बीजिंग/काठमांडो। चीन ने भारत और नेपाल के बीच लिपुलेख विवाद में पड़ने से इनकार कर दिया है। नेपाल के विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने खुद इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि जिनपिंग ने नेपाल से कहा कि लिपुलेख एक पारंपरिक दर्रा है। चीन नेपाल के दावे का सम्मान करता है, लेकिन यह विवाद भारत और नेपाल का दोपक्षीय मसला है। इसे दोनों देशों को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए।
गौरतलब है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली 31 अगस्त और एक सितंबर हुए हुए शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के सम्मेलन में शामिल होने चीन पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति के सामने लिपुलेख का मुद्दा उठाया था। ओली ने कहा था कि यह इलाका नेपाल का हिस्सा है और भारत व चीन के बीच हुए हालिया सहमति पर नेपाल ने आपत्ति दर्ज कराई है। असल में 19 अगस्त को भारत और चीन ने लिपुलेख पास को ट्रेड रूट के तौर पर फिर से खोलने का फैसला किया था। इस पर नेपाल ने विरोध जताया था।
नेपाल ने 2020 में एक नया नक्शा जारी किया था, जिसमें लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी को अपना बताया था। भारत इन्हें लंबे समय से अपने हिस्से में मानता है। बहरहाल, नेपाल के प्रधानमंत्री ओली 16 सितंबर को भारत दौरे पर आएंगे। इससे पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री रविवार, 17 अगस्त को काठमांडू पहुंचे थे। मिस्री ने प्रधानमंत्री ओली, विदेश मंत्री अर्जु राणा देउबा और विदेश सचिव अमृत बहादुर राय से मुलाकात की थी और दोपक्षीय संबंधों से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा की थी।