• डाटा लीक की हकीकत क्या है?

    आज के डिजिटल जमाने में डाटा लीक होना, सुरक्षित से सुरक्षित सर्वर का हैक हो जाना या पोर्टल में घुसपैठ होना कोई नई या बड़ी बात नहीं है। दुनिया के सबसे विकसित डिजिटल सुरक्षा वाले देशों में भी ऐसा होता रहा है। यह हकीकत है कि सुरक्षा प्रबंधन का काम देखने वाले तकनीकी विशेषज्ञ और हैकर्स में तू डाल डाल, मैं पात पात वाला खेल चल रहा है। सुरक्षा के विशेषज्ञ एक फायरवाल तैयार करते हैं और हैकर्स उसमें सेंध लगाने के रास्ते तलाशते हैं। यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है। इसमें कुछ भी स्थायी नहीं है। अगर कोई सरकार...

  • बर्लुस्कोनीः ट्रंप का इतावली पितामह!

    इटली राष्ट्रीय शोक में है। दूसरे महायुद्ध बाद सर्वाधिक लंबे समय प्रधानमंत्री रहे बर्लुस्कोनी की मृत्यु के गम में। वे 86 वर्ष के थे। एक मायने में बर्लुस्कोनी पश्चिमी सभ्यता के पहले डोनाल्ड ट्रंप। ट्रंप और बारिस जानसन उनके मानों वारिस, छोटे संस्करण! इटली की मौजूदा प्रधानमंत्री उनकी मुरीद रही है। वे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जिससे आधे इतावली उन्हे श्रद्धा से देखाते है वही विरोधी नफरत करते हुए। उनकी लीडरशीप मजबूत और निर्णायक व्यक्तित्व वाली थी। वे अरबपति थे। पैसे की ताकत से राजनीति पर कब्जा बनाया। उनका सबसे बडा मीडिया हाऊस तो एक फुटबाल क्लब के...

  • डेटा सुरक्षा में बड़ी सेंध

    जिस युग में डेटा को सोना कहा जाता है, डेटा सुरक्षा के ऐसे हाल के साथ कोई भी देश सुरक्षित रहने और विकास मार्ग पर चलने को लेकर आश्वस्त नहीं हो सकता। सरकार को ताजा घटना का पूरा सच देश को बताना चाहिए।  कोविन एप के जरिए स्टोर हुए लोगों के निजी डेटा की हैकिंग पर सरकार ने जो बयान दिए हैं, उससे कहीं यह भरोसा नहीं बंधता की ऐसी घटना नहीं हुई है। सिर्फ यह कह देना पर्याप्त नहीं हो सकता कि सारा डेटा सुरक्षित है और इसमें सेंध लगने की खबरें शरारतपूर्ण हैँ। अगर ऐसा है, तो पहले...

  • मायूसी एक भ्रम है!

    हमेशा ऐसा ही रहेगा, जब दुनिया विकास के पथ पर नए मुकाम हासिल करेगी, लेकिन लोग यही कहते सुने जाएंगे कि चीजें पहले बहुत अच्छी थीं। एक ताजा अध्ययन से भी इसी बात की पुष्टि हुई है। लोग मान रहे हैं कि नैतिकता का पतन हो रहा है। तकरीबन तीन दशक पहले निराशावाद पर एक किताब आई थी। उसमें कहा गया था कि दुनिया में हमेशा ऐसा रहेगा, जब दुनिया विकास के पथ पर नए मुकाम हासिल करेगी, लेकिन लोग यही कहते सुने जाएंगे कि चीजें पहले बहुत अच्छी थीं। एक ताजा अध्ययन से सामने आए निष्कर्ष ने उस किताब...

  • ब्रिटेन में भी ट्रंप जैसा बोरिस का हल्ला

    अंतर्राष्ट्रीय राजनीति इन दिनों जिस मोड़ पर है, वह जितनी दिलचस्प है उतनी ही चिंताजनक भी। एक ओर डोनाल्ड ट्रंप है, जो मुकदमों का सामना करते हुए भी रिपब्लिकन पार्टी और उसके मतदाताओं के दिलों पर राज कर रहे हैं। उनके दुबारा व्हाईट हाउस पहुंचने की चर्चा आम है। इसका अमेरिकी लोकतंत्र और दुनिया में उसके दबदबे पर असर पड़ेगा। दूसरी ओर इंग्लैंड के ट्रंप हैं बोरिस जॉनसन। वे भी भीड़ में जोश और उन्हे बहकाने की तरकीबें जानते हैं।उन्होने9 जून की शाम संसद से इस्तीफा दिया।लेकिन हमलावर और प्रतिद्वंद्वियों पर आरोप लगाते हुए। बारिस भी ट्रंप की तरह बेकसूर...

