Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

अब निर्माण का वक्त

नेपाल में अब चुनौती राजनीतिक व्यवस्था के नव-निर्माण के साथ-साथ वैसे आर्थिक कार्यक्रम तय करने की भी है, जिससे नौजवानों को वैसी अवसरहीनता और हताशा से उबारा जा सके, जो हालिया भूकंपीय घटनाक्रम की जड़ में रही हैं।

आम जन के मन में बैठे गुबार के विस्फोट से सत्ता तंत्र के उड़े परखचे अभी भी नेपाल में जहां-तहां बिखरे हुए हैँ। अब उन्हें सहेजने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशील कार्की के कंधों पर डाली गई है। कार्की के नेतृत्व में बनी कार्यवाहक सरकार को अगले छह मार्च से पहले चुनाव संपन्न करवा कर सत्ता निर्वाचित प्रतिनिधियों को सौंपने का दायित्व सौंपा गया है। यह भी दुनिया का संभवतः पहला अनुभव है, जब किसी देश में इतना बड़ा फैसला सोशल मीडिया पर चर्चा और वोटिंग से हुआ हो। नई कार्यवाहक सरकार को वैधता इसी प्रक्रिया से मिली है। कहा जा सकता है इस कारण उसे एक किस्म का परोक्ष और भावात्मक जनादेश भी हासिल हुआ है।

मगर आगे का रास्ता कठिन है। नेपाल को मौजूद दलों, नेताओं, या संगठनों के बीच से ही अपने नए शासक चुनने होंगे। यह चुनाव उसी सिस्टम से होगा, जिसमें भागीदारी ने इंकलाब के रास्ते से हट कर इसमें आए कम्युनिस्ट नेताओं तक को “भ्रष्ट एवं भाई-भतीजावादी” बना दिया। चुनावों का अपना गणित और गतिशास्त्र होता है। उनमें सफलता के लिए सामाजिक समूहों में जनाधार कायम करना अनिवार्य होता है। इस प्रक्रिया में आदर्शवादी नेताओं और दलों तक को समझौते करने होते हैं। अक्सर परिणाम उनके “भ्रष्ट” सिस्टम का हिस्सा बनने के रूप में सामने आता है।

यह सब फिर से ना हो, क्या कार्की प्रशासन और जेनरेशन-जेड के नए उभरे चेहरे इसे सुनिश्चित कर पाएंगे? या वे चेहरे भी आखिरकार वैसी ही परिघटना के पात्र बन जाएंगे? राजनीतिक व्यवस्था के नव-निर्माण के साथ-साथ वैसे आर्थिक कार्यक्रम तय करने की चुनौती है, जिससे नौजवानों को अवसरहीनता और हताशा से उबारा जा सके, जो हालिया भूकंपीय घटनाक्रम की जड़ में रही हैं। नेपाल के लोगों- खासकर नौजवानों ने गतिरुद्ध एवं भ्रष्ट व्यवस्थाओं के खिलाफ विद्रोह का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया है। अब उनके सामने चुनौती ऐसा मॉडल विकसित करने की है, जिसमें विद्रोह के कारणों का समाधान हो। वे ऐसा कर पाए, तो सारी दुनिया उससे सीख लेगी। वरना, ये सारी उथल-पुथल बेकार हो जाएगी, जो और भी गहरी निराशा को जन्म दे सकती है।

Exit mobile version