Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक कमेटी करेगी

नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा है कि जब तक कानून नहीं बन जाता है, तब तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक कमेटी करेगी, जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में मुख्य विपक्षी या सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे। सर्वोच्च अदालत ने यह अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति स्वतंत्र रूप से होनी चाहिए।  पहले सिर्फ केंद्र सरकार इनका चयन करती थी।

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने कहा कि तीन लोगों की कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह प्रक्रिया तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह चयन प्रक्रिया सीबीआई निदेशक की तर्ज पर होनी चाहिए।

पांच जजों की संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं। इसलिए चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरुरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और कोर्ट के आदेशों के आधार पर निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।

साल 2018 में चुनाव आयोग के कामकाज में पारदर्शिता को लेकर कई याचिकाएं दायर हुईं थीं। इसकी सुनवाई के दौरान पिछले साल नवंबर में चुनाव आयुक्त का पद खाली होने पर सुप्रीम कोर्ट में सवाल उठे थे। तभी 1985 बैच के आईएएस अरुण गोयल ने उद्योग सचिव पद से रिटायर होने के कोई डेढ़ महीना पहले 18 नवंबर 2022 को वीआरएस लिया और अगले दिन यानी 19 नवंबर को उनको चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया। बिजली की रफ्तार से हुई इस नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था।

Exit mobile version