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करीब आता विश्व युद्ध

world war

world war: रूस ने अपनी तरफ से परमाणु अस्त्र ना दागने की वचनबद्धता खत्म कर दी है। इसकी जगह अब प्रावधान किया है कि जब रूस “नाटो के हमलों” से खुद को खतरे में पाएगा, वह अपनी तरफ से परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा।

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तीसरा विश्व युद्ध दुनिया के और करीब

इस हफ्ते की दो घटनाओं ने तीसरे विश्व युद्ध को दुनिया के और करीब ला दिया है। पहले अमेरिका में निवर्तमान जो बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ एटीएसीएमसी मिसाइलों के इस्तेमाल का अधिकार दे दिया।

उसकी प्रतिक्रिया में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने देश का परमाणु अस्त्र सिद्धांत बदलने के आदेश पर दस्तखत कर दिए। अमेरिका ने जब इन मिसाइलों की सप्लाई यूक्रेन को की थी, तभी पुतिन सरकार रूस की संसद ड्यूमा से परमाणु सिद्धांत में परिवर्तन का प्रस्ताव पारित करा लिया था। एटीएसीएमसी अति-आधुनिक मिसाइलें हैं, जिनसे दुश्मन को भारी क्षति पहुंचाई जा सकती है।

रूसी विशेषज्ञों के मुताबिक इन मिसाइलों को संचालित करने की क्षमता यूक्रेन के सैनिकों में नहीं है, इसलिए इन्हें चलाने के लिए विशेषज्ञ सैनिक भी नाटो के सदस्य देशों से भेजे गए हैं।

पौने तीन साल से जारी जंग

पुतिन ने कहा था कि इन मिसाइलों से हमले का मतलब नाटो सेनाओं की यूक्रेन में सीधी भागीदारी होगी, जिससे पौने तीन साल से जारी इस जंग का स्वरूप बदल जाएगा।

तब रूस यह मानेगा कि उसकी सीधे नाटो से जंग चल रही है। इस क्रम में नाटो के हर सदस्य देश उसके निशाने पर होंगे। परमाणु सिद्धांत में परिवर्तन के तहत रूस ने अपनी तरफ से परमाणु अस्त्र ना दागने की वचनबद्धता खत्म कर दी है।

इसकी जगह अब प्रावधान किया है कि जब रूस “नाटो के हमलों” से खुद को खतरे में महसूस करेगा, वह अपनी तरफ से परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेगा। इस तरह यूक्रेन युद्ध ने बेहद गंभीर और खतरनाक रूप ले लिया है।

राहत की बात सिर्फ यह है कि अमेरिका में निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टीम ने एटीएसीएमसी मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत देने के बाइडेन प्रशासन के निर्णय की आलोचना की है। ऐसे में यह संभव है कि कोई अत्यंत खतरनाक कदम उठाने से पहले रूस अगले 20 जनवरी को ट्रंप के ह्वाइट हाउस में प्रवेश का इंतजार करे।

ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध रोकने का इरादा जताया हुआ है। वे अपने इस चुनावी वादे पर कायम रहे, तो दुनिया महाविनाश से बच जाएगी। वरना, संभावित स्थितियों की कल्पना भी भयावह लगती है।

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