भारत क्यों चीन से पिछड़ा?
विडंबना है कि भारत में राष्ट्रवाद को “संकीर्णता” या “सांप्रदायिकता” कहा जाता है। चीन में क्षेत्रीय स्वायत्तता, मजहबी स्वतंत्रता, मानवाधिकार, पर्यावरण संरक्षण या व्यक्तिगत आजादी जैसे मूल्य तबतक स्वीकार्य हैं, जबतक वे उसके व्यापक लक्ष्यों में सहायक है। अगर कोई भी तत्व चीन के मकसद में बाधा बनता है, तो उससे सख्ती से निपटा जाता है। संदेह नहीं कि भारत तरक्की में चीन से बहुत पीछे है। और इसके तीन बड़े कारण हैं। एक— स्वतंत्र भारत अब भी औपनिवेशिक मानसिकता के अवशेषों से जूझ रहा है, जो देश के नीतिगत निर्णयों और सार्वजनिक विमर्श को आज भी प्रभावित कर रहे...