नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि 31 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची में नाम कटवाने या जुड़वाने के लिए आपत्ति या दावा करने की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद भी आपत्तियां दर्ज कराई जाएं। अदालत ने कहा कि एक सितंबर के बाद भी चुनाव आयोग आपत्तियों को स्वीकार करे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक सिंतबर के बाद भी आपत्तियां स्वीकार की जाएगी और जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं है उनकी मदद के लिए वॉलंटियर्स नियुक्त होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों और हटाए गए मतदाताओं को दावे दायर करने में मदद के लिए पैरा लीगल वॉलंटियर्स नियुक्त करने का आदेश दिया। सर्वोच्च अदालत ने इसके लिए बिहार विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया। जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि आधार को सत्यापन के मकसद से एक दस्तावेज़ के रूप में लिया जाएगा, लेकिन यह केवल पहचान के प्रमाण के रूप में होगा। उन्होंने कहा कि अदालत आधार की स्थिति को किसी बड़ी पीठ के फैसले या आधार कानून की धारा नौ से आगे नहीं बढ़ा सकती।
चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 फीसदी लोगों ने दस्तावेज़ जमा कर दिए हैं, लेकिन यह हैरानी की बात है कि ज़्यादातर राजनीतिक दल और मतदाता नाम हटाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, जोड़ने के लिए नहीं। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने दोहराया कि चुनाव आयोग की मैनुअल प्रक्रिया एक संस्थागत प्रतिबद्धता है और उसका पालन किया जाना चाहिए।