  • मणिपुर की चिंता करनी चाहिए

    पूर्वोत्तर के राज्यों की खबरें राष्ट्रीय मीडिया में तभी आती हैं, जब वहां कोई हिंसा होती है, अलगाववादी आंदोलन जोर पकड़ता है या चुनाव होते हैं। इसके अलावा मुख्यधारा का मीडिया पूर्वोत्तर के घटनाक्रम से तटस्थ बना रहता है। पिछले एक महीने में कई बार मणिपुर मुख्यधारा की राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में रहा तो उसका कारण यह था कि वहां हिंसा भड़की थी। कुकी और मैती समुदाय के बीच जातीय हिंसा चल रही है, जिसमें अब तक एक सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। यह हैरान करने वाली बात है कि तीन मई को हिंसा भड़कने के...

  • एआई से चिंतित दुनिया!

    घूम-फिर कर सवाल यही आएगा कि क्या ऐसे कानूनों से वह चिंता दूर होगी, जिसके लिए ये सारी कवायद की जा रही है? अक्सर किसी नई तकनीक और उसके प्रभाव को रोकने में कानून अक्षम साबित होते हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपनी अमेरिका यात्रा की इसे एक बड़ी कामयाबी बताया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने उनकी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) संबंधी योजना को स्वीकार कर लिया। पिछले हफ्ते जब ह्वाइट हाउस में दोनों नेता मिले, तो सुनक ने बाइडेन के सामने प्रस्ताव रखा कि ब्रिटेन एआई के विनियम का केंद्र बनना चाहता है। बाइडेन इस पर सहमत...

  • डायबिटीजः स्वास्थ्य इमरजेंसी

    इन रोगों के काफी बड़े हिस्से का संबंध जीवन शैली से है। इस संबंध लोगों को जागरूक बनाना जरूरी है। वरना, इलाज की स्थितियां विकट हो जाएंगी- खासकर उस हाल में जब आउटडोर चिकित्सा अधिक से अधिक प्राइवेट सेक्टर के हाथ में जा रही है। मशहूर ब्रिटिश हेल्थ जर्नल लांसेट ने बीते हफ्ते भारत में डायबिटीज मरीजों के बारे में जो अध्ययन रिपोर्ट छापी, वह चेतावनी की एक घंटी है। अगर तुरंत इस पर लोगों ने ध्यान नहीं दिया, तो भारत की हालत भी पाकिस्तान जैसी हो सकती है, जहां लगभग 27 प्रतिशत बालिग लोग इस रोग का शिकार हो...

  • ट्रंप की डींगें और 420 साल की सजा वाले आरोप!

    डोनाल्ड ट्रंप अब अमेरिका के सभी पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों में सबसे अलग बन गए हैं। वे पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति हो गए है जिन पर फ़ेडरल कानूनों को तोड़ने के आरोप लगे हैं। संघीय सरकार के वे कानून हैं जिनकी रक्षा करने की शपथ उन्होंने करीब छह साल पहले ली थी। अब वे खुद राष्ट्रीय सुरक्षा, गोपनीयता, जासूसी संबंधी कानूनों के उल्लंघनकर्ता के आरोपी बने है। डोनाल्ड ट्रंप पर जो आरोप लगाए गए हैं वे काफी गंभीर हैं। शुक्रवार को सार्वजनिक हुए ये आरोप अजीबोगरीब और शर्मनाक हैं। उनके अनुसार गोपनीय सरकारी दस्तावेज ट्रंप के मकान के बाथरूम में पाए गए;...

  • हवाई बातों से क्या होगा?

    यूबीआई के पीछे विचार यह है कि वर्तमान आर्थिक नीतियों से जिन लोगों की जिंदगी मुहाल हो गई है, उनके जख्मों पर प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण के जरिए महरम लगाया जाए। लेकिन अब साफ है कि वर्तमान सरकार उसकी जरूरत महसूस नहीं कर रही है। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कुछ ऊंचे दावे किए हैं और साथ ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) की भारत में जरूरत को सिरे से नकार दिया है। यह गौर करने की बात है कि वर्तमान सरकार के ही एक पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार की पहल पर भारत में यूबीआई बहस में...

