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ममता, केजरीवाल भी उतरे राहुल के पक्ष में

नई दिल्ली। राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने के बाद 24 घंटे तक चुप रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी उनके समर्थन में उतरी हैं। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने के बाद ममता ने केंद्र सरकार पर हमला किया और कहा कि केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को परेशान कर रही है। अरविंद केजरीवाल ने लगातार दूसरे दिन राहुल के समर्थन में ट्विट किया। सीपीएम, राजद आदि अनेक विपक्षी पार्टियों ने राहुल की सदस्यता समाप्त किए जाने का विरोध किया।

राहुल गांधी को अयोग्य ठहराए जाने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत में विपक्षी नेता बीजेपी का मुख्य निशाना बन गए हैं। ममता ने कहा- पीएम मोदी के नए भारत में विपक्षी नेता बीजेपी का मुख्य लक्ष्य बन गए हैं। जबकि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले बीजेपी नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया है। विपक्षी नेताओं को उनके भाषणों के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। आज हमने अपने संवैधानिक लोकतंत्र का एक नया निम्न स्तर देखा है।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को ट्विट किया- लोकसभा से राहुल गांधी जी का निष्कासन चौंकाने वाला है। देश बहुत कठिन दौर से गुजर रहा है। पूरे देश को इन्होंने डरा कर रखा हुआ है। 130 करोड़ लोगों को इनकी अहंकारी सत्ता के खिलाफ एकत्र होना होगा। केजरीवाल ने बाद में एक और ट्विट किया, जिसमें उन्होंने कहा- आज देश में जो चल रहा है बहुत खतरनाक है। विपक्ष को खत्म करके ये लोग वन नेशन-वन पार्टी का माहौल बनाना चाहते हैं। इसी को तानाशाही कहते हैं। मेरी देशवासियों से अपील है- हमें मिल कर आगे आना होगा, जनतंत्र बचाना है, देश बचाना है।

राजद सांसद मनोज झा ने राहुल की सदस्यता खत्म किए जाने का विरोध करते हुए कहा- यह शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है और संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में इससे बड़ा धब्बा कुछ नहीं हो सकता। उधर केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने राहुल गांधी को अयोग्य घोषित किए जाने की आलोचना करते हुए कहा- लोकसभा से राहुल गांधी को जल्दबाजी में अयोग्य घोषित किया जाना संघ परिवार द्वारा हमारे लोकतंत्र पर चल रहे हमले की ताजा कड़ी है। राहुल गांधी को एक राजनीतिक भाषण के लिए दायर एक मामले में अदालत के फैसले का हवाला देते हुए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। विरोध को दबाने के लिए बल प्रयोग का यह एक फासीवादी तरीका है।

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