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अमेरिका को समझौते की उम्मीद

विश्वगुरूता

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के संबंधों में अंत में सब कुछ ठीक हो जाने की उम्मीद है। अमेरिका ने खुद यह उम्मीद जताई है। उसके वित्त मंत्री ने कहा है कि दोनों देशों के बीच बेहतर समझौता हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ को लेकर चल रहे विवाद के बीच अमेरिकी वित्त मंत्री का बयान अहम है। भारत ने भी सूत्रों के हवाले से कहा है कि दोनों देशों के बीच सब कुछ ठीक हो जाएगा। कहा गया है कि यह लंबे संबंध के बीच एक छोटी अवधि है।

इससे पहले अमेरिका ने उम्मीद जताई कि वह भारत के साथ अच्छा समझौता कर सकता है। अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने बुधवार को एक इंटरव्यू में कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्ते काफी पेचीदा हैं, लेकिन उन्हें भरोसा है कि दोनों देश आखिरकार एक साथ आएंगे। गौरतलब है कि अमेरिका ने रूस के साथ कारोबार को लेकर भारत को जान बूझकर निशाना बनाया है और कहा भी है कि रूस पर दबाव डालने के लिए भारत के खिलाफ टैरिफ लगाया जा रहा है।

बहरहाल, ‘फॉक्स’ बिजनेस टीवी चैनल पर अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ और रूसी तेल खरीद को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में बेहतर समझौते की उम्मीद जताई और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के सवाल का जवाब भी दिया। गौरतलब है कि विदेश मंत्री जयशंकर ने हाल ही में कहा था कि अगर किसी को भारत के रूस से तेल खरीदने पर दिक्कत है, तो वह , भारत से रिफाइंड तेल खरीदना ही बंद कर दे। किसी ने उसे बाध्य नहीं किया है। यह इशारा अमेरिका की ओर था।

इस बारे में पूछे जाने पर पर वित्त मंत्री बेसेंट ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। आखिरकार हम दोनों साथ आ ही जाएंगे’। बेसेंट ने राष्ट्रपति ट्रंप के रुख को दोहराते हुए कहा कि जब व्यापार में असमानता होती है तो घाटे वाला देश फायदा उठाता है, जबकि ज्यादा बेचने वाले देश को चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘भारत हमें सामान बेच रहा है, उनके टैरिफ बहुत ऊंचे हैं और हमारे लिए बड़ा घाटा है’।

भारत के रुपए में व्यापार करने को लेकर अमेरिका की चिंता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया अभी डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर है। इसलिए उन्हें इसकी कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मुझे कई चीजों की फिक्र है, लेकिन रुपए के ग्लोबल करेंसी बनने का मुद्दा उसमें शामिल नहीं है’। इस बीच भारत सरकार के सूत्रों ने भी सब कुछ ठीक होने की उम्मीद जताते हुए कहा, ‘भारतीय निर्यात की विविध प्रकृति को देखते हुए टैरिफ का प्रभाव उतना गंभीर होने की संभावना नहीं है जितना कि आशंका जताई जा रही है’। उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत और अमेरिका के बीच संचार माध्यम खुले हैं। सूत्रों ने कहा कि जहां तक निर्यातकों का सवाल है, घबराने की कोई बात नहीं है। यह भारत और अमेरिका के बीच दीर्घकालिक संबंधों का एक अस्थायी चरण है। इसका मतलब है कि भारत भी जल्दी ही व्यापार संबंधों के ठीक होने की उम्मीद कर रहा है।

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