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गणपति विसर्जन आज, जानें बप्पा के विसर्जन की शुरूआत कैसे हुई और किसने की….

Ganpati visarjan history

Ganpati visarjan history:  10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव का आखिरी दिन आज है. गणेश उत्सव के अंतिम दिन को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. अनंत चतुर्दशी के पर्व को अनंत चौदस भी कहा जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश उत्सव का भी समापन किया जाता है.

10 दिनों तक धूमधाम से मनाए जाने वाले गणेशोत्सव में अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा का विसर्जन किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा को घर में विराजित किया जाता है और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विसर्जित कर दिया जाता है. अनंत चतुर्दशी पर बड़े ही भावपूर्ण तरीके से बप्पा को विदाई दी जाती है. गणेश जी से अगले बरस फिर से जल्दी आने की कामना कर बप्पा को विदा कर दिया जाता है.

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गणपति विसर्जन के लिए 2 मुहूर्त

आज अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन के लिए दिनभर में 2 मुहूर्त हैं. इनमें आप अपनी सुविधा के मुताबिक विसर्जन कर सकते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें की ये काम सूर्यास्त के पहले ही कर लें. ग्रंथों के हिसाब से सूरज डूबने के बाद मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जाता है.

घर में ही मूर्ति विसर्जन करना ठीक है. इस बारे में ब्रह्मपुराण और महाभारत में कहा गया है कि नदियों को गंदा करने से दोष लगता है, इसलिए किसी गमले या नए बड़े बर्तन में पानी भरकर उसी में गणेश जी को विसर्जित करना चाहिए. गणपति विसर्जन के लिए पहला मुहुर्त सुबह 9.30 बजे से देपहर 2 बजे तक है. दूसरा मुहुर्त 3.35 से शाम 5 बजे तक का है.

कैसे शुरू हुई गणपति विसर्जन की परंपरा

महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए अच्छा लेखक तलाश रहे थे. महर्षि वेदव्यास ने इसके लिए प्रथम पूज्य श्रीगणेश से आग्रह किया. गणपति जी ने वेदव्यास जी की आग्रह स्वीकार कर लिया. लेकिन एक शर्त रखी कि जबतक महर्षि वेदव्यास जी बिना रूके बोलेंगे गणेशजी भी बिना रूके ही लिखेंगे. महर्षि वेदव्यास जी ने गणेश चतुर्थी से महाभारत बोलनी शुरू की और गणेश जी ने बिना रूके 10 दिनों तक महाभारत लिखी. (Ganpati visarjan history)

बिना रूके लिखने से गणेशजी के शरीर में गर्मी बढ़ने लगी. महाभारत की कथा पूरी होने पर गणेश जी को वेदव्यास जी ने सरोवर में नहलाया. तब गणेशजी के शरीर का तापमान कम हुआ तभी से गणेश विसर्जन मनाने की परंपरा शुरू हुई. वह दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था. तभी से गणपति बप्पा के विसर्जन की शुरूआत हुई.

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