Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

उत्तर प्रदेश में एक और कार्यवाहक डीजीपी

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर स्थायी पुलिस महानिदेशक नहीं नियुक्त किया और देश के सबसे बडे प्रदेश को पहली महिला डीजीपी भी नहीं मिली। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 1990 बैच के आईपीएएस अधिकारी राजीव कृष्णा को प्रदेश का कार्यवाहक डीजीपी बनाया है। वे उत्तर प्रदेश के लगातार पांचवें कार्यवाहक डीजीपी हैं।

इससे पहले प्रशांत कुमार कार्यवाहक पुलिस प्रमुख की भूमिका निभा रहे थे। उनका कार्यकाल 31 मई को खत्म हुआ। उन्होंने सेवा विस्तार लेने का बड़ा प्रयास किया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। राजीव कृष्णा कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक बने हैं और साथ ही वे राज्य पुलिस भर्ती बोर्ड और विजिलेंस विभाग के प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभाते रहेंगे।

उत्तर प्रदेश कार्यवाहक डीजीपी की नियुक्ति

उत्तर प्रदेश में आखिरी पूर्णकालिक डीजीपी मुकुल गोयल थे, जिनको तीन साल पहले अनुशासनहीनता के आधार पर हटा दिया गया था। उसके बाद डीएस चौहान, आरके विश्वकर्मा, विजय कुमार और प्रशांत कुमार कार्यवाह डीजी बने। अब पांचवें कार्यवाहक डीजी के तौर पर राजीव कृष्णा को लाया गया है। राजीव कृष्णा भाजपा के एक हाई प्रोफाइल विधायक, जो पहले पुलिस अधिकारी रहे हैं उनके रिश्तेदार भी हैं। सवाल है कि उत्तर प्रदेश की सरकार संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी की ओर से तय किए गए नियमों के मुताबिक दो साल के स्थायी कार्यकाल वाले डीजीपी क्यों नहीं नियुक्त कर रही है?

यह भी सवाल है कि यूपीएससी को तीन नामों का पैनल भेज कर मंजूरी लेने वाले नियम के समानांतर यूपी सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति का अपना नियम बना लिया है फिर उस नियम के जरिए नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है? ध्यान रहे कार्यवाहक अधिकारी के सर पर हमेशा तलवार लटक रही होती है। इसलिए वह राजनीतिक आकाओं के कैसे भी आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकता है। लेकिन यह भी ध्यान रखने की जरुरत है कि कार्यवाहक अधिकारी बना कर काम चलाने से अधिकारियों के मनोबल पर असर पड़ता है।

Also Read:  ढूंढिए ‘क्यों’ का जवाब

Pic Credit: ANI

Exit mobile version