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जनसत्ता में रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव। नया इंडिया में राजधानी दिल्ली और राजनीति पर नियमित लेखन
  • इंडिया नहीं विपक्ष या यूपीए कहिए

    ये राजनीति भी ग़ज़ब हैं। किसी काम की या नाम की शुरूआत कीजिए कि चुटकी लेने वाले और बदनाम करने वाले आपको तुरंत मिल जाएँगे। या यूँ कहिए कि शुरूआत हुई नहीं कि बतगंड बनना शुरू हो जाता है। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों गर्माहट हुई तो ज़मीन पर पहुँची कांग्रेस को भी कुछ उम्मीदें दिखने लगीं सत्ता में वापसी की। लेकिन इससे पहले कि सत्ता पक्ष उसे बदनाम कर फ़ायदा उठाए कांग्रेस ने अपने संगठन का नाम ही यूपीए से बदल कर इंडिया कर दिया। ताकि कोई राजनीतिक पार्टी अगर संगठन को बदनाम कर फ़ायदा उठाए भी या...

  • एमपी में कमलनाथ या कमल

    कर्नाटक मॉडल और सीएम के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का चेहरा सामने रख कांग्रेस मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में बताई जा रही है। पर साथ ही पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को सूबे का प्रभारी बनाकर भेजने की तैयारी है। इन नेता के कमलनाथ के साथ साथ पार्टी आलाकमान से भी अच्छी पेंठ बताई जाती है।और यह भी कि इन नेता को प्रभारी बनाए जाने पर किसी को कोई परेशानी भी नहीं है।पार्टी भरोसे में है कि इस तैयारी से वह 2018 में हुए चुनावों से ज़्यादा सीटें हासिल कर सकेगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता...

  • सु्प्रीम फ़ैसले के बाद राहुल नए अवतार में !

    सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद सांसद राहुल गांधी अब नए अवतार में दिखेंगे कांग्रेस के गलियारों में ऐसी ही चर्चा चल निकली है। मानसून सत्र में हिस्सा लेने की तैयारी के साथ ही वे पार्टी नेताओं के साथ मीटिंगें करने के कर उन्हें लोकसभा चुनावों में जीत कैसे हो सकेगी यह भी समझाएँगे।कहा जाने लगा है कि मानहानि के मामले से राहत के बाद वे राजनीति के इस साँप-सीढ़ी के मामले को समझने के बाद मेकओवर पर पूरा फ़ोकस करते दिखेंगे। कहा जा रहा है कि 2024 के चुनौतीपूर्ण चुनाव के चलते राहुल गांधी ने हर राज्य के...

  • …पर पंजाब तो मान का ही

    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर निराश हैं। इस बार उन्हें निराशा दिल्ली प्रशासनिक सेवा बिल के लोकसभा में पास हो जाने से हुई है तो कल राज्यसभा में पास हो जाने होनी तय है। पर केजरीवाल के साथ ऐसा कोई पहलीबार नहीं हुआ ।दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की भी उन्हें उम्मीद रही होगी पर सरकार के भरोसे के बाद भी जब ऐसा नहीं तो बेचारे निराश हुए थे। या यूँ कहिए कि केजरीवाल की एक पूर्ण राज्य का सीएम बनने की इच्छा अभी तक अधूरी ही है। दिल्ली से दिल हटा अपने केजरीवाल ने...

  • राजनीति का खेला कर गहलोत फिर दौड़ में

    अशोक गहलोत की राजनीति ने आख़िर फिर यह साफ़ कर दिया कि राजस्थान के सरदार वहीं हैं और अगले विधानसभा चुनावों में पार्टी की जय-जयकार भी वही कर सकते हैं। अब ऐसा गहलोत ने जनता के हित के लिए दर्जनभर योजनाओं को फटाफट लागू कर किया या फिर राजस्थान के वोटरों को जातियों में बंटा दिखाकर यह जताकर किया कि वे जिस जाति से ताल्लुक़ रखते हैं उनकी तादाद सबसे बड़ी है यानी माली। यह बात अलग है पर लंबे समय से सचिन पायलट के साथ की लड़ाई पर विराम ज़रूर लगा दिया। और रही बची कसर जल्दी ही ही...

