भोपाल। मध्य प्रदेश के जाने माने पत्रकार और नया इंडिया, भोपाल के संपादक जगदीप सिंह बैस का निधन हो गया है। वे कई महिनों से कैंसर से झूझते हुए थे। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहित राजनीति और पत्रकारिता जगत के अनेक लोगों ने उनके निधन पर शोक जताते हुए उनके निधन को पत्रकारिता जगत की बड़ी क्षति बताया है।
शिवराज सिंह चौहान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शोक संदेश में लिखा, ‘वरिष्ठ पत्रकार और नया इंडिया भोपाल के संपादक श्री जगदीप सिंह बैस के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान तथा परिजनों को यह गहन दुख सहने की शक्ति प्रदान करें’।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘नया इंडिया भोपाल के संपादक श्री जगदीप सिंह बैस जी के दुखद निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों के साथ हैं। बाबा महाकाल से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति और शोक संतप्त परिजनों को यह अथाह दुख सहने की शक्ति दें’।
जगदीप बैस कई अखबारों और टेलीविजन चैनलों से जुड़े रहे थे। उन्होंने जबलपुर के नवभारत से पत्रकारिता की शुरुआत की थी। वे ईटीवी के मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चैनल के प्रमुख भी रहे थे। अपनी गहरी राजनीतिक समझ और निष्पक्ष पत्रकारिता के जरिए उन्होंने अपनी एक बड़ी पहचान बनाई थी। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पत्रकारों और मीडिया समूहों ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है।
श्री जगदीप बैस का अंतिम संस्कार रविवार को मध्य प्रदेश में किया गया। उनकी अंतिम यात्रा रविवार को दोपहर तीन बजे मध्य प्रदेश के जबलपुर निकट उनके निज निवास सिहोरा में निकाली गई। स्थानीय मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में पत्रकार, राजनेता और समाजसेवी उपस्थित रहे। उन्होंने जगदीप सिंह के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना की।
उनके निधन पर सीहोर, जबलपुर और भोपाल में पत्रकार साथियों, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता सबमें शोक की लहर दौड़ गई। सबने उन्हें एक मार्गदर्शक, प्रेरणा और संबल के रूप में याद किया।
वरिष्ठ पत्रकार रघुवर दयाल गोहिया ने कहा— “हमने न सिर्फ़ एक पत्रकार, बल्कि एक अभिभावक खोया है। वे अंतिम सांस तक पत्रकारिता के लिए समर्पित रहे।” शोकसभा में जिन-जिनने उन्हें याद किया, सबकी बातों में एक ही भाव था—“ऐसे पत्रकार अब शायद ही मिलें।”