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डिजिटल डाटा कानून के खिलाफ उतरा विपक्ष

डिजिटल डाटा

New Delhi, Mar 26 (ANI): Leader of Opposition in the Lok Sabha and Congress MP Rahul Gandhi speaks to the media at Parliament during the Budget session, in New Delhi on Wednesday. (ANI Photo/Rahul Singh)

नई दिल्ली। डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन कानून यानी डीपीडीपी के खिलाफ विपक्ष ने बड़ी मुहिम शुरू की है। विपक्षी पार्टियों के 120 सांसदों ने एक ज्ञापन पर दस्तखत किया है, जिसमें इस कानून की धारा 44 (3) को निरस्त करने की मांग की गई है। विपक्ष ने दावा किया है कि कानून की यह धारा सूचना के अधिकार कानून, आरटीआई को पूरी तरह से अप्रासंगिक बना देगी और उसकी भावना को खत्म कर देगी। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों ने गुरुवार को यह मुहिम शुरू की।

डिजिटल डाटा कानून की इस धारा को हटाने के लिए ज्ञापन पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी दस्तखत किए हैं। उनके अलावा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, सीपीएम के जॉन ब्रिटास और डीएमके नेता टीआर बालू भी शामिल हैं। बताया गया है कि इस ज्ञापन को सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव को सौंपा जाएगा। ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेताओं की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी किया, जिसमें कांग्रेस सांसद और लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के सामने इस मुद्दे को उठाएंगे।

गौरतलब है कि डिजिटल डाटा कानून 11 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति के दस्तखत से मंजूर हुआ था। उससे पहले इसका विधेयक सात अगस्त 2023 को लोकसभा से और नौ अगस्त 2023 को राज्यसभा में पारित हुआ था। बहरहाल, गुरुवार, 10 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस में गौरव गोगोई ने कहा, ‘मैं मीडिया से 2019 की जेपीसी रिपोर्ट देखने की अपील करता हूं। इसमें जो प्रावधान लाए गए हैं, उनमें से कई जेपीसी की सिफारिशों के उलट हैं।

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उन्होंने कहा, ‘जब विपक्ष मणिपुर संकट का विरोध कर रहा था, तब इस कानून को जल्दबाजी में बनाया गया था। सरकार का इरादा आरटीआई को खत्म करने का था। सिर्फ आरटीआई ही नहीं, यूपीए सरकार के दौरान के कई कानून जिन्होंने शासन को बदल दिया था, आज मोदी सरकार उन्हें कमजोर कर रही है’। गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार ने बहुत ही गुप्त रूप से, दुर्भावनापूर्ण और शरारती तरीके से, नागरिकों के सूचना के अधिकार को डीपीडीपी कानून लाकर छीन लिया है।

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