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अमेरिका से करार कभी भी

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की घोषणा कभी भी हो सकती है। दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी लगातार बातचीत कर रहे हैं और कहा जा रहा है कि भारत पशु आहार के मामले में कुछ ढील देने को तैयार हो गया है। वैश्विक मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अमेरिका के साथ होने वाले व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने के लिए भारत जेनेटिकली मॉडिफाइड पशु आहार के आयात की मंजूरी दे सकता है। नौ जुलाई से पहले व्यापार समझौता करना जरूरी है नहीं तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा के मुताबिक भारत पर 26 फीसदी टैक्स लगने लगेगा।

गौरतलब है कि भारत के साथ व्यापार समझौते के लिए अमेरिका अपने जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी जीएम फूड जैसे मक्का और सोयाबीन पर आयात शुल्क घटाने की मांग कर रहा था। अमेरिका चाहता है कि भारत इन उत्पादों के लिए अपना बाजार पूरी तरह से खोल दे और आयात शुल्क कम कर दे। इसके अलावा इथेनॉल और डेयरी उत्पादों के लिए अमेरिका यही छूट चाहता है। दूसरी ओर भारत सरकार किसानों को नुकसान से बचाने के लिए आयात शुल्क नहीं घटाना चाहती है।

भारत में गन्ना और सोयाबीन उत्पाद किसानों के समूह आयात शुल्क में छूट का विरोध कर रहे हैं। सरकार भी मान रही है कि अगर अमेरिका के सस्ते जीएम फूड्स भारत आ जाएंगे, तो भारतीय किसानों के लिए उनसे प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा। दोनों देशों के बीच आयात शुल्क को लेकर तगड़ा मोलभाव चल रहा है। अमेरिका चाहता है कि भारत मक्का और सोयाबीन के जीएम फसलों और अन्य कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे। साथ ही, वह चिकित्सा उपरकरणों पर भी आयात शुल्क कम कराना चाहता है और डाटा लोकलाइजेशन के नियमों में ढील चाहता है। अमेरिका अपने डेयरी उत्पादों, गाड़ियों और व्हिस्की आदि पर भी कम शुल्क की मांग कर रहा है।

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