आशंका है कि नए दौर का व्यापार युद्ध अधिक हानिकारक होगा, जिसकी मार पूरी दुनिया पर पड़ेगी। अब ये आकलन भी सच होता लग रहा है कि अमेरिका और चीन के बीच बने अंतर्विरोधों के सद्भावपूर्ण समाधान की गुंजाइशें सिकुड़ चुकी हैं।
अमेरिका और चीन- के बीच व्यापार युद्ध ना सिर्फ तेज हो गया है, बल्कि इसका दायरा भी फैल गया है। शुरुआत अमेरिका ने की, जब उसने चिप और कंप्यूटिंग संबंधी टेक उत्पादों के चीन को निर्यात पर नए प्रतिबंध लगाए। साथ ही कुछ चीनी कंपनियों पर ईरान से कारोबार करने के इल्जाम में पाबंदी लगाई गई। चीन ने जोरदार जवाब दिया है। उसने रेयर अर्थ के सभी रूपों, मैग्नेट मैनुफैक्चरिंग उपकरणों, कुछ प्रकार की बैटरियों और सिंथेटिक ग्रैफाइट सामग्रियों के निर्यात पर लाइसेंस हासिल करने शर्त लगा दी है। इनमें शर्तों में यह शामिल है कि उन सामग्रियों का इस्तेमाल सैन्य उपयोग वाले उपकरणों में नहीं होगा। चीन के इन नए नियमों का असर तमाम देशों पर पड़ेगा।
इस बीच अमेरिका ने चीन के जहाजों के अमेरिकी बंदरगाहों पर ठहरने पर ऊंची फीस लगाई, तो चीन ने भी अमेरिकी जहाजों के बारे में वैसे ही फैसले का एलान किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉलन्ड ट्रंप ने रूसी वायु क्षेत्र गुजर कर अमेरिका जाने वाले चीनी विमानों पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है। उस हाल में चीन भी ऐसे कदम उठा सकता है। इन हालात में बढ़े तनाव के मद्देनजर ट्रंप ने चीन से होने वाले आयात पर 100 फीसदी नया टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इन सबका साझा असर विश्व बाजार में देखने को मिलेगा। अमेरिकी शेयर बाजारों में शुक्रवार को दर्ज हुई भारी गिरावट से संकेत मिला है कि दुनिया एक नए आर्थिक संकट की तरफ बढ़ गई है।
यह सब उस समय हुआ है, जब अक्टूबर के अंत में ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात की अटकलें जोरों पर थीं। उम्मीद थी कि दोनों की वार्ता से विश्व व्यापार में अपेक्षाकृत स्थिरता आएगी। लेकिन अब ट्रंप ने शी से मुलाकात ना करने का एलान किया है। इससे आशंका पैदा हुई है कि नए दौर का व्यापार युद्ध अधिक हानिकारक होगा, जिसकी मार पूरी दुनिया पर पड़ेगी। इससे यह आकलन सच होता लग रहा है कि अमेरिका और चीन के अंतर्विरोध इतने तीखे हो चुके हैं कि उनके सद्भावपूर्ण समाधान की गुंजाइशें सिकुड़ती जा रही हैं।