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अडानी मामले में सेबी को तीन महीने का समय

नई दिल्ली। अडानी और हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच के लिए तीन महीने का समय दिया है। सेबी ने छह महीने का समय मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले सेबी को दो महीने का समय दिया था। दो मई को वह समय सीमा खत्म हो गई, जिसके बाद सेबी ने छह महीने का समय और मांगा। पर सर्वोच्च अदालत ने उसे तीन महीने का समय देते हुए 14 अगस्त तक जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।

गौरतलब है कि दो मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी बनाई थी और सेबी को भी जांच के लिए दो महीने का समय दिया था। इस तरह उसे दो मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। सेबी की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए छह महीने की मोहलत मांगी। सेबी ने कहा था कि जिन 12 संदिग्ध लेन-देन का जिक्र किया गया है वो बहुत जटिल हैं और उनकी जांच में समय लगेगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने छह महीने का समय देने से इनकार कर दिया। बेंच ने कहा कि वह अनिश्चित विस्तार नहीं दे सकती। अदालत ने कहा- हमने दो महीने का समय दिया था और अब इसे अगस्त तक बढ़ा दिया है। इस तरह सेबी को कुल पांच महीने का समय मिल चुका है।

सुप्रीम कोर्ट की बनाई विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर अदालत ने कहा कि उसे इस रिपोर्ट के विश्लेषण के लिए समय चाहिए। उसने साथ ही यह भी कहा कि कमेटी की रिपोर्ट सभी पक्षों को भी दी जाएगी। इस रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस पर सुनवाई की। इससे पहले 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की समय बढ़ाने की मांग वाली इस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी थी।

इसस पहले 12 मई को सुनवाई के दौरान एडवोकेट प्रशांत भूषण ने सेबी की इस याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि बाजार नियामक 2016 से एक अन्य मामले में अडानी ग्रुप की कंपनियों की जांच कर रहा है। ऐसे में सेबी को और समय देना सही नहीं है। इस दलील के बाद 15 मई को सेबी ने कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था। इसमें बताया गया था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों की 2016 से जांच किए जाने के दावे तत्थायत्मक रूप से निराधार है। उसने कहा कि अडानी समूह की किसी सूचीबद्ध कंपनी की जांच नहीं हुई है, जबकि संसद में सरकार ने बताया था कि 2016 से कंपनी की जांच चल रही है।

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