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कुड़मी आंदोलनकारियों ने झारखंड में 15 से ज्यादा स्थानों पर रेलवे ट्रैक किया जाम

कुड़मी जाति को आदिवासी (एसटी) का दर्जा देने की मांग को लेकर हजारों लोग शनिवार सुबह से झारखंड में 15 से भी ज्यादा जगहों पर रेलवे ट्रैक पर धरना देकर बैठ गए हैं। इस आंदोलन की वजह से हावड़ा-नई दिल्ली मेन रेल लाइन बाधित हो गई है। इस वजह से रेलवे को कई ट्रेनें रद्द या डायवर्ट करनी पड़ी हैं। 

रांची के राय, मुरी, टाटीसिल्वे और मेसरा स्टेशन के पास आंदोलनकारियों ने ट्रैक पर कब्जा कर लिया। गिरिडीह, चक्रधरपुर, जामताड़ा, धनबाद और बोकारो में छोटे-बड़े स्टेशनों पर बड़ी संख्या में लोग ट्रेनों को रोकने के लिए ट्रैक पर उतर आए हैं। धनबाद के प्रधानखंता स्टेशन पर सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रेलवे ट्रैक से हटाने की कोशिश की तो दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई है। ज्यादातर स्टेशनों पर प्रदर्शनकारी शनिवार अहले सुबह से पारंपरिक वेशभूषा और ढोल-मांदर के साथ ट्रैक पर बैठ गए।

कुड़मी समाज ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के 100 स्टेशनों पर रेल सेवाएं ठप करने का लक्ष्य रखा है, जिनमें झारखंड के लगभग 40 स्टेशन शामिल हैं। प्रशासन की ओर से देर रात तक पुलिस ने बैरिकेडिंग कर लोगों को रोकने की कोशिश की, लेकिन आंदोलनकारी सुबह चार बजे से ही स्टेशनों पर पहुंचने लगे। रेलवे परिचालन पर इसका असर दिखने लगा है।

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धनबाद मंडल ने हटिया-बर्द्धमान मेमू (13504) और हटिया-खड़गपुर मेमू (18036) को रद्द कर दिया है। धनबाद-अलाप्पुझा एक्सप्रेस (13351) का प्रस्थान समय 11:35 बजे से बदलकर शाम 6:35 बजे किया गया है। रांची-चोपन एक्सप्रेस (18613) को भी रांची-टोरी मार्ग से डायवर्ट किया गया है। गिरिडीह के पारसनाथ, बोकारो के चंद्रपुरा और रांची के राय रेलवे स्टेशन पर आंदोलनकारियों ने ट्रैक जाम कर दिया, जिससे अप और डाउन लाइन पर परिचालन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ।

आंदोलन के आयोजकों का कहना है कि यह ‘ऐतिहासिक प्रदर्शन’ है और इसके लिए गांव-गांव में प्रचार-प्रसार कर लोगों को जोड़ा गया। रेलवे और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। आरपीएफ, जीआरपी और राज्य पुलिस बल की तैनाती के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि रेलवे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा और नुकसान की भरपाई कराई जाएगी। आजसू पार्टी और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के विधायक जयराम महतो ने आंदोलन का समर्थन किया है।

जयराम महतो ने वीडियो संदेश में कहा कि यह संघर्ष केवल आदिवासी दर्जे के लिए ही नहीं, बल्कि कुरमाली भाषा के सम्मान और जमीन बचाव जैसे मुद्दों को लेकर भी है।

Pic Credit : ANI

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