  • कांग्रेस को दिल्ली तो आप को पंजाब में उम्मीद

    कांग्रेस और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आप पार्टी के बीच प्रेम और हित का का यह रिश्ता कब तक रहता है यह बात बाद की है पर फिलाहल तो कांग्रेसियों को इसमें दाल में काला नज़र आ रहा है। दिल्ली के कांग्रेसी तो कम से कम यही मानते हैं कि केजरीवाल मौक़ापरस्त हैं। उनकी हर चाल में कुटिलता है। पर दोनों के बीच यह अखाद्य प्रेम पर राष्ट्रीय कांग्रेस की सहमति है सो बोलना कोई नहीं चाहता । दिल्ली कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि यह वही केजरीवाल हैं जो कांग्रेस के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मोटे-मोटे पुलिंदे...

  • न चोर मिला न बोले नेता ही

    दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कई सदस्य भले मोंसेरे भाई न हों पर एक-दूसरे को चोर और घोटालेबाज़ बताकर यह ज़रूर साबित करने में लगे हैं कि ‘चोर-चोर मोंसेरे भाई’। अब कौन चोर है और कौन नहीं यह फ़ैसला भले कमेटी की तरफ़ से गठित जाँच कमेटी को करना है लेकिन राजनीति चमकाने के लिए ये सिख नेता पगड़ी उछालने में लगे हुए हैं। पिछले दिनों कमेटी के ही एक नेता ने दिल्ली कमेटी,उप-राज्यपाल और पुलिस को जब इस आशय की शिकायत भेजी और जाँच की माँग की गई तो आरोपी ने भी शिकायत करने वाले नेता और कमेटी...

  • खिसकते वोटों ने बढ़ाई मायावती की चिंता

    कल तक सन्नाटा पसरे बहुजन समाज पार्टी के दिल्ली दफ़्तर में अब फिर रौनक़ दिखने लगी है। यह रौनक़ लोकसभा चुनावों को लेकर हुई है या फिर या फिर मतदाताओं के बीच पार्टी का जनाधार कम हो जाने से यह बात अलग है पर यह ज़रूर है बसपा की सुप्रीमो मायावती अब चिंतित बताई जा रही हैं। कहा तो जा रहा है कि विपक्ष की पिछले दिनों बेंगलोर में हुई बैठक से मायावती ने भले खुद को अलग रखा पर इस बैठक के बाद राजनीति के बनते बिगड़ते समीकरणों से वे चिंतित ज़रूर हैं। और तभी इस चिंता ने उन्हें...

  • जान चली गई तो कहते हैं जानलेवा है

    दिल्ली में आई बाढ़ के पानी में डूबकर तीन बच्चों की मौत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब लोगों को शिक्षा दे रहे हैं कि बाढ़ ख़तरनाक मोड़ पर है, उसे देखने या वीडियो बनाने न जांए और न ही सेल्फ़ी ले। बात तो ठीक है पर यह शिक्षा या ऐसी हिदायत पहले ही दे दी होती या फिर बाढ़ तक जाने से रोकने के लिए पहले ही इंतज़ाम किए होते तो आज इस हादसे को रोका जा सकता था। माना कि सेल्फ़ी का बुख़ार लोगों को 2014 से ऐसा लगा है कि वे जान जोखिम की चिंता...

  • तो गहलोत और सचिन कहेंगे हम एक हैं

    कर्नाटक में मिलकर चुनाव लड़ने का उदाहरण देकर कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहे विवाद को भले फिलाहल समझा-बुझा कर सुलटा दिया हो पर कांग्रेसियों के बीच यह विवाद फिर उठने की संभावना जताई जा रही है। पार्टी जानती है कि कर्नाटक की तरह ही राजस्थान में भी फिर से जीत दोनों नेताओं के मिलकर चलने से ही संभव है। और तभी यह भी माना जा रहा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव इस बार सीएम चेहरे के बिना ही लड़ा जाएगा। अब दोनों नेताओं के बीच की कलह को किस सुलह से निपटाया गया...

