Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

नकदी कांड में फंसे जज पर अदालत की सफाई

न्यायपालिका

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर करोड़ों  रुपए की नकदी मिलने के और उनका तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट में किए जाने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट की है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि नकदी मिलने और उनके तबादले का आपस में कोई संबंध नहीं है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि जस्टिस वर्मा के घर आग और नकदी मिलने पर गलत सूचनाएं और अफवाहें फैलाई जा रही हैं। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जांच कर रहे हैं और अपनी प्राथमिक रिपोर्ट चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को सौंपेंगे। इसके बाद आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।

अंग्रेजी के एक अखबार ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में बताया कि होली की छुटि्टयों के दौरान जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले पर आग लग गई थी। उस वक्त वे घर पर नहीं थे। परिवार ने फायर ब्रिगेड को आग लगने की जानकारी दी। टीम जब आग बुझाने गई तब उन्हें घर में नकदी मिली। हालांकि शुक्रवार को दिन में फायर ब्रिगेड की ओर से कहा गया कि उनकी टीम को कोई नकदी नहीं मिली है। दिल्ली फायर ब्रिगेड के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि उनकी टीम ने कोई नकदी बरामद नहीं की थी।

इस बीच जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से तबादला करके इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने के मामले पर विवाद शुरू हो गया है। राजनीतिक दलों के साथ साथ कानूनी बिरादरी ने इस फैसले पर सवाल उठाया है। बताया जा रहा है कि विवाद बढ़ने के बाद जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने को कहा जा सकता है या उनके खिलाफ महभियोग भी लाया जा सकता है। उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन जस्टिस वर्मा के वापस इलाहाबाद ट्रांसफर का विरोध कर रहा है। एसोसिएशन का कहना है, ‘कॉलेजियम के फैसले से गंभीर सवाल उठ रहा है कि क्या हम कूड़ादान हैं’।

बताया जा रहा है कि जस्टिस वर्मा के मामले की जानकारी मिलते ही 20 मार्च को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कॉलेजियम की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इसमें जस्टिस वर्मा को वापस इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने का फैसला हुआ। कहा जा रहा है कि कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का सुझाव था कि जस्टिस वर्मा से इस्तीफा मांगा जाना चाहिए। अगर वे इनकार करते हैं, तो संसद में उन्हें हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

Exit mobile version