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मूल ढांचे का सिद्धांत ध्रुवतारा है

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान के मूल ढांचे को लेकर चल रहे विवाद पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा है कि यह मूल ढांचे का सिद्धांत ध्रुवतारे की तरह है, जो हर समय रास्ता दिखाता है। उन्होंने मूल ढांचे के सिद्धांत को ध्रुवतारे की तरह बताते हुए कहा कि यह आगे का रास्ता जटिल होने पर मार्गदर्शन करता है और संविधान की व्याख्या व उस पर अमल करने वालों को एक निश्चित दिशा देता है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का बयान उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के हाल में दिए एक बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने 1973 के केशवानंद भारती मामले के ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाया था। धनखड़ ने कहा था कि फैसले ने एक बुरी मिसाल कायम की है और अगर कोई प्राधिकरण संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर सवाल उठाता है, तो यह कहना मुश्किल होगा कि हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं।

बहरहाल, मुंबई में नानी पालकीवाला स्मृति व्याख्यान देते हुए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा था- एक जज की शिल्पकारी संविधान की आत्मा को अक्षुण्ण रखते हुए बदलते समय के साथ संविधान के पाठ की व्याख्या करने में निहित है। उन्होंने आगे कहा- हमारे संविधान की मूल संरचना ध्रुवतारा की तरह मार्गदर्शन करती है और संविधान की व्याख्या करने वालों व इस पर अमल करने वालों को उस वक्त एक निश्चित दिशा देती है जब आगे का रास्ता जटिल होता है। उन्होंने कहा- हमारे संविधान की मूल संरचना या दर्शन संविधान की सर्वोच्चता, कानून का शासन, शक्तियों के पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, स्वतंत्रता और व्यक्ति की गरिमा व राष्ट्र की एकता और अखंडता पर आधारित है।

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