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सोशल मीडिया पर बने कानून

भारत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह सोशल मीडिया में अश्लील कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून बनाए। चीफ जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने यह भी कहा है कि इसके लिए बनाया जाने वाला कानून एससी, एसटी कानून की तरह सख्त होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार की सुनवाई में कहा कि सोशल मीडिया में अश्लील कंटेंट को नियंत्रित करने के लिए रेगुलेशन की जरुरत है और किसी न किसी को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आज कोई भी एक सोशल मीडिया का चैनल बना कर कुछ भी अपलोड कर रहा है। यह चिंता की बात है।

सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को कहा, ‘सोशल मीडिया पर डाले जाने वाले एडल्ट कंटेंट के लिए किसी न किसी को जिम्मेदार लेनी ही होगी। केंद्र सरकार इसके लिए चार हफ्ते में रेगुलेशन बनाए और यह कानून एससी, एसटी एक्ट की तरह सख्त हो’। सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा दिव्यांगों से जुड़े एक अन्य मामले की सुनवाई की। इसमें अदालत ने ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ के मेजबान और यूट्यूबर समय रैना को आदेश दिया कि वे अपने शो में दिव्यांग लोगों की सफलता की कहानियां दिखाएं, ताकि उनकी मदद के लिए फंड इकट्‌ठा किया जा सके।

गौरतलब है कि ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ स्टैंड अप कॉमेडियन समय रैना का शो है। इस शो के दो एपिसोड पर विवाद हुआ था। इसमें माता, पिता को लेकर अश्लील बातें कही गई थीं और दिव्यांगों का मजाक उड़ाया गया था। इस विवाद के बाद समय रैना और रणवीर अलाहबादिया व अन्य के खिलाफ कई राज्यों में एफआईआर दर्ज की गई। रणवीर ने एफआईआर रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। अदालत ने कोई छूट नहीं देते हुए केंद्र सरकार को सख्त नियम बनाने का आदेश दिया।

बहरहाल, गुरुवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘कोर्ट के सामने मामला सिर्फ अश्लीलता से नहीं, बल्कि गलत इस्तेमाल से जुड़ा है। बोलने की आजादी एक बहुत कीमती अधिकार है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है’। इस पर चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, यही समस्या है, मान लीजिए मैं अपना चैनल बनाता हूं। मैं कुछ भी अपलोड करूं, मैं किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हूं। ऐसे मामलों में किसी को तो जवाबदेही लेनी होगी’। उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए हम एक ऑटोनॉमस बॉडी की वकालत कर रहे हैं। इस समाज में, बच्चों को भी अपनी बात कहने का फंडामेंटल राइट है’। इसके बाद कोर्ट ने ने केंद्र को सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा डाले जाने वाले कंटेंट से निपटने के लिए नियम लाने के लिए चार हफ्ते का समय दिया।

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