Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

अध्यादेश पर केंद्र से जवाब मांगा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लेकर जारी केंद्र के अध्यादेश पर जवाब मांगा है। सोमवार को इस मसले पर सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल, तुषार मेहता ने इस मामले में कहा कि दिल्ली में अनेक पदों पर केवल गलत तरीके से ही नियुक्ति की गई है। उन्होंने कहा कि विधायकों के पति-पत्नी, आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को काम पर लगाया गया था। इस पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- हम 437 सलाहकारों को हटाने के संबंध में केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए समय देंगे।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार की ओर से जारी अध्यादेश को लेकर दिल्ली सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि यह अध्यादेश ‘कार्यकारी आदेश का असंवैधानिक इस्तेमाल’ है जो सर्वोच्च अदालत और संविधान की मूल संरचना का ‘उल्लंघन’ करने का प्रयास करता है। दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को रद्द करने के साथ साथ इस पर अंतरिम रोक लगाने का भी अनुरोध किया है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया था और कहा था कि दिल्ली सरकार ही दिल्ली के अधिकारियों के तबादले और उनकी तैनाती कर सकती है। सर्वोच्च के फैसले को आम आदमी पार्टी ने अपनी जीत बताया था। लेकिन इसके थोड़े दिन बाद ही 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी करके इस फैसले को पलट दिया। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली संशोधन अध्यादेश, 2023 के जरिए दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती से जुड़ा आखिरी फैसला लेने का हक उप राज्यपाल को दे दिया।

केंद्र सरकार ने अध्यादेश के जरिए दिल्ली में सेवा देने वाले अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित किया है। इस प्राधिकरण के तीन सदस्य हैं, जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के गृह प्रधान सचिव होंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री को इस प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है, हालांकि अधिकारियों के तबादले और तैनाती का आखिरी फैसला उप राज्यपाल का ही होगा। दिल्ली सरकार ने इस अध्यादेश को चुनौती दी है।

Exit mobile version