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डॉनल्ड ट्रंप के कांटे

Washington, DC, Feb 13 (ANI): US President Donald Trump speaks during a joint press statement with Prime Minister Narendra Modi after their meeting at the White House, in Washington, DC on Thursday. (Reuters/ANI)

ट्रंप की टिप्पणियां भारतीय प्रभु वर्ग और मीडिया द्वारा भारतवासियों के फुलाये गए अहं में पिन चुभा रही हैँ। जरूरत से ज्यादा फुला हुआ ये अहं का गुब्बारा मौजूदा सत्ताधारी पार्टी की एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक पूंजी रहा है।

डॉनल्ड ट्रंप के भारतीय अर्थव्यवस्था को मृत बताने से देश के प्रभु वर्ग का एक बड़ा हिस्सा आहत है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने उपरोक्त टिप्पणी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए उनकी सभी शर्तों पर फिलहाल भारत के राजी ना होने के बाद की। बाद में अमेरिकी वाणिज्य मंत्री स्कॉट बेसेंट ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि भारत के इस रुख से ट्रंप नाराज हुए। द्विपक्षीय समझौते की संभावना के बारे में बेसेंट ने कहा कि अब यह भारत पर निर्भर करता है। यानी अमेरिका ने अपनी शर्तों पर अडिग है- भारत उन्हें मानेगा या नहीं, यह उसे तय करना है। इसी क्रम में बेसेंट ने यह भी कह दिया कि ‘वैसे भी भारत कोई बड़ी वैश्विक शक्ति नहीं है’।

यह टिप्पणी भी भारतीय प्रभु वर्ग को कोई कम कांटा चुभाने वाली नहीं है। ट्रंप प्रशासन पहले ही पाकिस्तान को अधिक तरजीह देकर भारत को भावनात्मक चोट पहुंचा चुका है। यह भारतीय शासक समूहों के लिए बड़ा संकट है। सिर्फ इसलिए नहीं कि अमेरिका उनकी पसंदीदा विदेश नीति का केंद्र रहा है। बल्कि इसलिए भी कि अमेरिकी नेताओं की टिप्पणियां प्रभु वर्ग और उनके मीडिया की तरफ से भारतवासियों के फुलाये गए अहं के गुब्बारे में पिन चुभा रही हैँ। जरूरत से ज्यादा फुला हुआ ये गुब्बारा घरेलू राजनीति में मौजूदा सत्ताधारी पार्टी की महत्त्वपूर्ण राजनीतिक पूंजी रहा है। तो इस पूंजी को संभालने की कोशिश हो रही है।

मेनस्ट्रीम मीडिया में ट्रंप को जवाब देने के लिए आंकड़ों, सारणियों और ग्राफ का सहारा लिया गया है। भारत की जीडीपी की वृद्धि की दर का उल्लेख करते हुए बताने की कोशिश की गई है कि भारत की अर्थव्यवस्था मृत नहीं, बल्कि फूल-फल रही है। मगर यह आंकड़ों की नहीं, धारणाओं की बात है। तमाम आर्थिक चुनौतियों को नजरअंदाज करते हुए भारत में ऐसे आंकड़ों के जरिए ये धारणा बनाई गई थी कि दुनिया में आज भारत का कोई सानी नहीं है। जबकि ट्रंप और उनके प्रशासन के अधिकारियों की टिप्पणियों का संदेश है कि दुनिया इस रूप में भारत को नहीं देखती। सत्ता पक्ष पर और उनके गढ़े नैरेटिव्स पर यह एक तरह का वज्रपात है।

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