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अरुणाचल में फिर चीन की बदमाशी!

नई दिल्ली। चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश में बदमाशी की है। उसने अरुणाचल के 11 जगहों के नाम बदल दिए हैं। गौरतलब है कि चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है और उस पर दावा करता है। उसने इससे पहले दो बार और अरुणाचल के अंदरूनी हिस्से वाली जगहों के नाम बदले थे। पिछले पांच साल में उसने तीसरी बार भारत के इस हिस्से वाली जगहों के नाम बदले हैं। उसने सबसे पहले 2015 में 15 जगहों के नाम बदल कर उन्हें तिब्बती नाम दे दिए थे। उसके बाद 2017 में उसने छह और जगहों के नाम बदले। अब उसने 11 जगहों के नाम बदले हैं।

इस घटना के एक दिन बाद मंगलवार को भारत ने इस पर प्रतिक्रिया दी है और कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक सपाट प्रतिक्रिया में कहा- हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।

बहरहाल, चीन ने इस बार अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के नजदीकी इलाके का नाम भी बदला है। इस तरह उसने अरुणाचल पर एक बार फिर अपना दावा पेश किया है। चीन हमेशा आरोप लगाता रहा है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के मुताबिक सोमवार को चीन की सरकार ने 11 नाम बदले जाने को मंजूरी दी।

यह सभी इलाके चीन के दक्षिण राज्य शिजियांग के एक हिस्से जेंगनेन में आते हैं। इनमें से चार रिहायशी इलाके हैं, जिसमें एक इलाका अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के बेहद करीब है। पांच पहाड़ी क्षेत्र और दो नदियां हैं। चीन ने इन इलाकों के नाम मैंडेरिन और तिब्बती भाषा में रखे हैं। इस बाच कांग्रेस ने इसकी आलोचना करते हुए केंद्र सरकार पर हमला किया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी का सवाल उठाया है।

कांग्रेस महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने चीन के अरुणाचल की जगहों का नाम बदलने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है- प्रधानमंत्री मोदी ने जून 2020 में चीन को क्लीन चिट दे दी थी। अब हमें उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। चीन की सेना देपसांग के मैदान में भारत के पेट्रोलिंग के अधिकारों को खारिज कर रही है। जबकि पहले इस इलाके में बिना रोकटोक भारत की सेना गश्त करती थी।

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