फ़िल्म में सबसे बड़ा प्रतीक ब्लूज़ म्यूज़िक है जो कि दक्षिण अमेरिका के अश्वेत अफ्रीकन- अमेरिकन समुदायों से निकला है। 20वीं सदी की शुरुआत तक भी जब श्वेत लोगों ने इसे सुना तो इसे ‘डेविल्स म्यूज़िक यानी ‘शैतान का संगीत’ कहा। बहुत सारे अश्वेत समुदायों में मिशनरियों के साथ आए ईसाई धर्म को, अश्वेतों की अपनी संस्कृति को खत्म करने वाला माना जाता है।
सिने-सोहबत
ऐसा बार बार कहां हो पता है कि आप ऐसी कोई फ़िल्म देख पाएं, जिसमें इतिहास, पॉप कल्चर, राजनीति, संगीत और कलात्मकता का ऐसा ज़बरदस्त मेल हो, जिसका प्रभाव आप पर लंबे समय तक रहे। फिल्ममेकर रायन कूगलर की ‘सिनर्स’ ऐसी ही एक बेहतरीन फिल्म है, जो अपने आखिरी सीन पर खत्म नहीं होती, वो आपके ज़ेहन में ठहरती है। धड़कनें बढ़ाती है। चिंतनशील भी करती है।
कूगलर की फिल्म ‘सिनर्स’, की कहानी 1932 के साउथ अमेरिका में, मिसिसिपी के क्लार्क्सडेल कस्बे की दुनिया में सेट है। माइकल बी जॉर्डन दो जुड़वा अश्वेत भाइयों स्मोक और स्टैक के रोल में हैं जो कुख्यात अमेरिकी गैंगस्टर अल-कपोन के दौर वाले शिकागो से, अपने घर वापस लौटे हैं। यहां फिल्म के इन मुख्य किरदारों की पहचान ‘अश्वेत’ बताना इस वजह से बहुत जरूरी है क्योंकि कहानी इसी पहचान के इर्द गिर्द ही बुनी हुई है।
इधर उनका एक चचेरा भाई सैमी (माइल्स केटन) ब्लूज़ म्यूज़िक में अपना नेचुरल टैलेंट तराश रहा है। सैमी के पिता एक पादरी हैं और वो सैमी के म्यूज़िक से जुड़ने के खिलाफ हैं, खासकर ब्लूज़ म्यूज़िक से। मगर सैमी अपने म्यूज़िक को अपनी पहचान बनाना चाहता है। शिकागो से लौटे स्मोक-स्टैक के पास ढेर सारा पैसा और शराब है, जिससे वो एक ज्यूक-जॉइंट (एक क्लब) खोलना चाहते हैं- अश्वेतों के लिए, अश्वेतों का एक ज्यूक-जॉइंट, जहां दिन भर खेतों में खटने वाले अश्वेत मजदूर आकर ख़ुद को एंटरटेन कर सकें।
सैमी के म्यूज़िक में उन्हें अच्छी भीड़ जुटाने और उन्हें खुश करने का दम नजर आ रहा है। उन्होंने ब्लूज़ म्यूज़िक के एक पुराने और पॉपुलर उस्ताद डेल्टा स्लिम (डेलरॉय लिंडो) को भी
साथ लिया है। डेल्टा का किरदार कहानी में अश्वेत संस्कृति, उनके संगीत के इतिहास और प्रतीकों को याद दिलाने वाला किरदार है।
कहानी में स्मोक की पत्नी एनी (वनमि मोसाकु) और स्टैक की पूर्व प्रेमिका मैरी (हेली स्टेनफील्ड) भी हैं, जिन्हें दोनों भाई छोड़ कर शिकागो चले गए थे। एक चाइनीज कपल है (ली यन ली और याओ), जो ज्यूक-जॉइंट सेट करने में दोनों भाइयों की मदद करता है। एक शादीशुदा लड़की है पर्लीन (जेमी लॉसन) जो सैमी के म्यूजिकल चार्म की वजह से उसकी तरफ खिंची चली आई है। दोनों के बीच की केमिस्ट्री शानदार है।
ब्लूज़ म्यूज़िक और अश्वेत संघर्ष की कथा
फ़िल्म की कहानी एक पूरे दिन की है। सुबह जब सैमी अपने पादरी पिता के चर्च से निकल
रहा था तो उन्होंने चेतावनी दी थी- ‘शैतान के साथ मौज करते रहोगे, तो एक दिन वो तुम्हारे पीछे-पीछे घर चला आएगा। शाम को ज्यूक-जॉइंट की ओपनिंग हो रही है। रौशनी, संगीत और प्रेम भरी ये रात अपने जश्न के चरम पर है और दरवाजे पर एक दस्तक होती। दस्तक दी है रेमिक (जैक ओ’कॉनल), ने जो दरअसल एक वैम्पायर है। यही इस कहानी का डेविल है!
