सरकारें बचाए रखने की जुगत में है, इन राज्यों में से मध्य प्रदेश को दोनों ही प्रमुख दलों ने अहम माना...

  • नेता असभ्य क्यों होते जा रहे हैं?

    असभ्य नेता जब सदन में होते हैं तो वो भूल जाते हैं कि उनके विपक्ष में बैठे नेता भी एक जनप्रतिनिधि हैं। वो भी उतने ही सम्मान के हक़दार हैं जितने कि वे स्वयं को मानते हैं। परंतु सत्ता के नशे में चूर कुछ नेता, चाहे किसी भी दल के क्यों न हों अपने विपक्षी नेताओं को आजकल आम जनता की तरह समझने लगे हैं। ...कोई मशहूर व्यक्ति न सिर्फ़ राजनीति में बल्कि किसी भी अन्य क्षेत्र में क्यों न हो अगर शांत और शालीन स्वभाव के हैं तो उनका ज़िक्र हमेशा सम्मान के साथ ही होता है। ऐसी वाणी...

  • ट्रंप की बढ़त पर झटके लगातार!

    रिपब्लिकन पार्टी की दूसरी प्रायमरी डिबेट में डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर गैर-मौजूद थे। दूसरे उम्मीदवारों ने उनके गायब रहने पर गुस्सा, नाराज़गी और झुंझलाहट जाहिर की। लेकिन इसके बाद भी, व्हाईट हाउस का अगला किरायेदार बनने के सातों रिपब्लिकन आकांक्षी मिलकर भी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ माहौल बनाने में नाकामयाब रहे। पूर्व राष्ट्रपति अभी भी दौड़ में सबसे आगे हैं और उन्हें पसंद करने वालों की संख्या न सिर्फ रिपब्लिकनों में सबसे ज्यादा है बल्कि वे जो बाइडन से भी आगे हैं। डेसांटिस - जिनके बारे में कहा जाता है कि वे इस दौड़ में दूसरे नंबर पर हैं...

  • न्यायपालिका का सकारात्मक हस्तक्षेप

    सर्वोच्च अदालत ने विधायिका की शुचिता को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा सकारात्मक हस्तक्षेप किया है। सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यों की एक संविधान पीठ इस बात पर विचार करेगी कि सदन के अंदर रिश्वत लेने पर सांसद या विधायक को मुकदमे से मिलने वाली छूट जारी रहनी चाहिए या उसे खत्म कर दिया जाए? यह बेहद महत्वपूर्ण सवाल है, जो राजनीति की नैतिकता से जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने इस सवाल पर विचार किया था और संविधान के अनुच्छेद 105 (2) और...

  • मोदी का सम्मोहन खत्म हो रहा है…..?

    भोपाल। तीन राज्यों में विधान सभा चुनावों का ताप बढ़ने के साथ मोदी जी के हवाई दौरे और आभासी उद्घाटनों के सरकारी आयोजनों की सूचना के विज्ञापनों से भरे समाचार पत्रों के बाद भी भीड़ एकत्र करने का दायित्व भी पार्टी का नहीं – सरकार की जिम्मेदारी है ! परंतु ऐसे आयोजनों में उनके भाषण अभी भी कॉंग्रेस केंद्रित होते हैं, अब ऐसे अवसर पर दलीय प्रचार कितना उचित है। यहां पर इलाहाबाद उच्च न्यायलय का जस्टिस जगमोहन लाल का विख्यात फैसले का जिक्र करना जरूरी है, जिसमें उन्होंने इन्दिरा गांधी जी के रायबरेली से संसद के चुनाव को सिर्फ...

  • गढ़ बचाने और हथियाने की चुनौती

    भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ रहे हैं इस बार नई रणनीति के तहत अपने गढ बचाने और विरोधी दल के गढ़ को हथियाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं इस कारण प्रत्याशी चैन में भारी उलटफेर किया जाएगा। दरअसल विधानसभा चुनाव 2018 के चुनाव परिणाम से सबक लेकर दोनों ही दल पिछले दो वर्षों से चुनावी तैयारी कर रहे हैं एक तरफ जहां बूथ मजबूती पर ध्यान दिया गया वहीं दूसरी ओर प्रत्याशी चयन के लिए भी लगातार सर्वे चलते रहे और...

  • सर्वकामना के लिए अनंत चतुर्दशी

    कौण्डिन्य मुनि ने चौदह वर्ष तक अनन्त-व्रत का नियमपूर्वक पालन करके खोई हुई समृद्धि को पुन:प्राप्त कर लिया। श्रीकृष्ण की सलाह और इस कथा से प्रेरित होकर धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्त सूत्र धारण किया। अनन्त चतुर्दशी व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए। 28 सितंबर- अनन्त चतुर्दशी व्रत जिसकी कोई सीमा न हो, जिसका कोई अंत न हो, उसे अनन्त (अनंत) कहा जाता है। यह शब्द उन राशियों के लिए प्रयुक्त किया जाता है, जिनकी माप अथवा गणना उनके परिमित न रहने के...

