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दिवाली से पहले ही रिकॉर्ड प्रदूषण

नई दिल्ली। दिवाली से चार दिन पहले ही देश के अनेक राज्यों में और दर्जनों शहरों में वायु प्रदूषण रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक तीन सौ की सीमा पार कर बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है और आशंका है कि अगले चार दिन में यह खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएगा। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई तीन सौ से ज्यादा होने के बाद दिल्ली में ग्रेडड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप का दूसरा चरण लागू कर दिया गया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक रविवार, 27 अक्टूबर को देश के कम से कम 25 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई तीन सौ से ज्यादा हो गया। इनमें राजधानी दिल्ली के साथ साथ गाजियाबाद और नोएडा दोनों शामिल हैं। पश्चिम उत्तर प्रदेश और हरियाणा के ज्यादातर शहरों में एक्यूआई तीन सौ की सीमा को पार कर चुका है। दिल्ली से सटे हरियाणा का भिवाड़ी रविवार को देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। भिवाड़ी में एक्यूआई 610 पहुंच गया। यह खतरनाक से भी ऊपर की श्रेणी है।

राजधानी दिल्ली में तापमान कम नहीं हो रहा है और वायु गुणवत्ता सूचकांक कई जगह चार सौ पहुंच गया है। इससे दिल्ली गैस चेंबर बन गई है। रविवार की सुबह आनंद विहार में एक्यूआई चार सौ ज्यादा रिकॉर्ड किया गया था। रविवार सुबह ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिनमें आगरा में प्रदूषण और धुंध के चलते ताजमहल धुंधला नजर आया। मुंबई के मरीन ड्राइव में भी सुबह धूल और धुएं की परत देखी गई। यह स्थिति दिवाली से चार दिन पहले थी। अगले चार दिन में दिवाली के बाद इसमें बड़ा इजाफा हो सकता है।

इस बीच, दिवाली से पहले दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, डीपीसीसी ने एक जनवरी 2025 तक पटाखों पर पाबंदी लगा दी है। सरकार के आदेश के मुताबिक पटाखे बनाने, उन्हें स्टोर करने, बेचने और इस्तेमाल पर बैन है। इतना ही नहीं पटाखों की ऑनलाइन डिलीवरी भी प्रतिबंधित रहेगी। इसमें ग्रीन पटाखे भी शामिल हैं। इस बैन को सख्ती से लागू कराने की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस को सौंपी गई है। दिल्ली पुलिस रोज इसकी रिपोर्ट डीपीसीसी को सौंपेगी।

दिल्ली में एक्यूआई तीन सौ पार होने के बाद दिल्ली और एनसीआर में ग्रैप का दूसरा चरण लागू कर दिया गया है। इसके तहत कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं। सड़कों पर धूल कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है। डस्ट रिपीलेंट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। किसी तरह का बायोमास जलाने पर पूरी तरह से पाबंदी है।

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