  • पाकिस्तान में खतरनाक खेल

    पाकिस्तान की सेना संभवतः यह भूल गई है कि जब वहां किसी लोकप्रिय नेता को राजनीति से हटाने की जब कोशिशें हुईं, तो उसके कैसे नतीजे सामने आए। ऐसे कदमों से असंतोष बढ़ा और स्थायी समस्याएं पैदा हुईं। एक बार तो देश का बंटवारा ही हो गया। अब यह साफ है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सियासी रूप से नष्ट करने में वहां का ‘ऐस्टैबलिशमेंट’ (सेना+खुफिया नेतृत्व) फिलहाल सफल हो गया है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) में अब गिने-चुने नेता ही बचे हैँ। बाकी नेता ऐस्टैबलिशमेंट का दबाव नहीं झेल पाए, जैसा करना पाकिस्तान में कभी...

  • हिंदी प्रदेशों में विपक्ष हारेगा!

    इस गपशप को मई 24 तक सेव रखें। तब हिसाब लगा सकेंगे कि कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस और विपक्ष ने अपने हाथों अपने पांवों पर कब-कब कुल्हाड़ी मारी। पहली बात, कर्नाटक ने कांग्रेस और पूरे विपक्ष का दिमाग फिरा दिया है। बुजुर्ग शरद पवार भी बता रहे हैं कि हालात देख लोगों का बदलाव का मूड समझ आ रहा है। उधर राहुल गांधी ने कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस 150 सीटें जीतेगी। सबसे बड़ी बात जो विपक्ष की एकता कोशिशों में मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, अखिलेश यादव हालातों के इलहाम में भाव खाते हुए हैं। एक और...

  • क्या राजस्थान, मप्र, छतीसगढ़ में कांग्रेस जीतेगी?

    सवाल पर जरा मई 2024 की प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी परीक्षा के संदर्भ में सोचें। तो जवाब है कतई नहीं। इन राज्यों में कांग्रेस को लोकसभा की एक सीट नहीं मिलनी है। मई 2024 का लोकसभा चुनाव मोदी के लिए आखिरी, जीवन-मरण का, मरता क्या न करता के एक्सट्रीम दावों का है। तब भला दिसंबर के तीन विधानसभा चुनावों में वे कैसे इन तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनने देंगे? खासकर राजस्थान और छतीसगढ़ में, सत्ता में रहते हुए कांग्रेस का दुबारा जीतना! यों इन तीन राज्यों में भाजपा कुछ अहम चेंज करने वाली है। उसकी टाइमलाइन अनुसार सचिन...

  • बिहार, झारखंड में क्या होगा?

    केंद्र में किसी सत्तारूढ़ दल के खिलाफ जब भी साझा राजनीति की बात होती है और बदलाव होजाता है तो सबसे अहम भूमिका बिहार की होती है। इसे 1977 और 1989 के चुनाव में सबने देखा। जानकार इसका जिक्र भी करते हैं। 2004 में भी जब अटल बिहारी वाजपेयी के छह साल के राज के खिलाफ तथा2014 में 10 साल के कांग्रेस राज के खिलाफ माहौल बना और बदलाव हुआ तो उसमें भी बिहार की भूमिका थी। ध्यान रहे 1999 के चुनाव में बिहार का विभाजन नहीं हुआ था तब 54 में से भाजपा ने 23 और जदयू ने 18...

  • कांग्रेस की गारंटियां हो रही लागू! क्या जवाब है?

    कर्नाटक में सरकार बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में कांग्रेस की सरकार ने चुनाव में किए गए पांच वादों को पूरा करने का फैसला किया। दूसरी कैबिनेट में इस पर अमल की तारीखें तय हुईं। कांग्रेस ने चुनाव के समय जो पांच गारंटियां दी थीं उनको कानून बनाने का ऐलान कर दिया गया है। कर्नाटक में दी गई गारंटियों की तर्ज पर कांग्रेस ने अभी से हरियाणा और मध्य प्रदेश में मुफ्त की वस्तुएं और सेवाएं देने की घोषणा शुरू कर दी है। राजस्थान में जहां उसकी सरकार है वहां इन गारंटियों पर अमल किया जा रहा है। इसी तरह...