  • टिकट की जुगत में सड़क पर भाजपा नेता

    लोकसभा चुनावों की सरगर्मियों के बीच भाजपा के कई मंत्री,पूर्व मंत्री और सांसदों की धड़कनें भी तेज हो चलीं हैं। हर दूसरा नेता अपनी रिपोर्ट कार्ड दुरुस्त करने में व्यस्त हो चला है। मंत्रियों में से जिन्हें प्रभारी बनाया है वे खुश हैं उनके दफ़्तर में रौनक़ उनकी उम्मीदों का इज़हार कर रही हैं और जिनके प्रभारी बनने की संभावना कम है उनके दफ़्तर में भी सन्नाटा सा पसरा है। कमोवेश यही हॉल पूर्व मंत्रियों का है। कोई चार साल बाद जनता के बीच दिखने लगा है तो कोई कांवड़ियों के काँपों में जाकर फ़ोटो खिंचवा कर सोशल मीडिया पर...

  • क्रांतिकारियों की तस्वीरों के सहारे राजनीति

    देश में ज़्यादातर नेताओं की राजनीति क्या आज़ादी के लड़ाके या फिर क्रांतिकारियों के नाम पर या फिर उनकी तस्वीर के सहारे चलाई जा रही है। सवाल थोड़ा टेडा है पर सोचने लायक़ भी। भले वह मुख्यमंत्री का दफ़्तर हो या फिर किसी मंत्री या विधायक स्तर के नेताओं का ही क्यूं नहीं, दफ़्तर के दरवाज़े पर ही आज़ादी के लड़ाकों,क्रांतिकारियों या उनके वंशजों की फ़ोटो टंगी दिख जाती है पर ज़्यादातर नेताओं को इनके बारे में क्या उनके वंशजों की जानकारी भी नहीं होगी कि वे किन हालातों में जीवन यापन कर रहे होंगे और न ही आज के...

  • बुढ़ापे में युवा होते नेता

    देश में युवक-युवतियों की शादी की उम्र भले तय कही गई हो पर नेताओं ने खुद को लगता है इससे अलग रखा। यानी नेताओं के लिए राजनीति में आने की न तो कोई उम्र की सीमा तय की गई और न ही रिटायरमेंट की। तभी हर दूसरा नेता खुद को युवा बनाए रखने के लिए न जाने क्या-क्या हथकंडे अपनाता रहता है। पर हाँ यह ज़रूर है कि इस कथित जवानी को लेकर नेताओं को राहुल गांधी याद ज़रूर रहते हैं।यह अलग बात है कि भाजपाई अगर उन्हें युवा कहकर चुटकी लेने से नहीं चूकते हैं तो उन्हें पॉपी कहने...

  • अहमद पटेल की बेटी कांग्रेस में तो बेटा भाजपा में!

    राजनीति में कभी तुरुप का इक्का कहे जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की बेटी मुमताज़ क्या सक्रिय राजनीति में आऐंगी ? राजनीतिक गलियारों में अब ऐसी ही चर्चा होने लगी है। कांग्रेस मुख्यालय में पिछले दिनों जब छत्तीसगढ़ को लेकर कांग्रेसियों की बैठ हुई तो मुमताज़ पटेल भी वहाँ देखी गईं। वे राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खडगे सहित कई नेताओं से मिलीं भी और तभी से शुरू हो चली है उनके सक्रिय राजनीति में आने की चर्चा । कहा तो जा रहा है कि बेटी मुमताज़ पटेल पिता की विरासत सँभालने की मंशा...

  • एमपी में भाजपा को बाग़ियों से उम्मीदें

    मध्यप्रदेश में पार्टी की पतली हालात के खुलासे के बाद भाजपा को इसका समाधान बाग़ियों में दिख रहा है। तभी अब भाजपा बाग़ियों को न सिर्फ़ पुचकारने की तैयारी में है बल्कि वह उन्हें सुविधा सम्पन्न भी करेगी ताकि पार्टी को इसका चुनावी फ़ायदा मिल सके। पिछले दिनों इस सूबे कराए गए अपने सर्वे ने पार्टी को मामा यानी कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पतली होती हालत और एंटी इनकमबेंसी ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। कर्नाटक हारने के बाद भाजपा को यह सूबा हाथ से लिखता दिखने लगा है। तभी यहां सर्वे कराया गया था लेकिन शिवराज...

