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पांडियन का सक्रिय राजनीति से इस्तीफा

भुवनेश्वर। ओडिशा में बीजू जनता दल की हार के जिम्मेदार बताए जा रहे पूर्व आईएएस अधिकारी वीके पांडियन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा की है। इस तरह राजनीति में शुरू होने से पहले ही उनका करियर समाप्त हो गया है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने आईएएस की सेवा से वीआरएस लिया था और बीजू जनता दल में शामिल हुए थे। वे तमिलनाडु के रहने वाले हैं और भाजपा ने चुनाव में इसे मुद्दा बनाया था कि इस बार चुनाव जीतने के बाद नवीन पटनायक उनको ही मुख्यमंत्री बनाएंगे। उनको पटनायक का उत्तराधिकारी बताया जा रहा था।

पांडियन एक दशक से ज्यादा समय तक नवीन पटनायक के प्रधान सचिव रहे थे। उन्होंने रविवार को एक वीडियो जारी करके सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है। वीडियो में उन्होंने कहा- मैंने खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करने का फैसला किया है। अगर मैंने इस यात्रा में किसी को ठेस पहुंचाई है तो मुझे खेद है। यदि मेरे खिलाफ चले अभियान के कारण बीजेडी की हार हुई है तो मुझे खेद है।

गौरतलब है कि ओडिशा में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 78 सीटें जीत कर पांच बार के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को सत्ता से बाहर किया है। पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल को 51 सीटें मिली हैं। पार्टी की हार की वजह पांडियन को बताया जा रहा था। पार्टी में उनके दबदबे की चलते स्थानीय नेता नाराज चल रहे थे। तमिलनाडु के रहने वाले वीके पांडियन को भाजपा ने ओडिशा की राजनीति में बाहरी बता कर ओडिया अस्मिता का मुद्दा बनाया था। हालांकि पांडियन ने ओडिया महिला सुजाता कार्तिकेयन से शादी की है। वे भी आईएएस हैं।

बहरहाल, पांडियन ने वीडियो में कहा है- मैं एक बहुत ही साधारण परिवार और एक छोटे से गांव से आता हूं। बचपन से ही मेरा सपना आईएएस में शामिल होकर लोगों की सेवा करना था। भगवान जगन्नाथ ने इसे पूरा किया। केंद्रपाड़ा से अपने परिवार की वजह से मैं ओडिशा आया। उन्होंने बताया कि धर्मगढ़ से लेकर राउरकेला, मयूरभंज से लेकर गंजम तक उन्होंने लोगों के लिए बहुत मेहनत की है।

इससे पहले ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक ने विधानसभा चुनाव में हार को लेकर शनिवार को पहली बार बात की थी और पांडियन का बचाव किया था। उन्होंने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था- मेरी हार के लिए वीके पांडियन की आलोचना करना दुर्भाग्यपूर्ण है। पटनायक ​​​​​​ने कहा कि ​पांडियन ने आईएएस से इस्तीफा देकर बीजेडी ज्वाइन की और पार्टी के लिए बिना किसी स्वार्थ के काम किया। उन्होंने पार्टी में कोई भी पद नहीं लिया। कहीं से चुनाव भी नहीं लड़ा। एक ऑफिसर के रूप में उन्होंने 10 साल तक बहुत अच्छा काम किया।

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