  • मणिपुर में कोई हल नहीं?

    हिंसा पर काबू नहीं पाया जा सका है। राज्य में ऐसा माहौल बन गया है कि हर व्यक्ति सामने वाले को संदेह की निगाहों से देखने लगा है। ऐसे में समाधान सिर्फ संवाद से ही निकल सकता है। मगर उसके लिए निष्पक्ष माध्यम की जरूरत है। मणिपुर में हिंसा और अविश्वास के माहौल का कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। बल्कि अगर मैतयी और कुकी समुदायों के बीच अविश्वास की बात करें, तो हालत बिगड़ती जा रही है। राज्य की हालत से परिचित जानकारों ने कहा है कि सबसे बड़ी समस्या संवाद के सभी माध्यमों का टूट जाना है।...

  • उत्तराखंड में खतरनाक संकेत

    सवाल पोस्टर लगाने वाले व्यक्तियों की पहचान और उन पर ऐसी कार्रवाई का है, जिससे समाज में इस तरह के विभेद पैदा करने वाले तत्वों को सख्त संदेश जा सके। अपराध कोई व्यक्ति करता है। इसके लिए किसी पूरे समुदाय को निशाना बनाना तार्किक नहीं है। खबरों के मुताबिक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला में नाबालिग लड़की को अगवा करने के प्रयास के बाद तनाव का माहौल बना हुआ है। एक संगठन की तरफ से ऐसे पोस्टर लगाए हैं, जिनमें अल्पसंख्यकों से अपनी दुकानों को खाली करने को कहा गया है। खबर है कि ये पोस्टर पुरोला में लगाए...

  • माइक पेंस: दरबारी बना प्रतिस्पर्धी!

    अमेरिका में अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी में मुकाबला मजेदारबन रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके अपने खेमें में से चुनौती मिल रही है। माइक पेंस ने अपने पुराने बॉस डोनाल्ड ट्रंप से मुकाबला करना तय किया है। उम्मीदवारों की पहले से ही काफी लम्बी सूची में उनका नाम भी जुड़ गया है। बताया जा रहा है कि माइक पेंस पहले ऐसे उपराष्ट्रपति हैं जो उन्हें उपराष्ट्रपति बनवाने वाले अपने राष्ट्रपति के खिलाफ मैदान में उतरे है। पेंस एक सीधे-साधे उपराष्ट्रपति और अपने पूर्व बॉस डोनाल्ड ट्रंप के वफादार दरबारी थे।ट्रंप के कार्यकाल में एक के...

  • हर विरोध को मोदी सरकार क्यों प्रतिष्ठा का सवाल बनाती?

    लोकतंत्र हर पांच साल पर मतदान करने का नाम नहीं है और कोई भी देश सिर्फ इस आधार पर लोकतांत्रिक नहीं बनता है कि वहां चुनी हुई सरकार चल रही है। कई देशों में चुनी हुई सरकारों की तानाशाही चलती है तो कई देशों में तानाशाह भी चुनाव लड़ कर जीतते हैं। कई लोकतांत्रिक देश भारत की तरह गणतंत्र नहीं हैं लेकिन राजशाही के बावजूद उन देशों में शानदार लोकतंत्र काम करता है। यह जरूर है कि लोकतंत्र स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव के सहारे बनता है लेकिन उसके साथ साथ संवैधानिक संस्थाओं और सरकारी एजेंसियों की स्वतंत्रता व निष्पक्षता सुनिश्चित...

  • आंदोलन मैनेज हो गया?

    इस बात को नहीं भुलाया जा सकता कि आरोपी को तुरंत गिरफ्तार ना कर पुलिस ने डर और आशंकाओं का वह माहौल बनने दिया, जिससे उत्पीड़ित पहलवानों का हौसला टूटा। इस रूप में न्याय की भावना के साथ एक तरह का विश्वासघात हुआ है। यौन उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन पर उतरे पहलवान सार्वजनिक रूप से भले यह कह रहे हों कि उनका संघर्ष जारी रहेगा, लेकिन जिस रूप में लगभग डेढ़ महीने तक यह आंदोलन चला, उसके आगे भी जारी रहने की संभावना न्यूनतम है। इस बात के साफ संकेत हैं कि गृह मंत्री अमित शाह इस आंदोलन को मैनेज...

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