देवदत्त दुबे
राजनीतिक दलों ने एक तरफ जहां ओबीसी के पक्ष में खड़े होने की रणनीति अपनाई है तो वहीं दूसरी ओर बगैर ओबीसी आरक्षण के ही होने वाले चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दी हैI
प्राचीनकालीन देवी पूजा से जुड़ी शाक्त संप्रदाय पांच मकारों अर्थात मत्स्य, मांस, मद्य, मुद्रा (नृत्य) और मैथुन में विश्वास करता था।
भोपाल। प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियों में जुटे दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ने अपने -अपने एजेंडे पर तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं। भाजपा ने जहां उपलब्धियों को ऊंचाइयां देने की कोशिश शुरू कर दी है वहीं कांग्रेस ने भी सरकार की खामियों की खिलाफत करने के लिए कमर कस ली है। दरअसल, चुनाव के लिए वैसे तो 15 महीने से ज्यादा है लेकिन दोनों दलों की चुनावी तैयारियों को लेकर बेताबी इतनी है कि अभी से मुद्दों को धार देना शुरू कर दिया है। लगातार सत्ता में रहते हुए भाजपा ने लगभग हर क्षेत्र मैं सामाजिक सरोकारों से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन किया और इसी का परिणाम है कि सरकार के खिलाफ निर्णायक एंटी इनकंबेंसी नहीं बन पाई 2003 के बाद केवल 2018 में महज कुछ सीटों से भाजपा सरकार बनाने से रह गई तब भी वोट प्रतिशत कांग्रेस से ज्यादा था। यही कारण है कि भाजपा अब नई योजनाओं को लागू करने की बजाय उन योजनाओं की रीलॉन्चिंग कर रही है जिनके कारण उसे सफलता मिलती रही है कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को जोर – शोर से पुनः प्रारंभ करने के बाद अब भाजपा सरकार 8 मई को लाड़ली लक्ष्मी योजना… Continue reading उपलब्धियों को ऊंचाईयां और खामियों की खिलाफत का द्वार
राजनीति भले ही धर्म और जातियों के आधार पर मूल्यांकन करें लेकिन ब्राह्मण समाज को सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की भावना को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ना चाहिए
प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के बीच एक बार फिर 2023 में सीधा मुकाबला होना तय माना जा रहा है
प्रदेश में मिशन 2023 की तैयारियों में जुटे दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस में अपने अपने राजनीतिक एजेंडे तय कर लिए हैं।
सत्ता और संगठन में तालमेल बनाते हुए प्रदेश भाजपा में किस तरह से और कसावट लाई जा सके इसके लिए कोर ग्रुप के नेताओं की महत्वपूर्ण बैठक आज दिल्ली में होने जा रही है
तू डाल डाल मैं पात पात की तर्ज पर भाजपा और कांग्रेस आदिवासी वर्ग को अपनी और करने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं
वैसे तो अब समूची राजनीति में अपनों को उपकृत करने का सिलसिला थमने लगा है लेकिन भाजपा में तो अब इस बात पर पूरी तरह अमल किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रियों और प्रदेश के मंत्रियों ने स्वागत सत्कार में और आदर सत्कार में कोई कमी नहीं रहने दी तभी शाह के इस दौरे को एक बार फिर शहंशाही दौरा कहा जा रहा हैI
भोपाल दौरे को लेकर भाजपा ही नहीं पूरे राजनीतिक क्षेत्र में सनसनी है क्योंकि शाह किसी भी विपरीत परिस्थिति को अनुकूल बनाने में माहिर माने जाते हैं।
जब भीमराव अंबेडकर के गुणगान करते हुए पूरे देश में शक्ति बन चुकीबसपा ढलान पर है तब अंबेडकर जयंती जलवेदार मनाने और दलितों का सबसे बड़ा शुभचिंतक बनने की होड़ भाजपा कांग्रेस और ‘आप’ पार्टी में देखी गई।
शून्य से शिखर पर पहुंची भाजपा राजनीतिक समीकरणों को साधने में कितनी माहिर है, बसपा के मजबूत और कमजोर दौर में भाजपा ने अपनी अनुकूलता बनाई।
प्रदेश में अप्रैल में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है तो दूसरी तरफ सियासत का पारा भी तेजी से चल रहा है। रामनवमी पर खरगोन में हुए दंगे के बाद इसकी चपेट में दिग्गज भी झुलसने लगे हैं।
लोकसभा के साथ-साथ अब राज्यसभा में भी पार्टी ने 101 सांसदों का रिकॉर्ड बना दिया है। पार्टी लगातार विस्तार पर जोर दे रही है।