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चीन के साथ सीमा विवाद सबसे बड़ी चुनौती

ऑपरेशन सिंदूर

गोरखपुर। भारत के सशस्त्र बलों के प्रमुख यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने माना है कि सीमा विवाद भारत और चीन के संबंधों में सबसे बड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा और चीन के साथ संबंध सुधार के कदमों के बीच चीफ ऑफ स्टाफ की यह टिप्पणी बहुत अहम है। उन्होंने सीमा विवाद का मुद्दा उठाने के साथ साथ भारतीय सेना को स्वदेशी तकनीक उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को तीन स्तर पर अपनी सुरक्षा का बंदोबस्त करना चाहिए। इस दौरान  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ मंच पर मौजूद थे।

जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को गोरखनाथ मंदिर में आयोजित ‘भारत के समक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित सेमिनार में कहा, ‘भूमि राष्ट्र की भौतिक पहचान है। राष्ट्र की विचारधारा की सुरक्षा भी जरूरी है। एक राष्ट्र के संचालन के लिए विचारधारा उतनी ही जरूरी है, जितना शरीर के लिए खून। यह प्रशासनिक ढांचे को मजबूती देती है’। जनरल चौहान ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, ‘दुश्मन परमाणु हथियारों से लैस है। सीमा विवाद सबसे बड़ी चुनौती है। आजादी के बाद से सीमा विवाद को लेकर कई लड़ाइयां हुईं’। उन्होंने आगे कहा, ‘चीन के साथ सीमा विवाद सबसे बड़ी चुनौती है। फिर क्षेत्रीय अस्थिरता’।

सीडीएस जनरल चौहान ने सेमिनार में कहा, ‘देश में चार तरह के खतरे होते हैं। आतंरिक खतरे। बाहरी खतरे। बाहरी सहयोग से उत्पन्न आतंरिक खतरे और आंतरिक सहयोग से उत्पन्न आतंरिक खतरे’। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा तीन स्तर पर देख सकते हैं। तीन घेरे के रूप में। सबसे छोटा घेरा सैनिक तत्परता, उससे बड़ा घेरा राष्ट्रीय सुरक्षा और सबसे बड़ा घेरा राष्ट्र सुरक्षा है। ये तीनों घेरे एक साथ मिलकर काम करते हैं’। जनरल चौहान ने यह भी कहा कि सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भरता जरूरी है। इसे रक्षा अनुसंधान से भी जोड़ना चाहिए। उन्होंने भविष्य में नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी की जरूरत भी जताई।

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