  • अज़रबैजान ने मौके का फायदा उठाया

    कत्लेआम तो टल गया लेकिन उसने बड़े पैमाने पर पलायन का स्वरुप ले लिया। पिछले हफ्ते अज़रबैजान ने अपनी ही नागोर्नो-काराबाख़ पर सैन्य आक्रमण किया जिसमें केवल एक दिन में 200 से अधिक लोग मारे गए। लेकिन अगले दिन ही युद्धविराम कायम हो गया और क्षेत्र में सक्रिय अर्मेनियाई अलगवावादी आत्समर्पण करने और अपने संगठन को भंग करने के लिए राजी हो गए। इसका मतलब हुआ अज़रबैजान की जीत। इस इलाके में तीन साल पहले तैनात की गई रूस की शांतिसेना की मध्यस्थता से हुए इस समझौते का एक अर्थ है नागोर्नो-काराबाख़ का अर्ध-स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा समाप्त हो जाना।...

  • सांसदों को विधायकी लड़ाने पर सवाल

    पहले भी ऐसा होता था लेकिन वह अपवाद था कि सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाए। अब भारतीय जनता पार्टी ने इस अपवाद को नियम बना दिया है। वह सभी राज्यों में सांसदों को विधानसभा के चुनाव लड़ाती है। यहां तक कि केंद्रीय मंत्री भी विधानसभा का चुनाव लड़ते हैं। अभी मध्य प्रदेश में भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों- नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को चुनाव मैदान में उतारा है। हैरानी नहीं होगी अगर चौथे मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी चुनाव में उतारा जाए। इससे पहले त्रिपुरा में केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक को चुनाव लड़ाया...

  • गुजरात फार्मूले से एम पी में यू टर्न.. या दूर दृष्टि..!

    भोपाल। भाजपा के सशक्त राष्ट्रीय नेतृत्व के चुनावी फैसलों से कभी सारे घर के बदल डालो गुजरात फार्मूले की खूब चर्चा रही.. तो कभी परिस्थितियों जन्म समझौते कर राज्यों से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में अपने निर्णय से मोदी और शाह की जोड़ी ने खूब चौंकाया.. गुजरात में चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री से लेकर उम्मीदवारों में एक झटके से बड़ा बदलाव यदि सफलता के साथ जीत की गारंटी साबित हुआ .. तो हिमाचल से ले कर कर्नाटक में भाजपा की रणनीति पर सवाल भी खड़े हो चुके हैं.. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के चुनाव में मध्य...

  • मेडिकल पढ़ाई की गुणवत्ता क्या रह गई?

    वैसे तो पिछले कुछ समय से जीवन के हर क्षेत्र में गिरावट आ रही है। हर चीज की गुणवत्ता खराब हो रही है। हवा-पानी से लेकर खाने-पीने की चीजों और कला, साहित्य, फिल्मों से लेकर राजनीति तक की गुणवत्ता निम्नतम स्तर की ओर बढ़ रही है। लेकिन सर्वाधिक गिरावट शिक्षा के क्षेत्र में दिख रही है। केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है, जिसके असर का अंदाजा आने वाले समय में लगेगा लेकिन अभी शिक्षा की गुणवत्ता में चौतरफा गिरावट दिख रही है। कई सर्वेक्षणों में स्कूली बच्चों के गणितीय कौशल या किसी भी विषय को समझने की...

  • हिंदू मुसलमान से हटकर जाति जनगणना बना मुख्य मुद्दा!

    क्या मध्य प्रदेश से फिर साबित हो रहा है कि अब चुनाव धर्म को मुद्दा बनाकर नहीं जीते जा सकते? कर्नाटक ने तो अभी बताया ही था। वहां प्रधानमंत्री बजरंग बली को चुनाव में ले आए। धार्मिक उन्माद बढ़ाने की हर संभव कोशिश की मगर जनता हिंदू मुसलमान में नहीं फंसी। मध्य प्रदेश में यह बात मोदी जी की समझ में आ गई है। इसलिए उन्होंने इस मुद्दे पर जाने के बदले पार्टी की सबसे बड़ी तोपें अचानक मध्य प्रदेश के चुनावी मैदान में उतार दीं। भक्त और गोदी मीडिया इससे भी खुश हो गए कि वाह क्या चौंकाया मोदी...

  • हॉलीवुड में क्या अब शुरू होगा काम?

    पूरे 146 दिन बाद ‘रुकावट के लिए खेद है’ का बोर्ड हॉलीवुड के सामने से हट गया है या करीब-करीब हट गया है। और हॉलीवुड दुबारा कामकाज शुरू करने के लिए तैयार है या करीब-करीब तैयार है। द राईटर्स गिल्ड ऑफ अमेरिका, डब्लुजीए मनोरंजन क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के साथ एक अंतरिम समझौते पर पहुंच गई है। एक नया कॉन्ट्रैक्ट तैयार हो रहा है, जिस पर दोनों पक्ष दस्तखत करेंगे। हालांकि हालात सामान्य होने में वक्त लगेगा मगर इस समझौते से एक साथ दो हड़तालों से जूझ रहे इस उद्योग को कुछ राहत मिलेगी। इसके पहले यह स्थिति आखिरी बार...

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