मिसिसिपी के खेतों में दिन भर मजदूरी करते इन अश्वेतों का, गोरों की पावर से दूर, अपने ज्यूक-जॉइंट का सपना बचा रह पाएगा? क्या शिकागो में सर्वाइव कर चुके स्मोक-स्टैक, अपने ही घर में सर्वाइव कर पाएंगे? सैमी के म्यूजिक का क्या होगा? क्या सच में उसका संगीत ही डेविल का निमंत्रण है? इन सवालों के जवाब जब ‘सिनर्स’ पर्दे पर खोलती है तो फिर कमाल होता है।
अपने सामने, आज के दौर में ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ जैसी लाइन देखने के बाद शायद ही किसी को ये अलग से समझाने की जरूरत हो कि अमेरिका में अश्वेतों को सदियों संघर्ष करना पड़ा है, जो आज भी कहीं न कहीं जारी ही रहता है। ऐसे में 1932 की कहानी लेकर आई ‘सिनर्स’ में रेसिज्म मुख्य थीम है। ये भी एक ज़रूरी बात है कि फ़िल्म में जिन मुद्दों को छुआ गया है उनको बार बार रिपीट करके फ़िल्म को उबाऊ बनाने से बचा लिया गया है।
फ़िल्म में सबसे बड़ा प्रतीक ब्लूज़ म्यूज़िक है जो कि दक्षिण अमेरिका के अश्वेत अफ्रीकन- अमेरिकन समुदायों से निकला है। 20वीं सदी की शुरुआत तक भी जब श्वेत लोगों ने इसे सुना तो इसे ‘डेविल्स म्यूज़िक यानी ‘शैतान का संगीत’ कहा। बहुत सारे अश्वेत समुदायों में मिशनरियों के साथ आए ईसाई धर्म को, अश्वेतों की अपनी संस्कृति को खत्म करने वाला माना जाता है।
‘सिनर्स’ में उम्रदराज ब्लूज़ लेजेंड डेल्टा एक जगह सैमी से कह रहा है- ‘गोरों को ब्लूज़ तो अच्छा-खासा पसंद है, लेकिन उन्हें ये संगीत बनाने वाले लोग नहीं पसंद’! गोरों के क्लबों में अश्वेत लोगों के साथ इतिहास में हुए बरतावों का अंदाज़ा सभी को है।
इस बैकग्राउंड के साथ ‘सिनर्स’ में अश्वेतों का अपना क्लब, संगीत, अपनी रंग-बिरंगी संस्कृति को कस कर पकड़े रहने की ज़िद और दिन भर की थकाऊ दिहाड़ियों के बाद शाम को एक ‘अपने’ स्पेस में आजाद-बेफिक्र होकर जी लेने का ख्वाब एक अटेंशन बांध लेने वाली थीम बन जाते हैं। एक ब्राउन, एशियन कपल की मौजूदगी ये दिखाती है कि दक्षिण अमेरिका का इतिहास केवल अश्वेतों का ही नहीं, प्रवासियों का भी है।
