जिस पल का सभी श्रद्धालु हृदय से वर्षों से इंतजार करते हैं, वह अत्यंत पावन क्षण आज आ ही गया है। हिमालय की गोद में स्थित दिव्य चारधाम यात्रा का शुभारंभ आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर हो चुका है।
पूरे छह महीनों की प्रतीक्षा के पश्चात आज एक बार फिर श्रद्धालुओं के लिए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट विधिवत पूजा-अर्चना के साथ खोल दिए गए हैं।
अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर बुधवार सुबह श्रद्धा और भक्ति की बयार के साथ गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए विधिवत रूप से खोल दिए गए। इस शुभ घड़ी के साथ ही करीब छह महीने तक चलने वाली चारधाम यात्रा का आधिकारिक शुभारंभ हो गया। हिमालय की गोद में स्थित यह पवित्र तीर्थ स्थान आज एक बार फिर आस्था, उत्साह और उल्लास से सराबोर हो गया।
चारधाम यात्रा की शुरुआत हर वर्ष अक्षय तृतीया से होती है, और आज भी उसी पवित्र परंपरा का निर्वहन करते हुए मां गंगा की डोली गंगोत्री धाम पहुंच चुकी है।
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सुबह 10:57 बजे गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए, जहां मंत्रोच्चारण और वेद ध्वनि के बीच आस्था की गंगा प्रवाहित हो उठी। इसी प्रकार, यमुनोत्री धाम के कपाट भी श्रद्धालुओं के स्वागत हेतु ठीक 11:55 बजे खोले गए।
सुबह के प्रथम प्रहर में मां गंगा की उत्सव डोली अपनी परंपरागत यात्रा पूरी कर मुखबा गांव से गंगोत्री धाम पहुंची। डोली की अगवानी के दौरान राजपूताना राइफल्स के बैंड ने अपनी मधुर धुनों से पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
मंदिर परिसर में गंगा मैया की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक संपन्न की गई, और गंगोत्री धाम में कपाट खुलने के दौरान विशेष पूजा-अर्चना के साथ-साथ हेलिकॉप्टर से फूलों की वर्षा कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया गया।
गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के बाद अब यमुनोत्री धाम की बारी है। सुबह 11:55 बजे यमुनोत्री के कपाट खोल दिए गए हैं। कुछ ही समय पहले मां यमुना की उत्सव डोली भी यमुनोत्री धाम पहुंची। मां यमुना के धाम में विशेष पूजा-अर्चना के उपरांत कपाट खोले गए।
केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट 2 मई 4 मई को खुलेंगे
गंगोत्री धाम में इस दौरान 1,000 से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे, वहीं यमुनोत्री में पहले ही दिन लगभग 10,000 तीर्थयात्रियों के आगमन का अनुमान लगाया गया है। केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई और बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खोले जाएंगे।
यह जानकारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले वर्ष अत्यधिक वर्षा के कारण केदारनाथ यात्रा मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे यात्रा लगभग 15 दिनों तक बाधित रही। बावजूद इसके, 2024 में रिकॉर्ड 48.11 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम यात्रा में शामिल हुए थे।
वर्तमान वर्ष में अब तक 20 लाख से अधिक लोगों ने चारधाम यात्रा का ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से रजिस्ट्रेशन करा लिया है, और इस वर्ष यह संख्या 60 लाख के पार जाने की प्रबल संभावना है। यह बताता है कि श्रद्धालुओं में चारधाम यात्रा को लेकर कितनी गहरी आस्था और उत्साह है।
अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व भी अत्यंत अद्भुत है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां यमुना, कालिंदी पर्वत से अमृतधारा के रूप में बहकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देने आती हैं। आज के दिन यमुना नदी में स्नान करने से मनुष्य को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
गंगोत्री धाम में राजपूताना राइफल्स की बैंड धुनों के बीच पूजा-अर्चना चल रही है, और वातावरण पूर्णतः आध्यात्मिक एवं राष्ट्रभक्ति के रंग में रंगा हुआ है। पुलिस व सेना के जवानों की उपस्थिति में सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं, जिससे तीर्थयात्रियों को सुगम और सुरक्षित यात्रा अनुभव हो।
चारधाम यात्रा केवल तीर्थाटन नहीं, यह आत्मिक शांति, श्रद्धा और परमात्मा से जुड़ाव की वह यात्रा है, जो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को हिमालय की इन पावन स्थलों की ओर खींच लाती है।
