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सीएम धामी ने रामपुर तिराहा हत्याकांड को किया याद, सपा पर साधा निशाना

Dehradun, Sep 28 (ANI): Uttarakhand Chief Minister Pushkar Singh Dhami addresses a press conference on the theme of Atmanirbhar Bharat at the Bhartiya Janta Party office, in Dehradun on Sunday. (ANI Photo)

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में रामपुर टिहरा पर गुरुवार को आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2 अक्टूबर 1994 को राज्य आंदोलन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में शहीद हुए वीर जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।  

यह आयोजन उन बलिदानों को याद करने के लिए किया गया, जिनमें उत्तराखंड राज्य की स्थापना के लिए लड़ते हुए कई आंदोलनकारियों ने अपनी जान गंवाई थी।

रामपुर टिहरा की घटना 2 अक्टूबर 1994 की है, जब बिना किसी उकसावे के पुलिस ने उस समय निहत्थे राज्य आंदोलन के कार्यकर्ताओं पर फायरिंग की थी। ये कार्यकर्ता दिल्ली जाकर गांधी जयंती के दिन राज घाट पर धरना देने जा रहे थे। इस हमले में छह आंदोलनकारी शहीद हो गए थे, वहीं कई महिलाओं के साथ शर्मनाक अत्याचार भी हुए थे। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “मैं उन अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने उत्तराखंड के गठन के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। रविंद्र रावत, सतिंदर चौहान, गिरिश भाधड़ी, राजेश लखेरा, सूर्य प्रकाश थापलियाल, अशोक केशव, राजेश नेगी और अन्य शहीदों को हम याद करते हैं। उन पर हुए अत्याचार की याद से हर उत्तराखंडी का सीना कांप जाता है।

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उन्होंने इस घटना को राज्य आंदोलन का सबसे क्रूर और अमानवीय हमला बताते हुए कहा, “आज भी उस क्रूर फायरिंग और महिलाओं की गरिमा पर हुए अत्याचार की याद से उत्तराखंड के हर नागरिक की रूह दहला उठती है।

धामी ने तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जो लोग जनता की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे, उन्होंने ही निर्दोष आंदोलनकारियों पर अत्याचार किए। उन्होंने कहा, “शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों पर सपा सरकार के अत्याचार की वह गहरी चोट आज भी हर उत्तराखंडी के दिल में जिंदा है।

उन्होंने खटीमा (1 सितंबर 1994) और मसूरी (2 सितंबर 1994) में हुई पुलिस फायरिंग की घटनाओं का भी उल्लेख किया और कहा, “तत्कालीन सरकार ने आंदोलन को दबाने की जो कोशिश की, वह कभी भुलाई नहीं जा सकती।

कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि 2 अक्टूबर 1994 का दिन उत्तराखंड के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा, “यह दिन हमें याद दिलाता रहेगा कि हमारे शहीदों, माताओं और बहनों ने उत्तराखंड की आत्मसम्मान के लिए कितना बलिदान दिया। आने वाली पीढ़ियां भी इस संघर्ष को याद रखेंगी।

उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड के गठन के पीछे आंदोलनकारियों के संघर्ष और बलिदान की ही सबसे बड़ी भूमिका थी। सीएम धामी ने कहा, “हमारी सरकार हमेशा शहीद परिवारों और आंदोलनकारियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उनके सम्मान व हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रही है।

Pic Credit : ANI

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