अपनी पहली ही फिल्म ‘फ्रूटवेल स्टेशन’ से ही फ़िल्ममेकर रायन कूगलर ने दिखाना शुरू कर दिया था कि वो मैसेज देने वाली थीम्स को, ध्यान बांधने वाले एंटरटेनमेंट के साथ डिलीवर करने में माहिर हैं। ‘क्रीड’, ‘ब्लैक पैंथर’ और उसके सीक्वल से कूगलर पर दर्शकों का विश्वास पक्का हो गया कि वो वजनदार कहानियां, एक नए विजन के साथ दमदार तरीके से पर्दे पर उतार सकते हैं।
अपनी हर फ़िल्म में रहे जबरदस्त टैलेंटेड एक्टर माइकल बी जॉर्डन के साथ उन्होंने एक बार फिर अपनी फ़िल्म में कई कमाल के क्रिएटिव फैसले किए हैं।
‘सिनर्स’ का सबसे बड़ा किरदार म्यूज़िक है और लुडविग योरानसोन का स्कोर हर मायने में फ़िल्म का सबसे बड़ा हीरो है। पुराने दौर के फ़ील से लेकर फ़ोक-स्टाइल सेटअप हो, या लव मेकिंग सीन्स और क्लाइमेक्स एक्शन का स्कोर, लुडविग ने वो म्यूज़िक दिया है जो हर सिचुएशन के साथ न्याय कर सके।
माइकल बी जॉर्डन के दोनों किरदार लुक्स में या फैशन में एक दूसरे से बहुत अलग नहीं हैं इसलिए उन्होंने इन्हें केवल बॉडी लैंग्वेज और लहजे से जिस तरह अलग-अलग किया है, वो हर एक्टर के लिए किसी एक्टिंग स्कूल से कम नहीं है। एक परफॉर्मर के तौर पर जॉर्डन हमेशा सराहे जाते रहे हैं और ‘सिनर्स’ में भी उनका काम एक पायदान ऊपर ही चढ़ा है। ‘सिनर्स’ में अगर ज़रा सी दिक्कत है भी तो वो दूसरे हिस्से में है। ‘सिनर्स’ का हॉरर, उतना असरदार नहीं है, जितना हो सकता था।
हालांकि, फ़िल्म के पोएटिक माहौल को ये सूट करता है। वैम्पायर्स के नेचर में कूगलर ने कुछ दिलचस्प बदलाव किए हैं। उनके वैम्पायर सिर्फ शिकार का खून ही नहीं उसकी आत्मा भी, याद्दाश्त समेत खींच लेते हैं और उसके भूत-भविष्य में झांक सकते हैं। वो एक बिल्कुल अलग जीव नहीं बन जाते, बल्कि इंसानी शरीर में ही भयानक जीव लगते हैं। इनकी सबसे दिलचस्प खूबी ये है कि ये बिना इजाजत आपके घर में नहीं घुसते और इजाजत पाने के लिए ये जो कुछ करते हैं वही डर की वजह है।
टेक्निकली भी हर डिपार्टमेंट में ‘सिनर्स’ एक शानदार फिल्म है। फ़िल्म की स्टोरी में नयापन चाहे बहुत ज़्यादा न हो, फ़िल्म की ‘टेलिंग’ में फिल्मकार रायन कूगलर बहुत ज़्यादा लंबी लकीर खींचने में बखूबी कामयाब रहे हैं। सिनेमाघरों में लगी है। देख लीजिएगा। (पंकज दुबे मशहूर बाइलिंग्वल उपन्यासकार और चर्चित यूट्यूब चैट शो, “स्मॉल टाउन्स बिग स्टोरिज़” के होस्ट हैं।)
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Pic Credit: ANI