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कांवड़ यात्रा में ढाबों पर लगे प्रमाणपत्र: सुप्रीम कोर्ट

Deoghar, Jul 10 (ANI): Kanwar devotees walk towards Deoghar Baba Dham on the eve of Sawan 2025, in Deoghar on Thursday. (ANI Photo)

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के लिए ‘क्यूआर कोड’ संबंधी निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही आदेश दिया कि इस मार्ग पर मौजूद सभी होटल और ढाबा मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुरूप अपने लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करें।

न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि यात्रा का आज अंतिम दिन है, इसलिए केवल इतना आदेश दिया जा सकता है कि सभी संबंधित होटल मालिक वैध प्रमाणपत्र प्रदर्शित करें। यह आदेश शिक्षाविद अपूर्वानंद झा और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश सरकार को पहले 2024 के न्यायालय आदेश में संशोधन का अनुरोध करना चाहिए था।

उन्होंने कहा, “यात्रा के दौरान लोगों को बहिष्कृत करने की यह सबसे विभाजनकारी पहल है, मानो ये लोग अछूत हों। क्या ‘मेनू कार्ड’ के बजाय मेरा उपनाम यह तय करेगा कि ‘कांवड़ियों’ को अच्छा भोजन मिलेगा या नहीं?” जब सिंघवी ने कुछ स्थानों पर कांवड़ियों के हमले की खबरें भी पेश कीं, तो न्यायमूर्ति सुंदरेश ने टिप्पणी की कि धार्मिक यात्राओं के दौरान लोग शुद्ध शाकाहारी भोजन चाहते हैं, यह स्वाभाविक है।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि ये निर्देश खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप हैं। उन्होंने कहा, “देश में ऐसे लोग भी हैं जो भाई के घर में मांस बनने पर वहां नहीं खाते। श्रद्धालुओं की भावनाएं होती हैं और वे शुद्धता की अपेक्षा रखते हैं। नाम या पहचान छिपाने से डर क्यों?” वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने कहा कि इस मार्ग पर स्थानीय नियमों के अनुसार केवल शाकाहारी व्यंजन ही बेचे जाते हैं। इस पर न्यायमूर्ति सुंदरेश ने कहा कि यदि कोई होटल पहले से शाकाहारी है, तो कोई आपत्ति नहीं, लेकिन अगर यात्रा के कारण अस्थायी रूप से मांसाहार बंद किया गया है, तो उपभोक्ता को यह जानकारी होनी चाहिए।

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