  • उम्मीदों के साये में निराश कांग्रेसी

    राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और नफ़रत की जगह मोहब्बत की दुकान की शुरूआत कर कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में क्या हासिल कर पाती है यह अलग बात है पर कल तक जो कांग्रेसी कांग्रेसी चोला उतार भगवा चोला पहनने को बेताब थे कम से कम उन्हें धैर्य मिला है। दिल्ली के कई कथित वरिष्ठ कांग्रेसी जो भाजपा में शामिल होने का मन बना चुके थे अब वही नेता अपनी चुनावी ज़मीन तैयार करने में लगे हैं। ये अलग बात रही कि कांग्रेस से मुंहु मोड़ते इन नेताओं में कुछ को ईडी,और सीबीआई डर था तो किसी को...

  • एमपी में चौहान नहीं तो विकल्प कौन

    राजनीति में मामा के नाम से पहचान बना चुके एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाएगी या फिर चुनाव मोदी के चेहरे पर और कमान चौहान के हाथ होगी ? संगठन और चौहान के चहेतों के ज़ेहन में आजकल यह सवाल अटका हुआ है। या यूँ मानिए कि मध्यप्रदेश को लेकर भाजपा संगठन पशोपेश में है। एमपी की राजनीति में दखल रखने वाले दिल्ली के दो नेताओं की मानें तो पिछले दिनों संगठन ने दो बार इसी सवाल को लेकर सर्वे कराए पर दोनों में चौहान की लोकप्रियता कम हुई बताई गई।साथ...

  • सिंधिया कांग्रेस में लौटेंगे

    कहावत है एक पेड़ से उड़ा पंछी वापिस उसी पेड़ पर आकर बैठता है। ग्वालियर के कुंवर साहब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए सिंधिया फिर कांग्रेस में लौटने का मन बनाते बताए जा रहे हैं। और तो और वे इसके लिए उतावले बताऐ जा रहे हैं। चर्चा है कि पिछले दिनों कई बार सिंधिया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को फ़ोन कर बात करने की कोशिश की पर राहुल ने उनके फ़ोन का रिस्पांसिबिलिटी ही नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे से फ़ोन पर बात की...

  • …पर शहर में चर्चा है

    आम आदमी पाटी के सांसद राघव चड्डा भाजपा में शामिल होते हैं या नहीं यह तो इंतज़ार की बात है पर शहर में यह चर्चा ज़रूर शुरू हो गई है। या यूँ कहिए कि मायानगरी मुंबई में चलने के बाद अब यह खबर दिल्ली में भाजपाईयों के बीच चर्चा बन गई है। ख़ासतौर से उनके विधानसभा क्षेत्र राजेंद्र नगर में। शालीनता से राजनीति करने वाले चड्ढा के भाजपा में शामिल होने की खबर परणीति चोपडा से सगाई के बाद से शुरू हुई। परणीति जानी -मानी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की बहन हैं और परिवार के भाजपा में अच्छे संबंध बताए जाते...

  • राज्यों के चुनावों में प्रियंका से पार्टी को है आस

    2024 में लोकसभा और इस साल के आख़िर में पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में क्या प्रियंका गांधी पार्टी के प्रचार का चेहरा बनेंगी, क्या मोदी ब्रांड के सामने वे एक मज़बूत नेता बनकर उभर सकेंगी,ऐसे ही कई सवालों को लेकर कांग्रेस में मंथन चल रहा बताया जा रहा है। कांग्रेसी हलकों में कहा जा रहा है कि जिस तरह प्रियंका कर्नाटक चुनाव में अपने भाषणों को लेकर प्रखर रहीं उससे कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ीं हैं और तभी यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी उनको कोई बड़ी ज़िम्मेदारी देने की तैयारी में। नो डाउट कि प्रियंका...

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