नई दिल्ली। राज्यसभा में ‘इंडियन पोर्ट बिल- 2025’ सोमवार को पारित हो गया। बंदरगाहों के विकास से जुड़ा यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है। केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने राज्यसभा में इंडियन पोर्ट बिल रखा।
बिल का उद्देश्य बंदरगाहों से संबंधित कानूनों का एकीकरण करना, एकीकृत बंदरगाह विकास को प्रोत्साहन देना, व्यापार सुगमता को बढ़ावा देना तथा भारत की समुद्री तटरेखा का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना है।
इसके साथ ही प्रमुख बंदरगाहों के अतिरिक्त अन्य छोटे बंदरगाहों के प्रभावी प्रबंधन हेतु राज्य समुद्री बोर्डों की स्थापना और उन्हें सशक्त बनाना है। यह विधेयक सोमवार को राज्यसभा में पेश किया गया।
इस विधेयक पर जानकारी देते हुए केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बताया कि यह विधेयक कानून बनने पर एकीकृत बंदरगाह के विकास को बढ़ावा देगा और भारत की तटीय रेखा के सर्वोत्तम उपयोग को सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि यह विधेयक राज्यों में स्टेट मैरीटाइम बोर्ड्स की स्थापना और सशक्तीकरण तथा मैरीटाइम स्टेट डेवलपमेंट काउंसिल के गठन का प्रावधान करता है। इससे बंदरगाह क्षेत्र का संरचित विकास संभव हो सकेगा।
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इसके अलावा, इस विधेयक में प्रदूषण, आपदा, आपात स्थिति, सुरक्षा, नौवहन और डाटा प्रबंधन से जुड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुपालन, बंदरगाह संरक्षण और बंदरगाह संबंधी विवादों के समाधान के लिए न्यायिक तंत्र की व्यवस्था का भी उल्लेख है।
सोनोवाल ने प्रस्ताव रखा कि लोकसभा से पारित यह विधेयक राज्यसभा में विचार के लिए लिया जाए और पारित किया जाए। इसके बाद राज्यसभा ने ध्वनिमत से विधेयक पारित किया।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिल पर चर्चा के दौरान बिहार में मतदाता सूची के गहन रिव्यू के मुद्दे पर चर्चा करनी चाही।
उन्होंने चुनाव आयोग पर भी अपनी बात रखने का प्रयास किया। लेकिन, उन्हें इसकी स्वीकृति नहीं मिली। इसके जवाब में नेता सदन जेपी नड्डा ने कहा कि हम यह सत्र प्रारंभ होने के दौरान ही बता चुके हैं कि सरकार कानून संगत किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन, विपक्ष के सांसद चर्चा नहीं करना चाहते। ये लोग संसद की कार्यवाही में व्यवधान डालने का प्रयास कर रहे हैं। इनका उद्देश्य चर्चा करना नहीं है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के हंगामे के कारण अब तक राज्यसभा के 60 से ज्यादा घंटे व्यर्थ हो चुके हैं। साथ ही उन्होंने विपक्ष पर यह भी आरोप लगाया कि पार्टी का विरोध करते-करते ये देश का विरोध करने लगे हैं।
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