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अमेरिका में क्या बात करके लौटे थरूर

आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को एक्सपोज करने और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताने के लिए दुनिया के 33 देशों के दौरे पर गए भारतीय डेलिगेशन लौट आए हैं। सात में से एक डेलिगेशन कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में गया था। यह सबसे हाई प्रोफाइल डेलिगेशन था, जिसे अमेरिका भेजा गया था। जाते हुए भी डेलिगेशन अमेरिका पहुंचा और कई लोगों से मिला और उसके बाद पनामा, कोलंबिया आदि देशों के दौरे से लौटते हुए भी यह डेलिगेशन अमेरिका रूका। लौटते समय शशि थरूर के नेतृत्व वाले डेलिगेशन के सदस्य अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वांस से मिले। सवाल है कि थरूर और अन्य सदस्यों ने वांस से क्या बात की? यह सवाल इसलिए है क्योंकि जेडी वांस से थरूर के नेतृत्व वाले डेलिगेशन के मिलने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा संघर्ष रूकवाया। ट्रंप ने कहा कि व्यापार और टैरिफ की धमकी देकर संघर्ष रूकवाया और इसका श्रेय उनको मिलना चाहिए। ट्रंप ने 10 से 12 जून के बीच 13 बार यह बात कही है।

क्या शशि थरूर और भारतीय डेलिगेशन के दूसरे सदस्यों ने वांस से नहीं कहा कि ट्रंप क्या अनापशनाप बोल रहे हैं? भारत के नेता, अधिकारी आदि मीडिया के सामने छायावादी अंदाज में जवाब दे रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान ने सीधी बातचीत करके सीजफायर किया लेकिन ट्रंप जो कह रहे हें उसका खंडन कोई नहीं कर रहा है। खंडन सूत्रों के हवाले से किया जा रहा है। सवाल है कि जब ट्रंप सीधे बोल रहे हैं तो खंडन भी सीधे होना चाहिए। यह उम्मीद की जा रही थी कि भारत का डेलिगेशन इस बारे में अमेरिकी उप राष्ट्रपति और दूसरे लोगों से बात करेगा। उनसे कहेगा कि वे ट्रंप को समझाएं कि ट्रंप भारत को अपमानित करना बंद करें। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। डेलिगेशन से जेडी वांस के मिलने के बाद ट्रंप ने 13वीं बार कहा कि उन्होंने युद्ध रूकवाया। ऐसा नहीं है ट्रंप अपने उप राष्ट्रपति की बात नहीं सुनते हें। आखिर इलॉन मस्क और ट्रंप का झगड़ा वांस की मध्यस्थता से सुलझा है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि भारत के मामले में वांस ने भी कोई दखल नहीं दिया।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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