चारधाम यात्रा की यह शुरुआत धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक परंपरा और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय संगम है, जो हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को हिमालय की दिव्यता की ओर आकर्षित करता है। यह यात्रा न केवल तीर्थ है, बल्कि आत्मिक शुद्धता और आध्यात्मिक अनुभव का पर्व भी है।
उत्तराखंड के CM गंगोत्री धाम पहुंचे
इस शुभ अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं गंगोत्री धाम पहुंचे और मां गंगा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया। उनका आगमन श्रद्धालुओं में विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।
आज अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर उत्तराखंड सीएम पुष्कर धामी गंगोत्री धाम पहुंचे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने गंगोत्री धाम पहुंचकर माँ गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना की और राज्य की खुशहाली एवं समृद्धि की कामना की।
इस अवसर पर उन्होंने श्रद्धालुओं से मुलाकात की और चारधाम यात्रा की व्यवस्थाओं का भी जायजा लिया। उत्तराखंड सीएम धामी ने चारधाम यात्रा मंगलमय होने और देश की खुशहाली की कामना की। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले को देखते हुए चारधाम यात्रा में भी कड़ी सुरक्षा की गई है।
यमुनोत्री धाम स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर की मान्यता
हिमालय की गोद में बसे चारधाम यात्रा में से एक यमुनोत्री धाम, आस्था और अध्यात्म का केंद्र है। इसी पवित्र धाम के निकट स्थित है एक अत्यंत प्राचीन और पूजनीय हनुमान मंदिर, जिसकी धार्मिक मान्यता, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और आध्यात्मिक ऊर्जा आज भी हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।
यह मंदिर दिगंबर अखाड़ा अयोध्या द्वारा संचालित किया जाता है, जो इसे धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्ता प्रदान करता है। यमुनोत्री धाम आने वाले श्रद्धालु यमुना माता के दर्शन व पूजन के पश्चात इस हनुमान मंदिर में भी श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की आराधना करने से यात्रा के आगामी चरण – विशेषतः गंगोत्री धाम की यात्रा – सरल, सफल और निष्कंटक हो जाती है। यही कारण है कि यह मंदिर यमुनोत्री यात्रा का एक अभिन्न अंग बन चुका है।
इस मंदिर का प्रारंभिक स्वरूप एक प्राकृतिक गुफा के रूप में था, जिसकी खोज नेपाल से आए संत महात्मा राम भरोसे दास जी महाराज ने की थी। इस गुफा में उन्हें दिव्य ऊर्जा की अनुभूति हुई, जिसके बाद उन्होंने इसे हनुमान जी की तपस्थली के रूप में प्रचारित किया।
वर्षों तक यह स्थान एक साधना स्थल के रूप में ही जाना गया, परंतु श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और धार्मिक महत्व को देखते हुए बृजमोहन खंडेलवाल ने इस गुफा का सौंदर्यीकरण करवाया और 27 नवम्बर 1995 को इसे मंदिर रूप में विधिवत स्थापित किया गया।
यमुनोत्री धाम का एक और रहस्य–सूर्यकुंड
हनुमान मंदिर के साथ-साथ यमुनोत्री धाम का एक और रहस्य और आस्था का केंद्र है – सूर्यकुंड। समुद्र तल से लगभग 3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह कुंड हर मौसम में गर्म जल से भरपूर रहता है, जबकि यमुनोत्री ग्लेशियर का शीतल जल पास में ही बहता है।
इस परंपरा के पीछे एक पौराणिक मान्यता है कि माता यमुना ने अपने भाई यमराज से 22 वरदान प्राप्त किए थे। इन वरदानों में से एक यह था कि “जो भी भक्त यमुनोत्री धाम में स्थित सूर्यकुंड में स्नान करेगा और फिर मेरी पूजा करेगा, उसे यमलोक की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।” यही कारण है कि सूर्यकुंड में स्नान कर हनुमान मंदिर में पूजा करना मोक्ष प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक कड़ी माना जाता है।
इस प्रकार, यमुनोत्री धाम का हनुमान मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और आध्यात्मिक उन्नयन का केंद्र है। यहाँ की वादियाँ, मंदिर की शांति, और सूर्यकुंड की ऊर्जा मिलकर ऐसा वातावरण रचते हैं, जहाँ श्रद्धालु न केवल बाह्य रूप से, बल्कि आंतरिक रूप से भी शुद्ध होकर अपने धार्मिक जीवन की यात्रा को आगे बढ़ाते हैं।
हर हर गंगे! जय मां यमुना! चारधाम यात्रा 2025 का शुभारंभ मंगलमय हो!